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उत्तराखंड में सात जलविद्युत परियोजनाओं की स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से की मुलाकात

हल्द्वानी में खेल विश्वविद्यालय के लिए वन भूमि हस्तांतरण पर भी हुई चर्चा, केंद्र ने दिया सहयोग का भरोसा

नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से शिष्टाचार भेंट की। इस मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य में सात जल विद्युत परियोजनाओं के विकास एवं निर्माण के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति और मंत्रालय के समर्थन का आग्रह किया।

इन सात परियोजनाओं की कुल क्षमता 647 मेगावाट है, जो राज्य की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार गंगा और उसकी सहायक नदियों की निर्मलता एवं अविरलता के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए ही राज्य के विकास कार्य किए जा रहे हैं।

“राज्य ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना चाहता है”

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जल विद्युत परियोजनाएं राज्य के पर्वतीय इलाकों में विकास का नया अध्याय खोल सकती हैं। “हमारी प्राथमिकता पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित विकास की है। उत्तराखंड को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह परियोजनाएं अत्यंत आवश्यक हैं,” उन्होंने कहा।

मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि राज्य सरकार ने सभी परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय मानकों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जलविद्युत परियोजनाओं से न केवल राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।

गंगा की अविरलता और निर्मलता पर विशेष बल

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उत्तराखंड सरकार गंगा और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता, संरक्षण और अविरल प्रवाह के लिए निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि विकास परियोजनाओं को इस प्रकार से डिजाइन किया जा रहा है कि नदी पारिस्थितिकी तंत्र पर न्यूनतम प्रभाव पड़े। “हमारा उद्देश्य है कि विकास भी हो और प्रकृति की पवित्रता भी बनी रहे,” मुख्यमंत्री ने कहा।

हल्द्वानी में खेल विश्वविद्यालय की दिशा में कदम

भेंट के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय मंत्री को हल्द्वानी में प्रस्तावित खेल विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित प्रस्ताव की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने खेलों को युवाओं के लिए रोजगार और अवसर का माध्यम बनाने की दिशा में यह बड़ा निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा, “हल्द्वानी के गौलापार क्षेत्र में लगभग 12.317 हेक्टेयर वन भूमि को खेल विश्वविद्यालय के लिए हस्तांतरित करने का प्रस्ताव वन विभाग को भेजा गया है। यह विश्वविद्यालय उत्तराखंड और पूरे देश के खिलाड़ियों के लिए उत्कृष्ट प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।”

उन्होंने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से अनुरोध किया कि संबंधित विभागों को इस भूमि स्थानांतरण की स्वीकृति प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए जाएं ताकि विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य की शुरुआत जल्द हो सके।

केंद्र ने दिया हर संभव सहयोग का आश्वासन

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री धामी के प्रस्तावों की सराहना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार उत्तराखंड के विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने के प्रयासों में हरसंभव सहयोग करेगी। उन्होंने दोनों प्रस्तावों — जलविद्युत परियोजनाओं की स्वीकृति और खेल विश्वविद्यालय के लिए भूमि हस्तांतरण — पर सैद्धांतिक सहमति व्यक्त की।

मंत्री ने कहा कि मंत्रालय स्तर पर आवश्यक प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय और सीमावर्ती राज्य के लिए ऊर्जा और खेल क्षेत्र में निवेश अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और जनजीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

बैठक में वरिष्ठ अधिकारी रहे मौजूद

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्रालय के सचिव (पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन) तन्मय कुमार, उत्तराखंड के प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते और स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा भी उपस्थित थे।

उत्तराखंड में जलविद्युत विकास की पृष्ठभूमि

उत्तराखंड अपने पर्वतीय भू-भाग और तीव्र प्रवाह वाली नदियों के कारण जल विद्युत उत्पादन के लिए अत्यंत उपयुक्त राज्य माना जाता है। राज्य में वर्तमान में कई बड़ी और मध्यम श्रेणी की जलविद्युत परियोजनाएं संचालित हैं, जो राष्ट्रीय ग्रिड में योगदान देती हैं। नई प्रस्तावित सात परियोजनाएं राज्य की ऊर्जा क्षमता को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकती हैं।

हालांकि, राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी परियोजना को पर्यावरणीय मानकों से समझौता किए बिना ही आगे बढ़ाया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन परियोजनाओं को स्वीकृति मिल जाती है तो आने वाले वर्षों में उत्तराखंड न केवल अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकेगा, बल्कि अतिरिक्त ऊर्जा अन्य राज्यों को भी उपलब्ध करा सकेगा।

खेल और पर्यावरण – दोहरे विकास की दिशा

मुख्यमंत्री धामी की यह मुलाकात इस दृष्टि से भी अहम मानी जा रही है कि इसमें राज्य ने एक साथ दो प्राथमिक क्षेत्रों — ऊर्जा और खेल — के विकास को केंद्र में रखा। पर्यावरण संरक्षण और युवाओं के सशक्तिकरण, दोनों पर समान रूप से बल दिया गया। खेल विश्वविद्यालय की स्थापना से उत्तराखंड के खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं और प्रशिक्षण उपलब्ध होंगे, वहीं जलविद्युत परियोजनाएं राज्य के आर्थिक विकास में नई ऊर्जा भरेंगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से हुई यह बैठक उत्तराखंड के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकती है। केंद्र से मिले समर्थन के बाद राज्य की सात जलविद्युत परियोजनाओं और खेल विश्वविद्यालय के प्रस्तावों को नई गति मिलने की उम्मीद है। सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है — “विकास भी, पर्यावरण संरक्षण भी।”

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