
देहरादून, 6 नवम्बर 2025। हिमालय की शांत वादियों में बसा उत्तराखंड अब केवल आध्यात्मिक धामों के लिए ही नहीं, बल्कि साहित्य, संस्कृति और सृजन के केंद्र के रूप में भी अपनी पहचान बना रहा है।
देहरादून के जोलीग्रांट एयरपोर्ट के समीप थानो क्षेत्र में स्थित देश का पहला “लेखक गांव” इन दिनों साहित्यिक हलकों में चर्चा का प्रमुख विषय बना हुआ है।
यह अनूठा साहित्यिक केंद्र पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के संरक्षण में निरंतर विकसित हो रहा है। लेखक गांव की स्थापना 24 अक्टूबर 2024 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद, राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, और मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में की गई थी।
केवल एक वर्ष के भीतर लेखक गांव ने साहित्य, संस्कृति और कला के क्षेत्र में जो पहचान बनाई है, वह उत्तराखंड के लिए गौरव का विषय बन गई है।
हाल ही में 3 से 5 अक्टूबर 2025 तक यहां आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ने लेखक गांव की ख्याति को वैश्विक मंच पर पहुंचा दिया।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री श्री किरण रिजीजू ने किया, जबकि समापन समारोह में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
तीन दिवसीय इस आयोजन में देश-विदेश के नामचीन साहित्यकारों, कवियों, कलाकारों और विचारकों ने भाग लिया। इस दौरान कविता पाठ, संवाद सत्र, विचार गोष्ठी और कला प्रदर्शनियों के माध्यम से लेखक गांव सृजन, संवाद और संवेदना का केंद्र बन गया।
लेखक गांव की परिकल्पना डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की दूरदर्शी सोच का परिणाम है। उनकी पहल पर निर्मित यह स्थल अब “साहित्यिक धाम” के रूप में विकसित हो रहा है, जो उत्तराखंड के चार धार्मिक धामों — बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री — की तरह ही सांस्कृतिक महत्व का केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है।
लेखक गांव में साहित्य, कला और प्रकृति का ऐसा संगम देखने को मिलता है जो किसी भी सृजनशील व्यक्ति के लिए प्रेरणास्रोत बनता है।
यहां आयोजित विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रम, पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित पहल और लोकसंस्कृति के संवर्धन की गतिविधियां इस स्थल को आध्यात्मिक और बौद्धिक ऊर्जाओं के समन्वय का प्रतीक बनाती हैं।
इस अवसर पर पद्मश्री डॉ. संजय ने कहा कि “मैं लेखक गांव की परिकल्पना के आरंभ से ही इसका साक्षी और सहभागी रहा हूं।
डॉ. निशंक जी का दृष्टिकोण और समर्पण इस परियोजना को विश्वस्तरीय पहचान दिला रहा है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि लेखक गांव का वर्तमान और भविष्य दोनों ही सुरक्षित और उज्ज्वल हैं।”
लेखक गांव आने वाले वर्षों में न केवल साहित्य, कला और संस्कृति का केंद्र बनेगा, बल्कि आयुष, पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी एक मील का पत्थर साबित होगा। यह स्थल उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, परंपरा और सृजनशीलता को वैश्विक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।






