
नई दिल्ली: लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव — चुनाव — की तैयारी अब एक बार फिर ज़ोर पकड़ने लगी है। चुनाव आयोग ने देशभर में मतदाता सूची को दुरुस्त और अद्यतन करने के लिए “स्पेशल इंटेंसिव रिविजन” (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस बार यह विशेष अभियान केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को शामिल करेगा। इसके तहत लगभग 51 करोड़ मतदाताओं के नाम, पते और अन्य विवरणों का सत्यापन किया जाएगा।
यह प्रक्रिया 28 अक्टूबर 2025 से शुरू हो चुकी है और यह 103 दिनों तक यानी 7 फरवरी 2026 तक चलेगी। इस दौरान मतदाता सूची में नए नाम जोड़े जाएंगे, पुराने या निष्क्रिय नाम हटाए जाएंगे, और गलत प्रविष्टियों को सुधारा जाएगा। आयोग ने इस बार विशेष रूप से स्थानांतरण, दोहरी प्रविष्टियों और मृत मतदाताओं के नामों को हटाने पर ज़ोर दिया है।
चुनाव आयोग की बड़ी पहल — मतदाता सूची को बनाएँ और पारदर्शी
चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि SIR अभियान का मकसद मतदाता सूची को “सटीक, स्वच्छ और पारदर्शी” बनाना है।
“बीते कुछ वर्षों में शहरीकरण, पलायन और डिजिटल अपडेट की वजह से लाखों लोगों के पते बदले हैं। ऐसे में यह ज़रूरी है कि मतदाता सूची वास्तविक जनसंख्या के अनुरूप हो,”
उन्होंने कहा।
इस प्रक्रिया में बंगाल, तमिलनाडु, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, असम, पंजाब और जम्मू-कश्मीर को शामिल किया गया है। कई इन राज्यों में अगले वर्ष विधानसभा या स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं, ऐसे में यह समीक्षा चुनावी पारदर्शिता के लिहाज़ से अहम मानी जा रही है।
बीएलओ घर-घर जाकर करेंगे सत्यापन
इस विशेष अभियान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) का घर-घर जाकर सत्यापन करना।
आयोग ने स्पष्ट किया है कि बीएलओ हर मतदाता के घर पर जाकर फॉर्म भरवाएंगे और जानकारी की पुष्टि करेंगे। अगर किसी परिवार के सदस्य पहले प्रयास में घर पर नहीं मिलते हैं, तो बीएलओ तीन बार तक घर आने का प्रयास करेंगे।
यदि मतदाता तीनों बार अनुपस्थित रहते हैं, तो बूथ लेवल ऑफिसर नोटिस जारी करेंगे, और उसके बाद भी यदि व्यक्ति एसआईआर प्रक्रिया में शामिल नहीं होता है, तो उसका नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है।
यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि कोई भी “फर्जी या निष्क्रिय वोट” सूची में न रह जाए।
नाम जोड़ने, हटाने या सुधार के लिए ये फॉर्म होंगे अनिवार्य
वोटर लिस्ट में सुधार या अपडेट के लिए मतदाताओं को संबंधित फॉर्म भरने होंगे।
- Form-6: नया नाम जोड़ने के लिए
- Form-7: नाम हटाने या आपत्ति दर्ज करने के लिए
- Form-8: विवरण या पते में सुधार के लिए
सभी फॉर्म बीएलओ या बूथ लेवल एजेंट (BLA) के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं। साथ ही मतदाताओं को स्थायी पते, आयु और पहचान से जुड़े दस्तावेज़ (जैसे आधार कार्ड, राशन कार्ड, या बिजली बिल) प्रस्तुत करने होंगे।
इसके अलावा, आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर किसी मतदाता का नाम दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों की सूची में पाया गया, तो उसे एक स्थान से नाम हटवाना अनिवार्य होगा।
ऑनलाइन भी संभव है वोटर लिस्ट अपडेट
चुनाव आयोग ने इस बार टेक्नोलॉजी को भी प्रक्रिया से जोड़ा है। अब मतदाता NVSP (National Voters’ Service Portal) या Voter Helpline App के ज़रिए भी अपना नाम जोड़, हटा या सुधार सकते हैं। इससे उन लोगों को सुविधा मिलेगी जो किसी अन्य शहर में काम या पढ़ाई कर रहे हैं।
“हम चाहते हैं कि हर योग्य नागरिक का नाम मतदाता सूची में हो और कोई भी डुप्लीकेट या अमान्य प्रविष्टि न रहे,”
आयोग के एक अन्य अधिकारी ने कहा।
प्रवासी और शहरी मतदाताओं पर रहेगा फोकस
भारत में तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण और रोजगार के लिए हो रहे प्रवास के कारण बड़ी संख्या में मतदाता एक राज्य से दूसरे राज्य या शहर में बस गए हैं।
ऐसे में आयोग ने विशेष रूप से इन “माइग्रेंट वोटर्स” पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया है।
अगर कोई व्यक्ति बिहार से दिल्ली, या यूपी से महाराष्ट्र में स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुका है, तो उसे नए पते पर पुन: पंजीकरण कराना आवश्यक होगा। अन्यथा, वह दोनों जगह से मतदान सूची से बाहर हो सकता है।
दोहरे नाम, मृत मतदाता और फर्जी प्रविष्टियों पर सख्ती
SIR प्रक्रिया में एक और अहम बिंदु है — डुप्लीकेट और फर्जी नामों को हटाना।
आयोग ने कहा है कि कई बार एक ही व्यक्ति का नाम दो विधानसभा क्षेत्रों में दर्ज पाया जाता है। इस पर अब सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही, मृत व्यक्तियों के नामों को भी सूची से हटाया जाएगा ताकि चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता बनी रहे।
आयोग की अपील — मतदाता बने जिम्मेदार नागरिक
चुनाव आयोग ने देश के सभी मतदाताओं से अपील की है कि वे इस विशेष समीक्षा में सक्रिय रूप से हिस्सा लें।
“यह केवल सरकार या आयोग की प्रक्रिया नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि उसका नाम सही जानकारी के साथ सूची में हो,”
अधिकारियों ने कहा।
इस प्रक्रिया के बाद अंतिम मतदाता सूची मार्च 2026 तक प्रकाशित किए जाने की संभावना है।
मुख्य तथ्य एक नज़र में
| बिंदु | विवरण |
|---|---|
| प्रक्रिया का नाम | Special Intensive Revision (SIR) |
| शुरुआत की तारीख | 28 अक्टूबर 2025 |
| समापन की तारीख | 7 फरवरी 2026 |
| अवधि | 103 दिन |
| शामिल राज्य/केंद्रशासित प्रदेश | 12 |
| कुल मतदाता | लगभग 51 करोड़ |
| प्रमुख फोकस | नाम जोड़ना, हटाना, सुधार और सत्यापन |
| बीएलओ की विज़िट | अधिकतम 3 बार |
| अंतिम सूची प्रकाशन | संभावित रूप से मार्च 2026 |
भारत में हर चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व होता है, लेकिन इसकी सच्ची आत्मा तब ही जीवित रहती है जब हर योग्य नागरिक सही जानकारी के साथ सूची में दर्ज हो। चुनाव आयोग की यह पहल — “स्पेशल इंटेंसिव रिविजन” — न केवल पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह सुनिश्चित करेगी कि “एक मतदाता, एक वोट” की मूल भावना अक्षुण्ण बनी रहे।



