उत्तराखंडफीचर्ड

Uttarakhand: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बड़ा फैसला — दुर्गम क्षेत्रों में तैनात वन कर्मियों को मिलेगा आवासीय भत्ता

कठिन परिस्थितियों में कार्यरत वनकर्मियों के लिए राहत, राज्य सरकार ने दिखाई संवेदनशीलता

देहरादून, शनिवार: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वन विभाग के कर्मचारियों के हित में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए घोषणा की है कि राज्य के दुर्गम क्षेत्रों में तैनात वन कर्मियों को अब आवासीय भत्ता दिया जाएगा।

राज्य सरकार के इस निर्णय से उत्तराखंड के उन वन कर्मियों को सीधा लाभ मिलेगा, जो जंगलों, वन चौकियों और वन्यजीव अभयारण्यों में अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कार्य कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार अपने प्रत्येक कर्मचारी के कल्याण के लिए संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाए हुए है, विशेषकर उन कर्मचारियों के लिए जो कठिन परिस्थितियों में रहकर राज्य की प्राकृतिक संपदा और पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान दे रहे हैं।


“वनकर्मी हमारी वन संपदा के असली प्रहरी” — मुख्यमंत्री धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि “हमारे वनकर्मी प्रदेश की अमूल्य वन संपदा और वन्यजीवों की रक्षा में दिन-रात कार्य करते हैं। वे कई बार ऐसे क्षेत्रों में तैनात रहते हैं, जहाँ न तो सड़क सुविधा होती है, न स्वास्थ्य सेवाएँ, और न ही बच्चों की शिक्षा के पर्याप्त साधन। ऐसी परिस्थितियों में उन्हें अपने परिवार से दूर रहना पड़ता है। इन तमाम कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने निर्णय लिया है कि दुर्गम क्षेत्रों में तैनात वन कर्मियों को आवासीय भत्ता अनुमन्य किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्णय उन सभी वनकर्मियों के जीवन में वास्तविक राहत लेकर आएगा, जो जंगलों में सीमित संसाधनों के बीच राज्य की हरियाली, वन्यजीवों और पर्यावरण की सुरक्षा में लगे रहते हैं।


वित्त विभाग की सहमति से होगी क्षेत्रों की पहचान

मुख्यमंत्री ने बताया कि शासन स्तर पर वित्त विभाग की सहमति से ऐसे सभी दुर्गम क्षेत्रों की पहचान की जाएगी, जहाँ यह सुविधा लागू होगी।
उन्होंने कहा कि यह कार्य पूरी पारदर्शिता और न्यायसंगत प्रक्रिया से किया जाएगा, ताकि वास्तव में कठिन और दूरस्थ चौकियों पर कार्यरत कर्मियों को प्राथमिकता दी जा सके।

सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि भविष्य में अन्य विभागों के दुर्गम तैनाती वाले कर्मियों के लिए भी इसी तरह की सुविधाओं पर विचार किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “राज्य सरकार का उद्देश्य केवल वेतन वृद्धि नहीं, बल्कि मानव संसाधन का समग्र कल्याण है, ताकि कर्मचारी अपने कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण और संतोष के साथ कार्य कर सकें।”


वनकर्मियों की चुनौतियों को सरकार ने समझा

वन विभाग से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि प्रदेश के कई वन क्षेत्र — विशेषकर चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, टिहरी, और पौड़ी गढ़वाल जैसे जनपदों में — अत्यधिक ऊँचाई, घने जंगल और सीमित बुनियादी सुविधाओं के कारण बेहद चुनौतीपूर्ण माने जाते हैं।
इन क्षेत्रों में वनकर्मी न केवल वन्यजीव संरक्षण और अवैध कटान रोकने में लगे रहते हैं, बल्कि कई बार उन्हें आपदा या वनाग्नि जैसी परिस्थितियों में भी अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ती है।

ऐसे में, मुख्यमंत्री धामी के इस निर्णय को “कर्मचारियों के मानवीय पक्ष को समझने वाला निर्णय” माना जा रहा है।
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह निर्णय वनकर्मियों के मनोबल को बढ़ाएगा और उन्हें अपने परिवार की देखभाल और जीवनस्तर सुधारने में सहायता करेगा।


वनकर्मियों और संघों ने जताया आभार

राज्यभर के वनकर्मियों ने मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी और वन मंत्री श्री सुबोध उनियाल के प्रति आभार व्यक्त किया है।
वनकर्मियों ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से उनके जीवन में वास्तविक राहत आएगी।

वन कर्मचारी संघ के एक प्रतिनिधि ने कहा,

“हम लंबे समय से मांग कर रहे थे कि दुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत कर्मियों को विशेष भत्ते की सुविधा दी जाए। आज मुख्यमंत्री धामी जी ने हमारी आवाज़ सुनी है। यह निर्णय हमारे लिए सिर्फ आर्थिक राहत नहीं, बल्कि हमारे काम की अहमियत को मिली सरकारी मान्यता है।”

उन्होंने कहा कि अब वनकर्मी अपने परिवार के लिए बेहतर आवास व्यवस्था कर पाएंगे और वन सुरक्षा कार्यों में और अधिक समर्पण के साथ जुट सकेंगे।


वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा — “सरकार ने वनकर्मियों की पीड़ा को महसूस किया”

वन मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार ने एक बार फिर यह साबित किया है कि कर्मचारियों का हित सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा, “राज्य के वनकर्मी सीमित संसाधनों के बीच भी पर्यावरण और जैव विविधता की रक्षा में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने उनकी कठिनाइयों को समझते हुए यह निर्णय लिया है, जो निश्चित रूप से प्रेरणादायक है।”

वन मंत्री ने बताया कि राज्य के वन क्षेत्र न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील हैं, बल्कि ये आपदा जोखिम वाले इलाके भी हैं।
ऐसे में कर्मचारियों को सुविधाएँ देना केवल उनका हक़ नहीं बल्कि सरकार का कर्तव्य है।


धामी सरकार की कर्मचारी हितैषी पहलें जारी

मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कर्मचारियों के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं —

  • पेंशनर्स और संविदा कर्मियों के लिए नई राहत नीतियाँ,
  • दुर्गम क्षेत्र भत्ता और जोखिम भत्ता बढ़ाने की पहल,
  • सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और प्रमोशन नीति में सुधार,
  • तथा सेवा शर्तों को अधिक लचीला और मानवोन्मुख बनाने की दिशा में ठोस कदम।

मुख्यमंत्री ने कहा कि “कर्मचारी किसी भी सरकार की रीढ़ होते हैं। जब कर्मचारी सुखी होंगे, तभी शासन-प्रशासन कुशलता से काम कर पाएगा और जनता को उसका लाभ मिलेगा।”


“वनकर्मियों की निष्ठा पर हमें गर्व है” — मुख्यमंत्री धामी

मुख्यमंत्री धामी ने अंत में कहा कि उन्हें राज्य के वनकर्मियों की निष्ठा और सेवा भावना पर गर्व है।
उन्होंने कहा, “उत्तराखंड की हरियाली, स्वच्छ हवा और पर्यावरण का संतुलन हमारे वनकर्मियों के समर्पण की देन है।
राज्य सरकार उनके साथ खड़ी है और आगे भी हर संभव सहयोग देती रहेगी।”

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस निर्णय को शीघ्र लागू करने के लिए वित्त और वन विभाग मिलकर कार्य योजना तैयार करें, ताकि योग्य कर्मियों को जल्द इसका लाभ मिल सके।

बैठक में वन मंत्री सुबोध उनियाल, मुख्य सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी, वन प्रमुख विनोद सिंह, तथा वनकर्मी संघ के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। सभी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए बैठक में कहा गया कि यह निर्णय न केवल कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाएगा, बल्कि वन संरक्षण के प्रयासों को और मजबूत करेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button