
देहरादून, 4 अक्टूबर। उत्तराखंड जैसे आपदा संवेदनशील राज्य में राहत और बचाव कर्मियों की भूमिका हमेशा से ही सबसे अहम रही है। इसी योगदान को सम्मानित करने के लिए शनिवार को पटेलनगर स्थित राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में अर्पित फाउंडेशन की ओर से आयोजित “प्राइड मूवमेंट सम्मान समारोह” में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और आईटीबीपी के उन जांबाज़ कर्मियों को सम्मानित किया, जिन्होंने हालिया वर्षों में आपदाओं के दौरान जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाया।
आपदा योद्धाओं को मिला सम्मान
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह सम्मान वास्तव में उन कर्मियों के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है जिन्होंने बिना अपनी जान की परवाह किए कठिन परिस्थितियों में राहत और बचाव अभियान चलाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड केवल प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि इसकी कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और हर वर्ष आने वाली आपदाओं की चुनौती के लिए भी जाना जाता है।
धामी ने याद दिलाया कि जब-जब उत्तराखंड पर संकट आया, हमारे राहत और बचाव बलों ने ग्राउंड जीरो पर सबसे आगे खड़े होकर लोगों की जान बचाई।
केदारनाथ से लेकर जोशीमठ तक की त्रासदियां
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में पिछले एक दशक की आपदाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि 2013 की केदारनाथ आपदा को देश कभी नहीं भूल सकता, जब हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।
- 2021 में चमोली की ऋषिगंगा और धौलीगंगा घाटी में आई आपदा ने पूरे देश को झकझोर दिया।
- 2023 में जोशीमठ का धंसाव एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया।
- हाल ही में उत्तरकाशी, चमोली और देहरादून के कई हिस्सों में बादल फटने, भारी बारिश और भूस्खलन की घटनाओं से जनजीवन प्रभावित हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सभी कठिन परिस्थितियों में सबसे बड़ी चुनौती मानव जीवन की रक्षा करना होती है और यही समय होता है जब हमारे राहत कर्मियों का जज्बा और समर्पण देवदूत बनकर सामने आता है।
सिल्क्यारा टनल रेस्क्यू का उदाहरण
धामी ने सिल्क्यारा टनल हादसे का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जब मजदूर सुरंग में फंस गए थे, तब पूरा देश उत्तराखंड की ओर देख रहा था। दिन-रात चले उस अभियान ने दिखा दिया कि हमारी टीमों के साहस और तकनीकी क्षमता के सामने असंभव भी संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि “बाबा बोखनाग के आशीर्वाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन से यह मिशन सफल हो पाया।”
प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार का आभार
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी आभार जताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वयं देहरादून आकर आपदा प्रभावितों से मुलाकात की, उनका दर्द सुना और त्वरित निर्णय लिए। इतना ही नहीं, उन्होंने राज्य को 1200 करोड़ रुपये की विशेष राहत राशि भी प्रदान की, जिससे पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्यों को गति मिली।
आधुनिक तकनीक और स्थानीय भागीदारी पर जोर
धामी ने कहा कि राज्य सरकार ने एसडीआरएफ और अन्य राहत एजेंसियों को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया है। इसमें ड्रोन, सैटेलाइट आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम और उन्नत रेस्क्यू गियर शामिल हैं।
इसके साथ ही आपदा मित्र योजना के अंतर्गत गांव-गांव में युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि स्थानीय स्तर पर भी प्राथमिक राहत कार्य प्रभावी रूप से किए जा सकें। उन्होंने बताया कि सड़क और पुल निर्माण में डिजास्टर रेज़िलिएंट तकनीक का उपयोग अब अनिवार्य कर दिया गया है।
शिक्षा में आपदा प्रबंधन का समावेश
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा केवल इमारतें और सड़कें ही नहीं तोड़ती, बल्कि यह लोगों के आत्मविश्वास और भविष्य को भी चोट पहुंचाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने निर्णय लिया है कि आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण को स्कूल और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसका उद्देश्य आने वाली पीढ़ी को आपदा से निपटने के लिए मानसिक और तकनीकी रूप से सक्षम बनाना है।
मुआवजे से आगे बढ़कर पुनर्वास पर ध्यान
मुख्यमंत्री ने साफ किया कि राज्य सरकार केवल मुआवजे तक सीमित नहीं है। पुनर्वास, आजीविका और मानसिक स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आपदा प्रभावित परिवारों को स्थायी आवास और स्वरोजगार से जोड़ने की योजनाएं भी तेजी से लागू की जा रही हैं।
नकल विरोधी कानून के लिए छात्रों का आभार
इस समारोह में मौजूद छात्रों ने मुख्यमंत्री धामी का विशेष स्वागत किया और हाल ही में लागू हुए नकल विरोधी कानून के लिए उनका आभार जताया। छात्रों ने कहा कि यह कानून शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा देगा।
कार्यक्रम में शामिल विशिष्टजन
इस अवसर पर विधायक प्रेमचंद अग्रवाल, स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश, श्री कृष्ण गिरी महाराज, अपर पुलिस महानिदेशक वी. मुरूगेशन और कार्यक्रम की संयोजक श्रीमती हनी पाठक सहित कई अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।
देहरादून में आयोजित “प्राइड मूवमेंट सम्मान समारोह” केवल एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह उत्तराखंड की जांबाज़ आत्माओं को नमन था। मुख्यमंत्री धामी ने अपने संबोधन से साफ किया कि आपदा प्रबंधन केवल सरकार का काम नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।
आपदा योद्धाओं का सम्मान, आधुनिक तकनीक का उपयोग, शिक्षा में आपदा प्रबंधन और पुनर्वास पर ध्यान – ये सभी प्रयास इस ओर इशारा करते हैं कि उत्तराखंड अब केवल आपदाओं से जूझने वाला राज्य नहीं, बल्कि उनसे लड़कर आगे बढ़ने वाला आत्मविश्वासी और सक्षम राज्य बन रहा है।