
देहरादून, 05 सितंबर 2025: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिक्षक दिवस के अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति, महान दार्शनिक, शिक्षाविद् एवं विचारक भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को नमन किया। सीएम धामी ने सचिवालय परिसर में उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और कहा कि डॉ. राधाकृष्णन का जीवन दर्शन समाज को सदैव मार्गदर्शन करता रहेगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र की प्रगति का सबसे मजबूत आधार है और डॉ. राधाकृष्णन ने अपने विचारों व कार्यों से भारतीय समाज में ज्ञान, संस्कार और मूल्यों की ज्योति प्रज्ज्वलित की।
शिक्षा और मूल्यों पर डॉ. राधाकृष्णन का प्रभाव
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि डॉ. राधाकृष्णन का मानना था कि शिक्षा केवल नौकरी पाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाने और समाज को दिशा देने का साधन है। उनके विचार आज भी नई पीढ़ी को प्रेरित करते हैं।
सीएम धामी ने कहा—
“शिक्षा के माध्यम से डॉ. राधाकृष्णन ने समाज में मानवता, नैतिकता और संस्कारों का प्रकाश फैलाया। उनका जीवन दर्शन हर शिक्षक और छात्र के लिए प्रेरणादायक है।”
देशभर के शिक्षकों को शुभकामनाएँ
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देशभर के शिक्षकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि शिक्षक ही राष्ट्र निर्माण के सशक्त स्तंभ होते हैं और उनकी भूमिका आने वाली पीढ़ी को सही दिशा प्रदान करने में महत्वपूर्ण है।
सीएम ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और शिक्षकों को सक्षम बनाने के लिए लगातार काम कर रही है।
“सरकार का प्रयास है कि हर बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाए और हर शिक्षक को बेहतर संसाधन व प्रशिक्षण मिले।”
उत्तराखण्ड में शिक्षा सुधार के प्रयास
धामी सरकार ने हाल के वर्षों में शिक्षा क्षेत्र में कई पहल की हैं। डिजिटल लर्निंग, स्मार्ट क्लासरूम और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की पहुँच बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य का लक्ष्य है कि उत्तराखण्ड शिक्षा के क्षेत्र में एक आदर्श राज्य बने।
उन्होंने यह भी बताया कि नवाचार और तकनीक आधारित शिक्षण पद्धतियाँ अपनाई जा रही हैं, ताकि छात्र वैश्विक स्तर की प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो सकें।
शिक्षक दिवस का महत्व
भारत में हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में समर्पित है। वे न केवल भारत के राष्ट्रपति रहे, बल्कि एक महान शिक्षक, दार्शनिक और विद्वान भी थे।
उनकी जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की परंपरा वर्ष 1962 में शुरू हुई थी। डॉ. राधाकृष्णन का कहना था कि अगर उन्हें उनके जन्मदिन पर सम्मानित करना है, तो इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। तभी से यह दिन पूरे देश में शिक्षकों के सम्मान और योगदान को समर्पित है।
मुख्यमंत्री का आह्वान
लेख के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि शिक्षा को और सशक्त बनाएँ, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ न केवल ज्ञानवान बनें, बल्कि नैतिकता और संस्कारों से भी परिपूर्ण हों।
उन्होंने कहा—
“कोई भी समाज तभी आगे बढ़ सकता है जब उसके शिक्षक समर्पित हों और शिक्षा मूल्य आधारित हो। उत्तराखण्ड सरकार इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रही है।”