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उत्तराखंड में पीएमश्री मॉडल पर बनेगी नई शिक्षा योजना: मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने दी दिशा

लखपति दीदी योजना के सशक्तीकरण पर भी जोर, स्वयं सहायता समूहों के लिए क्षमता विकास कार्यक्रम संचालित करने के निर्देश

देहरादून, 17 अक्टूबर 2025 (सू. ब्यूरो): उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी पहल की तैयारी की जा रही है। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने शुक्रवार को सचिवालय में आयोजित समीक्षा बैठक में निर्देश दिए कि प्रदेश में भी पीएमश्री योजना की तर्ज पर विद्यालयों के आधुनिकीकरण के लिए एक नई राज्य स्तरीय योजना संचालित की जाए।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (PM SHRI) योजना ने देशभर के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता, आधारभूत ढांचे और आधुनिक शिक्षण संसाधनों को सुदृढ़ किया है। अब उत्तराखंड में भी इसी मॉडल को अपनाकर सरकारी विद्यालयों को नई तकनीक, स्मार्ट क्लास, विज्ञान प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों और खेल सुविधाओं से लैस किया जाएगा।


शिक्षा में गुणवत्ता और तकनीक का संगम

मुख्य सचिव बर्द्धन ने बताया कि पीएमश्री योजना के अंतर्गत प्रत्येक चयनित विद्यालय को पांच वर्षों में कुल दो करोड़ रुपये (हर वर्ष 40-40 लाख रुपये) की धनराशि प्रदान की जाती है। इस धनराशि का उपयोग विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल लर्निंग टूल्स, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों और खेल सुविधाओं के विकास के लिए किया जाता है।

उन्होंने कहा कि राज्य में भी इसी मॉडल के तहत एक विशेष योजना तैयार की जाएगी ताकि उत्तराखंड के सभी सरकारी विद्यालयों को आधुनिक शिक्षण सुविधाओं से सुसज्जित किया जा सके। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि इस योजना की शुरुआत क्लस्टर विद्यालयों से की जाए, जिससे प्रभावी क्रियान्वयन और बेहतर मॉनिटरिंग सुनिश्चित हो सके।

उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा विभाग को प्राथमिकता के आधार पर ऐसे विद्यालयों की पहचान करनी चाहिए जहां छात्रों की संख्या अधिक है और जो आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किए जा सकते हैं।


लखपति दीदी योजना को मिलेगी नई दिशा

मुख्य सचिव ने बैठक में लखपति दीदी योजना की भी समीक्षा की और इसे और अधिक कारगर और परिणामोन्मुख बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups – SHGs) को सशक्त बनाने के लिए नियमित क्षमता विकास (Capacity Building) कार्यक्रम संचालित किए जाएं।

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों में तकनीक का अधिकतम उपयोग और गुणवत्ता सुधार सुनिश्चित किया जाए, ताकि ये उत्पाद राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर सकें।

उन्होंने कहा कि “लखपति दीदी योजना केवल आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम नहीं है, बल्कि यह महिलाओं को आत्मनिर्भरता और नेतृत्व क्षमता प्रदान करने वाली योजना है। इसके तहत उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और विपणन पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।”


मॉनिटरिंग और मार्केटिंग पर विशेष फोकस

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य स्तरीय संचालन समिति और निगरानी समिति का गठन शीघ्र किया जाए और उनकी निरंतर बैठकें आयोजित की जाएं, ताकि योजना की प्रगति की वास्तविक समय में समीक्षा की जा सके।

उन्होंने कहा कि लखपति दीदी योजना के उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स, रिटेल चेन और ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर अधिक से अधिक उपलब्ध कराया जाए। इससे स्वयं सहायता समूहों की आय बढ़ेगी और राज्य के ग्रामीण उत्पादों को व्यापक पहचान मिलेगी।

मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के ब्रांड “हाउस ऑफ हिमालयाज” (House of Himalayas) के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए गुणवत्तापूर्ण उत्पादों को शामिल किया जाए, ताकि उत्तराखंड के पारंपरिक हस्तशिल्प, जैविक उत्पाद और महिला उद्यमशीलता को राष्ट्रीय स्तर पर मंच मिले।


सामाजिक-आर्थिक बदलाव की दिशा में कदम

बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य केवल योजनाओं को लागू करना नहीं, बल्कि इनके माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के स्तर में स्थायी सुधार लाना है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में, जहाँ भौगोलिक परिस्थितियाँ चुनौतीपूर्ण हैं, वहाँ शिक्षा और आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में नवाचार आधारित योजनाएँ ही स्थायी बदलाव ला सकती हैं।


बैठक में उपस्थित अधिकारी

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम, अपर सचिव विजय कुमार जोगदण्डे, मेहरबान सिंह बिष्ट और झरना कामठान सहित शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि दोनों योजनाओं — पीएमश्री मॉडल आधारित शिक्षा योजना और लखपति दीदी कार्यक्रम — की प्रगति पर मुख्यमंत्री स्तर से नियमित समीक्षा की जाएगी।


राज्य की दृष्टि: आत्मनिर्भर समाज और आधुनिक शिक्षा का समन्वय

राज्य सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक उत्तराखंड शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी राज्यों में शामिल हो। इसके लिए स्कूलों को डिजिटल और आधुनिक बनाना, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना प्राथमिकताओं में है। मुख्य सचिव के अनुसार, “अगर विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता और घरों में आर्थिक स्वावलंबन दोनों साथ-साथ बढ़ते हैं, तो राज्य का समग्र विकास सुनिश्चित होगा।”

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