
नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के सातवें दिन मंगलवार को लोकसभा में चुनाव सुधार विधेयक पर चर्चा के दौरान सदन का माहौल उस समय गर्म हो गया, जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग, वोटर लिस्ट और चुनावी व्यवस्था को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उनके भाषण के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कड़ा विरोध जताया, जिसके चलते सदन में कई मिनट तक जोरदार हंगामा होता रहा।
राहुल गांधी ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे को सबसे बड़ा खतरा चुनाव प्रक्रिया में की जा रही “हेराफेरी और वोट चोरी” से है। उन्होंने दावा किया कि यह केवल राजनीतिक वक्तव्य नहीं, बल्कि उनके पास कई ठोस दस्तावेजी प्रमाण मौजूद हैं।
उन्होंने कहा, “वोट चोरी से बड़ा कोई राष्ट्रविरोधी काम नहीं हो सकता। चुनाव आयोग पर कब्जा कर लिया गया है और इसका इस्तेमाल चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए किया जा रहा है।”
हरियाणा और बिहार के उदाहरण देकर लगाए गंभीर आरोप
राहुल गांधी ने हरियाणा में कथित “वोट चोरी” के उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें मिले दस्तावेज़ों के अनुसार वोटर लिस्ट में एक ब्राजीलियन महिला की तस्वीर 22 बार अलग-अलग मतदाताओं के नाम के साथ दिखाई देती है। उन्होंने इसे “मैन्युपुलेशन का स्पष्ट सबूत” बताया।
भाषण के दौरान उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिहार में SIR (Systematic Image Registry) लागू होने के बाद वोटर लिस्ट में 1 लाख 22 हजार डुप्लीकेट फोटो पाई गईं। राहुल ने सवाल किया कि इतने बड़े पैमाने पर एक ही चेहरे वाली तस्वीरें वोटर सूची में कैसे दर्ज हो गईं।
उन्होंने महाराष्ट्र में भी इसी तरह की अनियमितताओं का दावा करते हुए कहा कि यह कोई ‘इक्का-दुक्का गलती’ नहीं, बल्कि चुनावी प्रक्रिया पर सुनियोजित तरीके से प्रभाव डालने का प्रयास है।
चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव पर सवाल
चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल उठाते हुए राहुल गांधी ने पूछा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया से मुख्य न्यायाधीश (CJI) को क्यों हटाया गया। उन्होंने कहा कि जब चयन समिति में केवल प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और एक केंद्रीय मंत्री रहेंगे, तो यह प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण हो जाएगी।
उन्होंने कहा:
“अगर चयन समिति में केवल प्रधानमंत्री और गृह मंत्री रहेंगे, तो चुनाव आयोग की स्वतंत्रता कैसे बचेगी? चुनाव आयुक्त सरकार की पसंद का क्यों होना चाहिए?”
राहुल ने यह भी आरोप लगाया कि नए कानूनों के तहत चुनाव आयोग की शक्तियों और उसकी पारदर्शिता को कम किया गया है। उन्होंने कहा कि यह केवल “डेटा का मामला नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रीढ़ पर सीधा प्रहार है।”
CCTV और निगरानी कानूनों में बदलाव पर भी टिप्पणी
राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव के दौरान CCTV निगरानी और रिकॉर्डिंग के संबंध में किए गए प्रावधानों में बदलाव यह दर्शाते हैं कि सरकार चुनाव प्रक्रिया को नियंत्रित करना चाहती है। उन्होंने कहा, “यह पूरा खेल चुनाव चुराने का है, न कि केवल तकनीकी बदलाव का।”
RSS का मुद्दा उठते ही सत्ता पक्ष का तीखा विरोध
अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी ने RSS का जिक्र करते हुए कहा कि देश की अधिकांश यूनिवर्सिटी के कुलपति RSS की विचारधारा से जुड़े हैं। जैसे ही उन्होंने यह टिप्पणी की, सत्ता पक्ष के सांसद अपनी सीटों से खड़े हो गए और सदन में भारी शोर-शराबा शुरू हो गया।
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए राहुल गांधी से कहा कि वह केवल चुनाव सुधार पर केंद्रित रहें और किसी संगठन का नाम न लें। उन्होंने कहा, “आप विषय पर बोलिए, किसी संस्था या संगठन का नाम न लें।”
किरण रिजिजू ने राहुल पर लगाया विषय से भटकने का आरोप
संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने भी सदन में खड़े होकर राहुल गांधी की टिप्पणी पर ऐतराज जताया। रिजिजू ने कहा कि पूरा सदन नेता प्रतिपक्ष को सुनने के उद्देश्य से बैठा है, लेकिन वह विषय से हटकर बोल रहे हैं।
रिजिजू ने कहा:“सदस्य चुनाव सुधार पर चर्चा करने आए हैं। यदि नेता प्रतिपक्ष विषय पर नहीं बोल रहे, तो सदन का समय क्यों बर्बाद हो रहा है?”
उनकी इस टिप्पणी के बाद सदन में सत्ता पक्ष की ओर से मेज़ थपथपाए गए, जबकि विपक्ष ने राहुल गांधी का समर्थन करते हुए हंगामा किया।
स्पीकर ने व्यवस्था बनाए रखने की अपील की
बार-बार बढ़ते शोरगुल के बीच लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सदस्यों से व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि सदन में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन मर्यादा का पालन अनिवार्य है।
राहुल गांधी बोले — “सवाल पूछना मेरा हक़ है, जवाब देना चुनाव आयोग का कर्तव्य”
बढ़ते हंगामे के बीच राहुल गांधी ने कहा कि वह चुनाव आयोग से सिर्फ वही सवाल पूछ रहे हैं जो पूरे देश के मतदाताओं के मन में हैं। उन्होंने कहा:
“अगर चुनाव आयोग लोकतांत्रिक संस्था है, तो उसे मेरे सवालों का जवाब देना चाहिए। यह मेरी नहीं, हर भारतीय नागरिक की आवाज़ है।”
विपक्ष का आरोप — सरकार चुनाव सुधार के नाम पर ‘चुनावी कब्जा रणनीति’ लागू करना चाहती है
विपक्षी दलों ने भी राहुल गांधी का समर्थन करते हुए आरोप लगाया कि सरकार चुनाव सुधार के नाम पर चुनाव आयोग और वोटर डाटा पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करना चाहती है। विपक्ष ने इसे “लोकतांत्रिक संस्थाओं पर कब्जे” की रणनीति बताया।
सत्ता पक्ष का पलटवार — बेबुनियाद आरोप, चुनाव आयोग स्वतंत्र और सक्षम
सत्ता पक्ष ने राहुल गांधी के आरोपों को पूरी तरह निराधार और राजनीतिक बताया। बीजेपी नेताओं का कहना था कि वोटर लिस्ट की त्रुटियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है और यह चुनाव प्रक्रिया पर हमला करने की “पूर्व नियोजित कोशिश” है।
आगे क्या?
चुनाव सुधार विधेयक पर चर्चा अगले कुछ सत्रों तक जारी रहने की संभावना है। राहुल गांधी द्वारा पेश किए गए आंकड़ों की सत्यता पर चुनाव आयोग या सरकार की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।



