
पिथौरागढ़, 29 अक्टूबर: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के मिलम गांव का दौरा किया। भारत-तिब्बत सीमा से सटे इस गांव में उन्होंने आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के जवानों और स्थानीय ग्रामीणों से भेंट कर उनके कार्यों और योगदान की सराहना की।
मुख्यमंत्री ने कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी देश की सुरक्षा में तत्पर रहने वाले आईटीबीपी जवानों की देशभक्ति, अनुशासन और समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि
“भारत की सीमाएं सुरक्षित हैं तो देश निश्चिंत है। हमारे जवान विपरीत मौसम और चुनौतीपूर्ण भूगोल में भी अदम्य साहस के साथ तैनात रहते हैं — यह हर नागरिक के लिए गर्व की बात है।”
सीमा पर तैनात जवानों का ‘राष्ट्रसेवा का जज्बा’ प्रेरणास्रोत
मुख्यमंत्री धामी ने जवानों के बीच समय बिताया और उनकी दैनिक चुनौतियों, तैनाती की परिस्थितियों तथा स्थानीय जरूरतों के बारे में जानकारी ली।
उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में देश की रक्षा करने वाले जवानों का जज्बा वास्तव में राष्ट्र निर्माण का आधार है।
“हमारे आईटीबीपी के जवान जहां भी तैनात हैं, वहाँ सिर्फ सुरक्षा ही नहीं, बल्कि सेवा, अनुशासन और समर्पण का संदेश भी देते हैं। राज्य सरकार हर संभव प्रयास करेगी कि सीमांत चौकियों पर आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ,” — मुख्यमंत्री धामी ने कहा।
उन्होंने आईजी आईटीबीपी श्री संजय गुंज्याल और उनकी टीम की भी सराहना की, जिन्होंने सीमांत इलाकों में नागरिकों के साथ बेहतर तालमेल बनाकर विकासात्मक कार्यों को सहयोग दिया है।
ग्रामीणों से संवाद: “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” से बदलेगी सीमांत गांवों की तस्वीर
मुख्यमंत्री धामी ने मिलम और आसपास के ग्रामीणों से भी संवाद किया। उन्होंने ग्रामीणों से क्षेत्र के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी और रोजगार जैसी आवश्यक सुविधाओं पर विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (Vibrant Village Programme)’ अब सीमांत क्षेत्रों के लिए जीवन रेखा साबित हो रहा है।
“पहले जो गांव ‘लास्ट विलेज’ कहलाते थे, उन्हें अब ‘फर्स्ट विलेज’ के रूप में विकसित किया जा रहा है। सीमाओं पर बसने वाले हमारे नागरिक न सिर्फ सुरक्षा के प्रहरी हैं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों के वाहक भी हैं,” — उन्होंने कहा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत सड़क, बिजली, मोबाइल नेटवर्क, इंटरनेट, पेयजल और स्वास्थ्य सुविधाओं को तेज़ी से जोड़ा जा रहा है, ताकि लोग पलायन न करें और सीमाओं पर बसावट बनी रहे।
घोषणाएँ: इनडोर स्टेडियम, मंदिर सौंदर्यीकरण और सामुदायिक केंद्र का निर्माण
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने सीमांत क्षेत्रों में खेल, संस्कृति और सामुदायिक जीवन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई घोषणाएँ भी कीं।
उन्होंने कहा —
- जोहार क्लब मुनस्यारी में एक अत्याधुनिक इनडोर स्टेडियम का निर्माण कराया जाएगा, जिससे स्थानीय युवाओं को खेलकूद और फिटनेस की बेहतर सुविधाएँ मिल सकें।
- ग्राम मिलम के प्रसिद्ध नंदा देवी मंदिर का सौंदर्यीकरण कार्य राज्य सरकार की ओर से कराया जाएगा, जिससे धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
- ग्राम बिल्जू में सामुदायिक मिलन केंद्र (Community Hall) का निर्माण कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा, जिससे गांवों में सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन में सुविधा रहे।
इन घोषणाओं का ग्रामीणों ने स्वागत किया और मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।
सीमांत क्षेत्रों का विकास — सरकार की प्राथमिकता
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रदेश सरकार सीमांत क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने बताया कि आने वाले समय में सड़क संपर्क, दूरसंचार, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्रों में अभूतपूर्व सुधार देखने को मिलेगा।
उन्होंने कहा —
“हमारी नीति स्पष्ट है — सीमांत क्षेत्र सिर्फ रणनीतिक दृष्टि से नहीं, बल्कि विकास की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। सीमाओं पर रहने वाले नागरिकों का जीवन स्तर ऊंचा उठाना ही सच्चा राष्ट्रसेवा है।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार सीमांत युवाओं के लिए विशेष रोजगार योजनाएं, होमस्टे प्रोत्साहन, हस्तशिल्प प्रशिक्षण और पर्वतीय कृषि उत्पादों के विपणन के लिए नए प्रोजेक्ट्स पर कार्य कर रही है।
शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान
ग्रामीणों के साथ चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने सीमांत गांवों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मिलम, मुनस्यारी और धारचूला क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन सेवाओं को सशक्त किया जाएगा और पहाड़ी बच्चों के लिए आवासीय विद्यालयों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं के लिए स्वरोजगार योजनाओं का दायरा बढ़ाया जाएगा ताकि स्थानीय स्तर पर आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहन मिले।
संस्कृति और पर्यटन के लिए नए अवसर
मुख्यमंत्री ने कहा कि नंदा देवी, मिलम ग्लेशियर और जोहार घाटी जैसे क्षेत्र प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत से परिपूर्ण हैं।
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि इन क्षेत्रों में सस्टेनेबल टूरिज्म (Sustainable Tourism) को बढ़ावा दिया जाए, जिससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था सशक्त हो, बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित हो।
“हम ऐसा मॉडल विकसित कर रहे हैं जिससे सीमांत पर्यटन स्थानीय रोजगार से सीधे जुड़ सके और युवाओं को अपने गांवों में ही अवसर मिलें,” — उन्होंने कहा।
सीमांत जनता और जवानों को मुख्यमंत्री का सलाम
मुख्यमंत्री धामी ने अंत में कहा कि सीमाओं की रक्षा करने वाले जवान और सीमाओं पर रहने वाले नागरिक, दोनों ही राष्ट्र की प्रथम सुरक्षा रेखा हैं।
उन्होंने कहा —
“हम सभी इन वीर जवानों और सीमांत लोगों के आभारी हैं, जो कठिन परिस्थितियों में भी देश की गरिमा और अस्मिता की रक्षा कर रहे हैं। राज्य सरकार सदैव उनके साथ खड़ी है।”
कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारी
इस अवसर पर आईटीबीपी के आईजी संजय गुंज्याल, स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी, पंचायत प्रतिनिधि, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि और आईटीबीपी के जवान मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने जवानों के साथ समूह चित्र भी खिंचवाया और क्षेत्र के विकास कार्यों का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया.



