
नई दिल्ली। संसद से पारित विकसित भारत ‘जी राम जी’ बिल पर जल्द ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी लगने की संभावना है, जिसके बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा। लेकिन इसके पहले ही इस पर राजनीतिक घमासान तेज़ हो गया है और अब कांग्रेस सांसद की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति ने भी इस बिल की विस्तृत समीक्षा करने का निर्णय लिया है।
मनरेगा की जगह नई स्कीम, बढ़ा विवाद
सरकार विकसित भारत ‘जी राम जी’ बिल के ज़रिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) की जगह नई स्कीम लागू करना चाहती है, जिसे लोकसभा और राज्यसभा दोनों से मंजूरी मिल चुकी है। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार ने मनरेगा जैसी सामाजिक सुरक्षा योजना पर ‘बुलडोज़र’ चला दिया है और ग्रामीण रोज़गार के अधिकार को कमजोर करने की कोशिश की है।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे गरीबों और ग्रामीण मज़दूरों के हितों पर चोट बताते हुए कहा है कि सरकार मनरेगा की संवैधानिक भावना और उसकी संरचना को खत्म कर रही है। विपक्ष लगातार मांग कर रहा है कि इस बिल को वापस लिया जाए और किसी भी नए ढांचे पर सभी दलों से व्यापक चर्चा हो।
स्थायी समिति की बैठक व एजेंडा
ग्रामीण विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने विकसित भारत ‘जी राम जी’ बिल की समीक्षा के लिए 29 दिसंबर को बैठक बुलाई है, जिसमें मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को विस्तृत प्रेज़ेंटेशन देने के लिए कहा गया है। बैठक के एजेंडे के अनुसार, अधिकारियों से यह बताने को कहा गया है कि नया बिल प्रावधानों, फंडिंग पैटर्न, अधिकारों और जवाबदेही के स्तर पर मनरेगा से किस तरह अलग है और ज़मीन पर इसके क्या प्रभाव होंगे।
हालाँकि, संसदीय नियमों के अनुसार बिल पहले ही संसद से पारित हो चुका है, इसलिए स्थायी समिति की किसी भी सिफारिश का सीधे तौर पर विधेयक की वैधता या उसके प्रावधानों पर असर नहीं पड़ेगा। फिर भी समिति की रिपोर्ट राजनीतिक बहस और भविष्य की नीतिगत दिशा के लिए महत्त्वपूर्ण संदर्भ दस्तावेज़ मानी जाएगी।
राजनीतिक सियासत और कांग्रेस की रणनीति
ग्रामीण विकास से जुड़ी इस स्थायी समिति के अध्यक्ष ओडिशा से कांग्रेस के अकेले लोकसभा सांसद सप्तगिरि शंकर उलाका हैं, ऐसे में बैठक में सरकार से तीखे सवाल पूछे जाने की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि समिति के कई सदस्य मनरेगा के बजट, कार्यदिवस, मज़दूरी दर और पारदर्शिता से जुड़े मुद्दों पर नए बिल की तुलना में विस्तार से स्पष्टीकरण मांग सकते हैं।
कांग्रेस ने विकसित भारत ‘जी राम जी’ बिल के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलते हुए इसे ग्रामीण भारत के हितों के विरुद्ध बताया है और सड़क से संसद तक विरोध तेज़ करने की घोषणा की है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि इस बिल के खिलाफ़ लड़ाई जारी रहेगी और विपक्ष सरकार पर दबाव बनाए रखेगा, ताकि उसे इसे वापस लेने या बड़े बदलाव करने के लिए मजबूर किया जा सके।



