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उत्तर भारत में ठंड की दस्तक, दिल्ली-एनसीआर की हवा फिर ‘जहरीली’; पर्वों की रौनक पर छाई धुंध की परत

नई दिल्ली/लखनऊ/देहरादून। त्योहारों की चकाचौंध के बीच उत्तर भारत में मौसम का मिजाज बदलने लगा है। सुबह-शाम की ठंड अब महसूस होने लगी है, तो वहीं दिन में हल्की धूप राहत देती है। लेकिन राहत के साथ चिंता की एक परत भी हवा में घुल चुकी है—क्योंकि दिवाली वीकेंड की शुरुआत के साथ ही दिल्ली-एनसीआर की हवा एक बार फिर जहरीली श्रेणी में पहुंच गई है।

धनतेरस की सुबह दिल्ली के आनंद विहार का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 390 दर्ज किया गया, जो “बेहद खराब” श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, पराली जलाने, पटाखों की बिक्री और सीमित वायु प्रवाह की वजह से प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है।


धनतेरस पर दमघोंटू हवा: दिल्ली के कई इलाकों का AQI 300 पार

राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में शुक्रवार रात से ही धुंध की चादर देखने को मिली। शनिवार सुबह आनंद विहार, वजीरपुर, मुंडका और ओखला जैसे औद्योगिक इलाकों में एक्यूआई 300 से 390 के बीच दर्ज किया गया।
वजीरपुर में सुबह 6 बजे AQI 362, जबकि द्वारका में 280 दर्ज हुआ, जो कि “खराब” श्रेणी में गिना जाता है।

सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की हवा में पार्टिकुलेट मैटर (PM 2.5) और (PM 10) की मात्रा सामान्य से कई गुना अधिक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण का यह स्तर दिवाली की रात के बाद और बढ़ सकता है, जब आतिशबाजी, पराली धुएं और स्थिर हवाओं का मिश्रण वायु गुणवत्ता को गंभीर श्रेणी में धकेल देगा।


“धुंध के साथ ठंड की आहट”: राजधानी में सुबह सिहरन, दिन में गर्मी

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, दिल्ली में शनिवार को अधिकतम तापमान 32 से 34 डिग्री सेल्सियस, जबकि न्यूनतम तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है।
सुबह के समय 6 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की संभावना है, जो थोड़ी राहत दे सकती हैं। हालांकि, वातावरण में नमी अधिक होने के कारण हवा में धुंध और धुआं मिलकर दृश्यता को कम कर सकते हैं।
राजधानी के कई इलाकों में लोग सुबह टहलने निकले तो हल्की ठंड और सांसों में कसावट दोनों का एहसास हुआ। मौसम विभाग का मानना है कि आने वाले दिनों में न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री की गिरावट संभव है।


उत्तर प्रदेश में भी बदला मौसम का मिजाज, रातें ठंडी होने लगीं

उत्तर प्रदेश में भी मौसम ने करवट ले ली है। दिवाली वीक के दौरान राज्य में मौसम साफ रहने का अनुमान है।
20 अक्टूबर तक बारिश की कोई संभावना नहीं, हालांकि पश्चिमी यूपी के कुछ जिलों में हल्के बादल छाए रह सकते हैं।
IMD के मुताबिक, मेरठ, बरेली, लखनऊ और आगरा क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की जा सकती है।

दिन में गर्मी हल्की बनी रहेगी, लेकिन जैसे ही सूरज ढलता है, हवा में ठंड का असर महसूस होता है। किसानों के लिए यह समय रबी फसलों की तैयारी का संकेत दे रहा है। वहीं मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव सामान्य मौसमी प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन प्रदूषण का असर हवा की नमी और ठंड दोनों पर पड़ेगा।


पहाड़ों में ठंड की रफ्तार तेज, बर्फबारी के आसार

उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों — उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश — में मौसम अब सर्दियों की ओर बढ़ रहा है।
IMD के पूर्वानुमान के अनुसार, 24 से 30 अक्टूबर के बीच हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बारिश या बर्फबारी हो सकती है।
मनाली, केलांग, किन्नौर और लाहौल-स्पीति जैसे क्षेत्रों में तापमान तेजी से गिर सकता है।
उत्तराखंड में भी अगले एक-दो दिनों में हल्की बारिश के आसार हैं। देहरादून, उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिलों में सुबह-शाम ठंडक और कोहरे का असर बढ़ने लगा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि “इस बार ठंड पिछले साल से पहले आ गई है।” बाजारों में ऊनी कपड़ों की बिक्री बढ़ गई है, जबकि पहाड़ी कस्बों में शाम को अलाव का मौसम शुरू हो चुका है।


पराली, पटाखे और स्थिर हवाएं: तीन कारण जो बढ़ा रहे हैं प्रदूषण

पराली जलाने को लेकर हर साल की तरह इस बार भी दिल्ली-एनसीआर की हवा पर बड़ा असर पड़ रहा है।
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतों से उठता धुआं उत्तर भारत की हवा में मिल रहा है।
सफर इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बीते एक हफ्ते में उत्तर भारत के वायुमंडल में पराली जलाने का योगदान 22 से 26 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

दूसरी ओर, दिवाली के दौरान आतिशबाजी की तैयारियां भी प्रदूषण में इजाफा कर रही हैं।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जब हवा की रफ्तार कम और नमी ज्यादा होती है, तब धुआं जमीन के पास ही रुक जाता है। ऐसे में हवा में मौजूद धूल, धुआं और प्रदूषक तत्व मिलकर “स्मॉग” बनाते हैं, जिससे सांस संबंधी दिक्कतें बढ़ जाती हैं।


राजधानी में प्रदूषण का स्तर गंभीर होने का खतरा

पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा,

“यदि हवा की दिशा और गति में सुधार नहीं हुआ, तो दिवाली के अगले 48 घंटे दिल्ली के लिए सबसे खराब हो सकते हैं। AQI ‘गंभीर’ श्रेणी को पार कर सकता है।”

दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत निर्माण कार्यों और डीजल जनरेटरों पर सख्ती बढ़ा दी है।
साथ ही “रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ” अभियान भी दोबारा शुरू किया गया है।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक क्षेत्रीय स्तर पर पराली जलाने और वाहन उत्सर्जन पर नियंत्रण नहीं होगा, तब तक ये कदम सिर्फ अस्थायी राहत ही दे सकते हैं।


त्योहारों की रौनक और सांसों की कसक

दिवाली, धनतेरस और भैयादूज जैसे त्योहार जहां खुशियों का प्रतीक हैं, वहीं दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों में ये अब पर्यावरणीय चेतावनी का संकेत भी बन चुके हैं।
लोगों के चेहरों पर दीयों की रौशनी तो है, लेकिन मास्क के पीछे छिपी चिंता भी साफ झलकती है।

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली और आसपास के शहरों में अब स्थायी समाधान की जरूरत है — जिसमें स्वच्छ ऊर्जा, बेहतर ट्रैफिक प्रबंधन और पराली प्रबंधन की आधुनिक तकनीकें शामिल हों।
क्योंकि अगर मौजूदा हालात ऐसे ही बने रहे तो सर्दी की पहली ठंडक के साथ ही सांसें और भारी हो जाएंगी।

त्योहारों का मौसम खुशियां लेकर आता है, लेकिन हर साल की तरह इस बार भी राजधानी की हवा चेतावनी दे रही है।
धुंध, धुआं और ठंड के इस त्रिकोण में सांसें थमने न पाएँ — यही इस मौसम की सबसे बड़ी चुनौती है।
जब तक पराली जलाने से लेकर पटाखों तक पर सामूहिक जिम्मेदारी नहीं निभाई जाती, तब तक दिल्ली-एनसीआर की हवा “जहरीली” ही बनी रहेगी।

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