
उत्तराखंड में नजूल भूमि के फ्री होल्ड पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है, जिससे राज्य के हजारों लोगों को बड़ा झटका लगा है। यह कदम राज्य सरकार को हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद उठाना पड़ा है, और इसके कारण राज्य में लागू नजूल नीति 2021 के तहत नजूल भूमि के फ्री होल्ड का प्रावधान अप्रभावी हो गया है।
फ्री होल्ड पर रोक: एक बड़ा बदलाव
उत्तराखंड के मैदानी जिलों में रहने वाले हजारों लोग अब नजूल भूमि पर फ्री होल्ड नहीं करवा पाएंगे, जिसके लिए शासन ने मंडलायुक्त और जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं। नजूल भूमि पर फ्री होल्ड का मामला हमेशा से विवादों में रहा है। राज्य सरकार ने इस विषय पर कई बार वादे किए और कदम उठाए, लेकिन यह हमेशा न्यायिक पचड़ों में फंसता रहा।
नजूल भूमि क्या है?
नजूल भूमि वह भूमि होती है, जो आज़ादी से पहले अंग्रेजों ने राजाओं से कब्जा कर ली थी, और स्वतंत्रता के बाद इस पर सरकारी नियंत्रण कायम किया गया। कुछ लोगों को यह भूमि लीज पर दी जाती है, जबकि अन्य ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया। नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने का प्रयास राज्य सरकार ने किया, ताकि जो लोग इस पर काबिज हैं, उन्हें स्वामित्व मिल सके। इसके लिए कुछ शुल्क लिया जाता है और इसके बाद यह भूमि उनके नाम हो जाती है।
नजूल नीति और न्यायिक आदेश
नजूल नीति 2009 के तहत फ्री होल्ड की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन इसे नैनीताल हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि सरकारी भूमि को इस तरह निजी स्वामित्व में नहीं दी जा सकती। इसके बाद 8000 से ज्यादा परिवारों को झटका लगा था, जिन्होंने नजूल नीति के तहत शुल्क देकर स्वामित्व प्राप्त किया था।
सुप्रीम कोर्ट का स्टे और राज्य सरकार की स्थिति
जून 2018 में हाईकोर्ट के फैसले के बाद, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की, जिसके परिणामस्वरूप 31 दिसंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्टे (रोक) लगा दिया। इसके बावजूद राज्य सरकार ने नजूल नीति 2021 को मंजूरी दे दी और फ्री होल्ड की प्रक्रिया जारी रखी। इसे एक साल के लिए लागू किया गया था, और बाद में 10 दिसंबर 2023 तक बढ़ाया गया था।
नई रोक: 16 अप्रैल 2025 का निर्णय
हाल ही में, 16 अप्रैल 2025 को, नैनीताल हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने नजूल भूमि पर फ्री होल्ड की प्रक्रिया पर रोक लगा दी। इस आदेश का पालन करते हुए राज्य शासन ने तुरंत फ्री होल्ड पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं।
नजूल भूमि पर कब्जे का आकार
उत्तराखंड में नजूल भूमि खासकर उधम सिंह नगर, नैनीताल और देहरादून में स्थित है। इन क्षेत्रों में बस्तियां और कालोनियां विकसित हो चुकी हैं, और लगभग डेढ़ लाख लोग इन भूमि पर काबिज हैं। इनमें से कई लोग पहले ही नजूल नीति के तहत फ्री होल्ड भी करवा चुके थे।