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राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज बेंगलुरु में आर्ट ऑफ लिविंग के अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि भारत की नारी शक्ति आकांक्षा, उपलब्धि और योगदान के लिए आगे बढ़ रही है। चाहे विज्ञान हो, खेल हो, राजनीति हो, कला हो या संस्कृति हो, हमारी बहनें और बेटियां आगे बढ़ रही हैं, अपना सिर ऊंचा कर रही हैं। वे अपने परिवार, संस्थानों और देश को गौरवान्वित कर रही हैं। मानसिक रूप से मजबूत हुए बिना बाधाओं को तोड़ना और रूढ़ियों को चुनौती देना संभव नहीं है। उन्होंने प्रत्येक महिला से साहस जुटाने, बड़े सपने देखने और इन्हें पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत और क्षमता का उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अपने लक्ष्य की ओर उनका हर छोटा कदम, विकसित भारत की दिशा में एक कदम है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हम तकनीकी व्यवधान के युग में हैं। प्रौद्योगिकी की प्रगति ने हमें कुछ मायनों में बेहतर जीवन स्तर दिया है। ऐसी प्रतिस्पर्धी दुनिया में, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे मानवीय मूल्य बरकरार रहें। वास्तव में, प्रत्येक मनुष्य को करुणा, प्रेम और एकता के मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए सचेत रूप से अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता है। यहीं पर महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। महिलाओं में करुणा के माध्यम से नेतृत्व करने की विशेष क्षमता होती है। वे व्यक्ति से परे देखने और परिवारों, समुदायों और यहां तक कि वैश्विक स्तर पर रिश्तों की भलाई के लिए काम करने की क्षमता रखती हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस सम्मेलन में भाग लेने वाली सभी महिलाएं ऐसे आध्यात्मिक सिद्धांतों के साथ सामने आएंगी जिन्हें लोग अपने जीवन और अपने आस-पास के लोगों के जीवन को और अधिक सुंदर तथा शांतिपूर्ण बनाने के लिए आत्मसात कर सकते हैं।
राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि आर्ट ऑफ लिविंग शिक्षा के क्षेत्र में कई पहल कर रहा है। उन्होंने कहा कि मानवता के लिए हमारे बच्चों की शिक्षा से बड़ा कोई निवेश नहीं है। सही मार्गदर्शन और सहयोग के साथ, बच्चे हमारे राष्ट्र की यात्रा में सक्रिय भागीदार बन सकते हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने सभी से पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का आग्रह किया।