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हरिद्वार भूमि घोटाले पर सीएम धामी का बड़ा एक्शन, दो IAS समेत 10 अफसर निलंबित, विजिलेंस जांच के आदेश

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देहरादून :हरिद्वार नगर निगम में उजागर हुए बहुचर्चित भूमि घोटाले मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपनाते हुए तत्कालीन नगर आयुक्त समेत दो IAS और एक PCS अधिकारी सहित कुल 10 अधिकारियों को निलंबित करने के निर्देश जारी किए हैं। इसके अतिरिक्त, दो अधिकारियों का सेवा विस्तार भी समाप्त कर दिया गया है। मामले की विस्तृत जांच अब विजिलेंस विभाग से कराई जाएगी।

मुख्यमंत्री ने इस भूमि घोटाले को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर अमल करते हुए कड़े कदम उठाए हैं। मामले में प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है और सतर्कता विभाग को पूरे प्रकरण की गहन जांच के आदेश दिए गए हैं, ताकि दोषियों की श्रृंखला पूरी तरह से उजागर की जा सके।

विक्रय पत्र निरस्त, रिकवरी के निर्देश

घोटाले से जुड़ी विवादित भूमि की विक्रय पत्र (सेल डीड) को रद्द कर दिया गया है और संबंधित भू-स्वामियों से दी गई धनराशि की वसूली सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। इसके साथ ही तत्कालीन नगर आयुक्त श्री वरुण चौधरी के कार्यकाल में किए गए सभी कार्यों का विशेष ऑडिट कराने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।


अब तक की प्रमुख कार्रवाई:

नाम पद/स्थिति स्थिति
कर्मेंद्र सिंह जिलाधिकारी व तत्कालीन प्रशासक, नगर निगम निलंबित
वरुण चौधरी तत्कालीन नगर आयुक्त, नगर निगम हरिद्वार निलंबित
अजयवीर सिंह तत्कालीन उपजिलाधिकारी, हरिद्वार निलंबित
निकिता बिष्ट वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम निलंबित
विक्की वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक निलंबित
राजेश कुमार रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार निलंबित
कमलदास मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार निलंबित
आनंद सिंह मिश्रवाण प्रभारी अधिशासी अभियंता पहले से निलंबित
लक्ष्मीकांत भट्ट कर एवं राजस्व अधीक्षक पहले से निलंबित
दिनेश चंद्र कांडपाल अवर अभियंता पहले से निलंबित

सेवा समाप्त:

  • रविंद्र कुमार दयाल – प्रभारी सहायक नगर आयुक्त

  • वेदपाल – संपत्ति लिपिक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा,

“हमारी सरकार ने पहले ही दिन से स्पष्ट किया है कि लोकसेवा में ‘पद’ नहीं बल्कि ‘कर्तव्य’ और ‘जवाबदेही’ महत्वपूर्ण हैं। चाहे व्यक्ति कितना भी वरिष्ठ हो, अगर वह जनहित और नियमों की अवहेलना करेगा, तो कार्रवाई निश्चित है। हम उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त नई कार्य संस्कृति विकसित करना चाहते हैं और सभी लोक सेवकों को इसके मानकों पर खरा उतरना होगा।”

इस भूमि घोटाले में हरिद्वार नगर निगम द्वारा ग्राम सराय क्षेत्र में कूड़े के ढेर के समीप स्थित अनुपयुक्त 2.3070 हेक्टेयर भूमि को करोड़ों रुपये में खरीदे जाने पर सवाल उठे थे। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सचिव रणवीर सिंह चौहान द्वारा तैयार कर शासन को 29 मई को सौंपी गई थी, जिसके आधार पर यह सख्त कार्रवाई की गई।

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