
देहरादून : ऋषिकेश नगर निगम के मेयर शंभू पासवान के जाति प्रमाण पत्र को लेकर विवाद एक बार फिर गरमा गया है। उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने इस मामले की जांच कर रही समिति की रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण और एकतरफा बताते हुए उसकी वैधता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
बॉबी पंवार का कहना है कि स्क्रूटनी कमेटी ने उपलब्ध तथ्यों और दस्तावेजों की अनदेखी करते हुए शंभू पासवान के पक्ष में रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह रिपोर्ट राजनीतिक दबाव में बनाई गई है और इससे उत्तराखंड की मूल अनुसूचित जातियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
बॉबी पंवार का तर्क
स्वाभिमान मोर्चा प्रमुख ने कहा कि भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि अनुसूचित जाति का लाभ केवल उसी राज्य में मान्य होता है जहां व्यक्ति या उसके पूर्वज 1950 की अधिसूचना के समय से स्थायी निवासी रहे हों। पंवार ने आरोप लगाया कि शंभू पासवान बिहार मूल के हैं और उत्तराखंड की मूल अनुसूचित जातियों का कोटा लेने के हकदार नहीं हैं।
निष्पक्ष जांच की मांग
बॉबी पंवार ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर जांच रिपोर्ट को अस्वीकार करने और सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए निष्पक्ष जांच दोबारा कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि रिपोर्ट में निष्पक्षता नहीं बरती गई, तो शंभू पासवान का निर्वाचन रद्द कर पुनः चुनाव कराए जाने चाहिए।
स्क्रूटनी कमेटी की रिपोर्ट
वहीं, स्क्रूटनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शंभू पासवान द्वारा प्रस्तुत किए गए जाति प्रमाण पत्र वैध हैं और उनके पास दो निवास प्रमाण पत्र व तीन जाति प्रमाण पत्र हैं जो उनकी पात्रता को सिद्ध करते हैं। समिति का कहना है कि दस्तावेजों में कोई विधिक त्रुटि नहीं पाई गई है।
मामला कोर्ट की चौखट पर
विवाद बढ़ता देख यह मामला अब न्यायालय के समक्ष है और अंतिम निर्णय कोर्ट द्वारा ही लिया जाएगा। इस पूरे घटनाक्रम ने उत्तराखंड की राजनीति में जाति आधारित प्रतिनिधित्व और सामाजिक न्याय की बहस को फिर से तेज कर दिया है।