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कैंसर वैक्‍सीन पर बड़ा खुलासा: ‘चमत्कारी’ कहे जा रहे टीके असल में किसे बचाएंगे, जानें एक्सपर्ट की राय

नई दिल्ली: हाल के दिनों में कैंसर की संभावित वैक्‍सीन को लेकर मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म्स पर इसे ‘चमत्कारी इलाज’ बताया जा रहा था। लोगों में उम्मीद थी कि यह टीका स्वस्थ लोगों को कैंसर से बचाने में कारगर साबित होगा। लेकिन अब एक बड़ा अपडेट सामने आया है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की साइंटिफिक कमिटी के चेयरमैन डॉ. राजीव जयदेवन ने साफ कर दिया है कि ये वैक्सीन निवारक (Preventive) नहीं बल्कि चिकित्सीय (Therapeutic) प्रकृति की हैं। यानी, इनका उद्देश्य स्वस्थ लोगों को कैंसर से बचाना नहीं, बल्कि उन मरीजों में कैंसर को दोबारा लौटने से रोकना है जो पहले से इस बीमारी का इलाज करवा चुके हैं।


कैंसर वैक्सीन पर विशेषज्ञ का बड़ा बयान

केरल स्थित IMA रिसर्च सेक्शन के संयोजक और कोच्चि स्थित IMA की वैज्ञानिक समिति के चेयरमैन डॉ. जयदेवन ने कहा:

“ये चिकित्सीय कैंसर टीके हैं, जो पहले से कैंसर का इलाज करा चुके मरीजों में रोग को दोबारा होने से रोकने के लिए बनाए गए हैं। स्वस्थ व्यक्तियों में कैंसर की शुरुआत रोकने के लिए इनका उपयोग नहीं किया जा सकता।”

उन्होंने यह बातें कोच्चि में आयोजित ‘गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ऑन्कोलॉजी सोसायटी’ (GIOS) के दूसरे वार्षिक सम्मेलन के दौरान कहीं।


इम्यूनोथेरेपी की तरह काम करेगी वैक्सीन

डॉ. जयदेवन ने विस्तार से समझाया कि कैंसर वैक्सीन को एक प्रकार की इम्यूनोथेरेपी माना जा सकता है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को इस तरह प्रशिक्षित करती है कि वह कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर सके और उन्हें खत्म कर सके
इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह शरीर की अपनी प्राकृतिक रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर रोग को दोबारा फैलने से रोकती है।


कोलोरेक्टल कैंसर पर फोकस

तीन दिवसीय यह सम्मेलन कोलोरेक्टल कैंसर (CRC) पर केंद्रित है। यह बीमारी बड़ी आंत (कोलन) या मलाशय में शुरू होती है और दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि लाइफस्टाइल, खान-पान और जेनेटिक फैक्टर्स की वजह से कोलोरेक्टल कैंसर के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। भारत में भी पिछले कुछ सालों में इसके रोगियों की संख्या बढ़ी है।


लोगों में बढ़ी उत्सुकता और गलतफहमियां

पिछले कुछ महीनों से मीडिया रिपोर्ट्स और रिसर्च अपडेट्स में कैंसर वैक्सीन को ‘ब्रेकथ्रू’ बताया जा रहा था। कई लोगों को यह उम्मीद बंध गई थी कि यह टीका कैंसर-प्रिवेंशन वैक्सीन की तरह काम करेगा।
हालांकि, एक्सपर्ट्स के स्पष्टीकरण से अब साफ हो गया है कि यह सिर्फ कैंसर सर्वाइवर (Survivors) के लिए डिज़ाइन की गई है ताकि वे दोबारा इस बीमारी से ग्रसित न हों।


कैंसर के टीकों का भविष्य

वैज्ञानिक मानते हैं कि फिलहाल कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी पर आधारित है। लेकिन कैंसर वैक्सीन भविष्य में इलाज की नई और कम साइड-इफेक्ट वाली राह खोल सकती है।

  • वैक्सीन से शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होगी।
  • कैंसर कोशिकाओं की ‘मेमोरी’ बन जाएगी ताकि दोबारा आते ही शरीर तुरंत उन्हें नष्ट कर सके।
  • इससे इलाज के बाद कैंसर के रिलैप्स (दोबारा होने) की संभावना घट जाएगी।

भारत में उम्मीदें और चुनौतियां

भारत जैसे देश में जहां हर साल लाखों नए कैंसर मरीज सामने आते हैं, वैक्सीन का आना बड़ी राहत साबित हो सकता है। लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं:

  1. अभी यह वैक्सीन शुरुआती ट्रायल और रिसर्च स्टेज में है।
  2. इसे आम लोगों तक पहुंचने में वक्त लगेगा।
  3. इसकी क्लीनिकल एफिशिएंसी, कीमत और उपलब्धता पर भी सवाल बने हुए हैं।

डॉ. राजीव जयदेवन के बयान से यह तो साफ हो गया है कि कैंसर वैक्सीन ‘मैजिक बुलेट’ नहीं है जो स्वस्थ लोगों को कैंसर से बचा ले।
लेकिन यह निश्चित तौर पर उन लाखों मरीजों के लिए उम्मीद की किरण है जो इलाज के बाद कैंसर के दोबारा लौट आने के डर से जूझते रहते हैं।
अगर रिसर्च सफल रहती है और आने वाले सालों में ये वैक्सीन बड़े पैमाने पर उपलब्ध हो जाती हैं, तो कैंसर का इलाज पहले से कहीं ज्यादा प्रभावी और सुरक्षित हो सकता है।

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