
नई दिल्ली/लखनऊ/अयोध्या: अयोध्या की धरती इस बार फिर इतिहास रच रही है। भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या दीपों की ऐसी जगमगाहट में नहाई कि पूरा विश्व देखता रह गया। दीपोत्सव 2025 में इस बार एक नया विश्व रिकॉर्ड बना — जब सरयू तट से लेकर पूरे नगर तक करोड़ों दीपों की श्रृंखलाओं ने रात के अंधकार को प्रकाशमय कर दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक समारोह में स्वयं रथ खींचा, आरती उतारी, और भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और गुरु वशिष्ठ के स्वरूपों का तिलक किया। उनके साथ प्रदेश सरकार के मंत्री सूर्य प्रताप शाही, जयवीर सिंह, राकेश सचान और सतीश शर्मा भी इस भव्य आयोजन में सम्मिलित रहे।
आकाश में आतिशबाज़ी, सरयू के जल पर दीपों का प्रतिबिंब और रामकथा पार्क में जयघोष — यह दृश्य न केवल धार्मिक बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अनुपम था।
रामकथा पार्क में रामराज्य का भव्य मंचन
अयोध्या के रामकथा पार्क में इस वर्ष का दीपोत्सव ऐतिहासिक रहा। मंच पर रामराज्याभिषेक का भव्य मंचन हुआ, जिसमें पुष्पक विमान रूपी हेलीकॉप्टर से पहुंचे भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान के स्वरूपों ने पूरे माहौल को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
जैसे ही भगवान श्रीराम का रथ प्रकट हुआ, पूरा परिसर “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा। लोगों ने पुष्पवृष्टि कर रामलला का स्वागत किया। इस अवसर पर देशभर से आए लाखों श्रद्धालुओं की आंखें श्रद्धा से छलक पड़ीं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा,
“दीपोत्सव केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, मर्यादा और भक्ति का उत्सव है। यह भारत के आत्मविश्वास और आस्था का प्रतीक है। आज अयोध्या उस भारत का स्वरूप दिखा रही है जो सबको जोड़ता है, सबको आलोकित करता है।”
राम की पैड़ी पर विश्व रिकॉर्ड स्तर का दीप प्रज्ज्वलन
अयोध्या की राम की पैड़ी पर इस बार विश्व रिकॉर्ड स्तर पर दीप प्रज्ज्वलन किया गया। लाखों स्वयंसेवकों और छात्रों ने हाथों में तेल और बत्तियाँ लिए मिलकर एकता, प्रेम और भक्ति की ऐसी मिसाल पेश की जिसने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया।
रात करीब सात बजे जब सभी दीप एक साथ प्रज्वलित हुए, तो सरयू का जल सोने की तरह चमक उठा। ड्रोन कैमरों ने जब ऊपर से नज़ारा दिखाया, तो पूरा दृश्य मानो आकाशगंगा जैसा प्रतीत हो रहा था — धरती पर उतर आया एक स्वर्गिक दृश्य।
गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स टीम के प्रतिनिधि भी इस अवसर पर मौजूद रहे। सूत्रों के अनुसार, इस वर्ष का दीपोत्सव पिछले सभी रिकॉर्डों को पीछे छोड़ते हुए सबसे अधिक संख्या में दीयों के एक साथ प्रज्वलन के लिए पंजीकृत किया गया है।
लेज़र शो, रामलीला और डिजिटल दीपोत्सव का संगम
सरयू तट पर आयोजित लेज़र और लाइट शो ने दीपोत्सव की भव्यता को और बढ़ा दिया। रामकथा की घटनाओं — राम जन्म से लेकर रावण वध और राज्याभिषेक तक — को आधुनिक तकनीक से दिखाया गया। दर्शक इस दृश्य को देखकर मंत्रमुग्ध रह गए।
इसके साथ ही इस बार का दीपोत्सव डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भी लाखों लोगों ने लाइव देखा। प्रदेश सरकार ने अयोध्या में ‘डिजिटल दीपोत्सव’ की विशेष व्यवस्था की थी, जिसके तहत देश-विदेश के लोग ऑनलाइन अपने-अपने घरों से दीप प्रज्वलित कर आस्था से जुड़ सके।
अयोध्या की सड़कों पर दिखा भक्ति और सौंदर्य का अद्भुत संगम
पूरे अयोध्या शहर को फूलों, दीयों और विद्युत सजावट से सजाया गया था। हनुमानगढ़ी, रामलला मंदिर, कनक भवन, भरतकुंड, गुप्तार घाट जैसे सभी धार्मिक स्थलों को दीपमालाओं से सजाया गया।
गली-गली में भजन-कीर्तन गूंज रहे थे, महिलाएं पारंपरिक परिधानों में आरती थाल लिए खड़ी थीं और बच्चे दीप लेकर “जय श्रीराम” के नारे लगा रहे थे। श्रद्धालु परिवारों ने अपने-अपने घरों के बाहर दीए जलाकर रामराज्य के आगमन का स्वागत किया।
आस्था और प्रशासन का उत्कृष्ट संयोजन
अयोध्या प्रशासन ने इस आयोजन के लिए महीनों पहले से तैयारी की थी। सुरक्षा, ट्रैफिक प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवाएं और स्वच्छता के लिए हजारों कर्मियों की तैनाती की गई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दीपोत्सव केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक पर्यटन का प्रतीक बन चुका है। उन्होंने कहा कि दीपोत्सव के माध्यम से अयोध्या न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए “विश्व आध्यात्मिक राजधानी” बनने की दिशा में अग्रसर है।
रामलला मंदिर में विशेष पूजा और आरती
दीपोत्सव के अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना हुई। मंदिर परिसर को हजारों दीपों से सजाया गया। मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भगवान रामलला का श्रृंगार किया और प्रदेश की सुख-समृद्धि के लिए विशेष महाआरती की गई।
रामलला के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहीं। देश के कोने-कोने से आए भक्तों ने बताया कि यह अवसर उनके लिए केवल धार्मिक नहीं, बल्कि भावनात्मक अनुभव भी है।
‘दीपोत्सव’ से दुनिया के सामने ‘नया भारत’
विशेषज्ञों का मानना है कि अयोध्या का यह दीपोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि “सांस्कृतिक कूटनीति” का उदाहरण है। यह आयोजन भारत की वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को दुनिया के सामने प्रस्तुत करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा,
“आज जब सरयू तट पर करोड़ों दीप एक साथ जल रहे हैं, यह केवल अयोध्या की रोशनी नहीं — यह भारत की आत्मा का आलोक है, जो पूरी मानवता को संदेश देता है कि अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, एक दीप उसे मिटा सकता है।”
अयोध्या: आस्था की राजधानी
दीपोत्सव के साथ अयोध्या ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि वह न केवल भारत की धार्मिक राजधानी है, बल्कि विश्व की आस्था और शांति की राजधानी भी बनती जा रही है।
रात ढलने के बाद भी सरयू किनारे जलते दीपों की लहरें मानो कह रही थीं —“जहां-जहां राम, वहां-वहां प्रकाश।”