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केरल के त्रिशूर में ‘अफ्रीकी स्वाइन फीवर’ की पुष्टि, एक किमी का इलाका सील, मांस की बिक्री पर रोक

अधिकारियों ने 10 किमी दायरे में निगरानी बढ़ाई, विशेषज्ञ बोले – यह इंसानों के लिए नहीं, लेकिन सूअरों के लिए बेहद घातक

नई दिल्ली/त्रिशूर: केरल के त्रिशूर जिले में ‘अफ्रीकी स्वाइन फीवर’ (African Swine Fever, ASF) के प्रकोप की आधिकारिक पुष्टि हो गई है। मुलनकुन्नाथुकावु पंचायत के वार्ड नंबर छह में सूअरों में संक्रमण पाए जाने के बाद प्रशासन ने तुरंत ऐहतियाती कदम उठाते हुए प्रभावित फार्म के चारों ओर एक किलोमीटर के इलाके को संक्रमित क्षेत्र घोषित कर दिया है। इसके अलावा 10 किलोमीटर के दायरे में कड़ी निगरानी रखी जा रही है ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके।

यह मामला तब सामने आया जब भोपाल की एक सरकारी प्रयोगशाला में किए गए परीक्षणों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद स्थानीय प्रशासन और पशुपालन विभाग ने युद्धस्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी है।


प्रशासन ने तुरंत कसे शिकंजे

त्रिशूर जिले के जिलाधिकारी अर्जुन पांडियन ने आदेश जारी करते हुए प्रभावित क्षेत्र से सूअर के मांस की बिक्री और परिवहन पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही, प्रभावित फार्म और उसके आसपास गहन कीटाणुशोधन और सफाई अभियान शुरू किया गया है।
अधिकारियों का कहना है कि एक त्वरित प्रतिक्रिया दल (Rapid Response Team) को मौके पर तैनात किया गया है, जो हर गतिविधि पर पैनी नजर रख रहा है।


विशेषज्ञों की चेतावनी: इंसानों को खतरा नहीं, लेकिन सूअरों में तबाही

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. इसाक सैम ने स्पष्ट किया है कि यह वायरस केवल सूअरों को प्रभावित करता है, इंसानों या अन्य पशुओं में इसके फैलने का कोई खतरा नहीं है।
हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि इसे नियंत्रित न किया गया तो यह बीमारी पूरे सूअर उद्योग और कृषि अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा सकती है।


अफ्रीकी स्वाइन फीवर क्या है?

  • अफ्रीकी स्वाइन फीवर एक बेहद संक्रामक वायरल बीमारी है, जो घरेलू और जंगली सूअरों में फैलती है।
  • इसकी मृत्यु दर करीब 100 प्रतिशत तक पहुंच सकती है, यानी संक्रमित सूअर का बच पाना लगभग नामुमकिन है।
  • इस बीमारी का पहली बार 1920 में अफ्रीका में पता चला था और तब से यह कई देशों में तबाही मचा चुकी है।
  • वायरस इतना मजबूत और प्रतिरोधी है कि यह कपड़ों, जूतों, गाड़ियों के पहियों और अन्य सामग्रियों पर लंबे समय तक जीवित रह सकता है।
  • यह वायरस सूअर के मांस से बने उत्पादों जैसे हैम, सॉसेज और बेकन में भी सक्रिय रह सकता है।

भारत में ASF का खतरा क्यों गंभीर है?

भारत में पिछले कुछ वर्षों में ASF के मामलों ने सरकार और किसानों दोनों की चिंता बढ़ाई है।

  • असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मिजोरम जैसे उत्तर-पूर्वी राज्यों में पहले भी ASF के कारण हजारों सूअरों की मौत हो चुकी है।
  • सूअर पालन न केवल एक पारंपरिक आजीविका है, बल्कि कई राज्यों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • केरल जैसे राज्यों में यह उद्योग लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में ASF का प्रकोप किसानों के लिए भारी आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है।

संक्रमण कैसे फैलता है?

ASF का वायरस कई तरीकों से फैल सकता है –

  1. संक्रमित सूअर के रक्त, मांस या अन्य उत्पादों के जरिए।
  2. दूषित चारे, पानी या कचरे के माध्यम से।
  3. कपड़े, जूते और गाड़ियों जैसी वस्तुओं पर चिपक कर।
  4. सूअरों को काटने वाले कीट-पतंगों से।

विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी यही खासियत इसे इतना खतरनाक बनाती है, क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही से यह तेजी से फैल सकता है।


बचाव के उपाय

ASF का कोई टीका या दवा उपलब्ध नहीं है। यही कारण है कि संक्रमित सूअरों को तुरंत मारकर नष्ट करना ही इसे रोकने का एकमात्र तरीका है।
पशुपालन विभाग के अधिकारी प्रभावित क्षेत्र में फार्मों की गहन सफाई, कीटाणुशोधन और सैनिटाइजेशन करा रहे हैं। किसानों से अपील की गई है कि वे सूअरों के चारे और पानी की विशेष निगरानी करें और किसी भी संदिग्ध लक्षण पर तुरंत सूचना दें।


किसानों और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर

त्रिशूर जिले के कई परिवारों की आजीविका सूअर पालन पर निर्भर है। ASF के प्रकोप के चलते वे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
मांस की बिक्री और परिवहन पर रोक लगने से किसानों की आय पर सीधा असर पड़ रहा है। कई किसान इस बात से चिंतित हैं कि यदि संक्रमण लंबे समय तक बना रहा तो उन्हें अपने पूरे पशुधन को नष्ट करना पड़ सकता है।


सरकार और प्रशासन की चुनौतियाँ

राज्य सरकार और जिला प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती अब यह है कि संक्रमण को प्रभावित फार्म तक सीमित रखा जाए। इसके लिए न सिर्फ मेडिकल टीमें, बल्कि पुलिस और स्थानीय निकाय भी सक्रिय रूप से लगे हुए हैं।
सरकार ने यह भी संकेत दिए हैं कि प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा और सहायता दी जाएगी ताकि उनकी आजीविका पर पड़ने वाले असर को कम किया जा सके।

त्रिशूर जिले में अफ्रीकी स्वाइन फीवर की पुष्टि ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि भारत को पशु स्वास्थ्य और बायो-सिक्योरिटी को लेकर और अधिक सतर्क रहना होगा। भले ही यह बीमारी इंसानों के लिए खतरा न हो, लेकिन सूअर पालन करने वाले किसानों और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए यह एक गंभीर आपदा साबित हो सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते उठाए गए कदम ही इस संक्रमण को फैलने से रोक सकते हैं। यही वजह है कि प्रशासन ने इलाके को सील कर निगरानी बढ़ा दी है और लोगों से अपील की है कि वे नियमों का पालन करें और अफवाहों से बचें।

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