
मुंबई: भारत का गौरव और एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE), आज अपने 150 वर्ष पूरे कर रहा है। 9 जुलाई 1875 को स्थापित हुए इस ऐतिहासिक वित्तीय संस्थान ने एक बरगद के पेड़ के नीचे कुछ ट्रेडर्स की बैठक से शुरुआत कर वैश्विक मानचित्र पर अपनी मजबूत पहचान बनाई है।
बरगद के पेड़ से पीजे टावर्स तक का सफर
बीएसई की नींव भले ही आधिकारिक तौर पर 1875 में रखी गई हो, लेकिन इसका अनौपचारिक आरंभ 1855 में हुआ था, जब कपास व्यापार से जुड़े कारोबारी दक्षिण मुंबई के टाउन हॉल के पास एक बरगद के पेड़ के नीचे इकट्ठा होते थे। ट्रेडर्स की बढ़ती संख्या और संगठित व्यापार की आवश्यकता के चलते 9 जुलाई 1875 को ‘नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन’ की स्थापना हुई, जो आगे चलकर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज बना।
इस संस्थान की स्थापना टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज (1878) से भी तीन वर्ष पहले हुई थी, जिससे बीएसई को एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज होने का गौरव प्राप्त है।
प्रेमचंद रॉयचंद: बीएसई के प्रारंभिक स्तंभ
बीएसई के संस्थापकों में प्रमुख नाम प्रेमचंद रॉयचंद का है, जिन्हें उस दौर में ‘कॉटन किंग ऑफ बॉम्बे’ कहा जाता था। शुरुआती दौर में एसोसिएशन के 318 सदस्य थे और इसमें प्रवेश शुल्क मात्र 1 रुपया निर्धारित था।
संस्थानिक विकास और आधिकारिक मान्यता
- 1928 में बीएसई के लिए मौजूदा जमीन खरीदी गई।
- 1930 में भवन निर्माण शुरू हुआ।
- 1957 में बीएसई को Securities Contracts (Regulation) Act के तहत आधिकारिक मान्यता मिली।
- 1970 में पीजे टावर्स का निर्माण हुआ, जिसका नाम बीएसई के पूर्व चेयरमैन फिरोज जमशेदजी जीजीभॉय के नाम पर रखा गया।
सेंसेक्स की ऐतिहासिक उड़ान
भारत का पहला स्टॉक इंडेक्स सेंसेक्स वर्ष 1986 में लॉन्च हुआ।
- 1990 में पहली बार 1,000 का आंकड़ा पार किया।
- 1999 में 5,000
- 2007 में 20,000
- और 2024 में ऐतिहासिक 80,000 अंकों को पार किया।
आज का बीएसई: वैश्विक पहचान वाला प्लेटफॉर्म
वर्तमान में बीएसई पर 4,100 से अधिक कंपनियां सूचीबद्ध हैं और इसका बाजार पूंजीकरण 461 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हो चुका है। बीएसई अब विश्व के सबसे प्रमुख और भरोसेमंद स्टॉक एक्सचेंजों की सूची में शामिल है।
बीएसई के 150 साल न केवल एक वित्तीय संस्थान की सफलता की कहानी है, बल्कि यह भारतीय पूंजी बाजार की परिपक्वता और विश्वसनीयता का भी प्रतीक है.