
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर 2025 | भारत और ब्रिटेन के बीच रिश्तों में एक नई ऊर्जा दिखाई दे रही है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के पहले भारत दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके बीच हुई व्यापक बातचीत में न सिर्फ आर्थिक सहयोग और रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा हुई, बल्कि खालिस्तानी उग्रवाद और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) सुधार जैसे अहम वैश्विक मुद्दे भी केंद्र में रहे।
बैठक के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि ब्रिटेन ने भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर अपने समर्थन की औपचारिक घोषणा की है। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने यह स्पष्ट कहा कि लोकतांत्रिक समाजों में उग्रवाद और हिंसक अतिवाद के लिए कोई स्थान नहीं है।
खालिस्तानी उग्रवाद पर भारत का सख्त संदेश
दोनों नेताओं की बैठक में सबसे पहले खालिस्तानी चरमपंथ पर चर्चा हुई — जो पिछले कुछ वर्षों में भारत-यूके संबंधों में एक संवेदनशील विषय बना हुआ है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा,
“प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री स्टारमर के साथ हुई बातचीत में स्पष्ट किया कि लोकतांत्रिक समाजों में उग्रवाद और हिंसक अतिवाद की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। किसी भी व्यक्ति या संगठन को लोकतंत्र द्वारा दी गई आज़ादी का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन दोनों देशों को अपने-अपने कानूनी ढांचों के भीतर उग्रवादी गतिविधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
यह बयान उस पृष्ठभूमि में आया है जब ब्रिटेन में खालिस्तानी समर्थक तत्वों द्वारा भारतीय दूतावास और समुदायों को निशाना बनाए जाने के कई मामले सामने आ चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिटिश सरकार से अपेक्षा जताई कि इस तरह की गतिविधियों पर ठोस कार्रवाई की जाए और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के नाम पर हिंसक एजेंडों को बढ़ावा देने की अनुमति न दी जाए।
भारत की UNSC स्थायी सदस्यता को मिला ब्रिटेन का समर्थन
भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की वकालत कर रहा है। इस दिशा में ब्रिटेन का समर्थन भारत की कूटनीतिक उपलब्धि मानी जा रही है।
विदेश सचिव मिस्री ने कहा,
“ब्रिटेन ने सुरक्षा परिषद में सुधार के बाद भारत की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन की घोषणा की है। हम इस समर्थन का स्वागत और सराहना करते हैं।”
विश्लेषकों का मानना है कि ब्रिटेन का यह रुख वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा। भारत पहले ही G20, ब्रिक्स और SCO जैसे मंचों पर अपनी निर्णायक भूमिका निभा रहा है, और अब संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ गया है।
व्यापार और निवेश पर जोर: मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर उम्मीदें
बैठक के दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की प्रगति पर भी चर्चा की। यह समझौता दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने में अहम भूमिका निभा सकता है।
विदेश सचिव ने कहा कि एफटीए से दोनों देशों के युवाओं के लिए रोजगार और निवेश के अवसर बढ़ेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का “विकसित भारत 2047” का लक्ष्य विदेशी निवेश और पारस्परिक सहयोग से ही संभव है, और ब्रिटेन इस दिशा में एक विश्वसनीय साझेदार है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ आए 125 शीर्ष व्यापारिक नेताओं, निवेशकों और शिक्षाविदों के प्रतिनिधिमंडल ने भी भारतीय उद्योग जगत से मुलाकात की। माना जा रहा है कि स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में कई नई साझेदारियों की नींव इस दौरे में रखी गई।
भारत-ब्रिटेन संबंध: साझा लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित
व्यापक वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और ब्रिटेन “स्वाभाविक भागीदार” हैं।
उन्होंने कहा,
“हमारे संबंध लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन के साझा मूल्यों पर आधारित हैं। आज के वैश्विक अनिश्चितता के दौर में हमारी साझेदारी वैश्विक स्थिरता और आर्थिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन रही है।”
ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टारमर ने भी भारत की आर्थिक और तकनीकी प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप हैं।
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन भारत के साथ मिलकर “हरित ऊर्जा, रक्षा, साइबर सुरक्षा और नवाचार के क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग” को आगे बढ़ाना चाहता है।
वैश्विक मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण
बैठक में दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र, पश्चिम एशिया और यूक्रेन संघर्ष जैसे वैश्विक मसलों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत संवाद और कूटनीति के माध्यम से ही विवादों के समाधान का पक्षधर है।
उन्होंने कहा,
“भारत गाजा और यूक्रेन के मुद्दों पर शांति बहाल करने के सभी प्रयासों का समर्थन करता है। हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और स्थिरता के लिए ब्रिटेन समेत सभी साझेदार देशों के साथ सहयोग को और गहरा करना चाहते हैं।”
दोनों देशों ने आतंकवाद और उग्रवाद के सभी रूपों की निंदा करते हुए वैश्विक आतंक-रोधी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
रणनीतिक संबंधों में नया मोड़
राजनयिक विशेषज्ञों के अनुसार, स्टारमर का यह दौरा भारत-ब्रिटेन संबंधों को नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है। ब्रिटेन ने जहां भारत की वैश्विक भूमिका को स्वीकार करते हुए UNSC स्थायी सदस्यता का समर्थन दिया है, वहीं भारत ने ब्रिटेन से आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दों पर ठोस रुख अपनाने की अपेक्षा जताई है।
दोनों देशों ने रक्षा, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा और आपसी गतिशीलता (mobility partnership) जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का संकल्प भी दोहराया।
प्रधानमंत्री कीर स्टारमर का पहला भारत दौरा इस बात का संकेत है कि लंदन और नई दिल्ली अब अपने रिश्तों को केवल व्यापार तक सीमित नहीं रखना चाहते, बल्कि उन्हें वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के रूप में विकसित करना चाहते हैं। भारत को ब्रिटेन से UNSC में मिला समर्थन न केवल एक राजनयिक सफलता है, बल्कि यह इस बात की पुष्टि भी करता है कि दुनिया भारत को अब वैश्विक नेतृत्व की भूमिका में देखने लगी है।
जहां प्रधानमंत्री मोदी ने उग्रवाद पर सख्त संदेश देकर भारत की स्थिति स्पष्ट कर दी, वहीं दोनों देशों ने यह दिखा दिया कि आधुनिक विश्व में लोकतंत्र और विकास ही भविष्य की सबसे बड़ी ताकत हैं।