
देहरादून: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण का मतदान शांतिपूर्वक संपन्न हो चुका है और दूसरे चरण के लिए 28 जुलाई को मतदान प्रस्तावित है। इसी बीच चुनाव प्रक्रिया को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में एक अवमानना याचिका दाखिल की गई है, जिसने राजनीतिक माहौल में हलचल बढ़ा दी है।
याचिका शक्ति सिंह बर्तवाल द्वारा दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी है, जिनके नाम दो अलग-अलग मतदाता सूचियों में दर्ज हैं।
“कोर्ट के आदेश की अवहेलना”, याचिकाकर्ता ने लगाए गंभीर आरोप
याचिकाकर्ता के अनुसार, नैनीताल हाईकोर्ट पूर्व में यह स्पष्ट कर चुका है कि दोहरी वोटर लिस्ट में दर्ज व्यक्ति पंचायत चुनाव लड़ने के अयोग्य होंगे। बावजूद इसके, ऐसे कई उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनके नाम दो स्थानों की मतदाता सूची में मौजूद हैं।
शक्ति सिंह बर्तवाल ने अदालत को बताया कि उन्होंने 500 से अधिक ऐसे उम्मीदवारों की सूची राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपी थी। लेकिन आयोग ने अब तक इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिससे यह अदालती आदेश की सीधी अवहेलना बनती है।
चुनाव आयोग के रुख पर उठे सवाल
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि चुनाव आयोग को पहले ही इस स्थिति के समाधान के लिए निर्देशित किया जा चुका था। इसके बावजूद, किसी भी उम्मीदवार को चुनाव से अयोग्य घोषित नहीं किया गया, न ही किसी नाम को वोटर लिस्ट से हटाया गया।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है ताकि चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रह सके।
31 जुलाई को मतगणना, हाईकोर्ट के रुख पर निगाहें
उत्तराखंड के 12 जिलों में पंचायत चुनावों की मतगणना 31 जुलाई को प्रस्तावित है। जबकि निर्वाचन आयोग शेष चुनाव प्रक्रिया को निष्पादित करने में जुटा है, अवमानना याचिका ने पूरे चुनावी माहौल को नया मोड़ दे दिया है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या नैनीताल हाईकोर्ट इस याचिका पर तत्काल सुनवाई करते हुए हस्तक्षेप करेगा, या मतगणना की प्रक्रिया अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही चलेगी।