
देहरादून: उत्तराखंड में वर्षों से चली आ रही पलायन की समस्या से निपटने और रिवर्स पलायन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने अपनी रणनीति को और मजबूत करने के संकेत दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग, उत्तराखंड की 10वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए स्पष्ट किया कि राज्यभर में प्रवासी पंचायतों का आयोजन किया जाएगा, ताकि देश और विदेश में कार्यरत उत्तराखंडी प्रवासियों को अपने गांवों से जोड़कर वापस लौटने के लिए प्रेरित किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पलायन लंबे समय से उत्तराखंड के लिए एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक चुनौती रहा है, लेकिन बीते चार–पांच वर्षों में राज्य सरकार ने रिवर्स पलायन को प्रोत्साहित करने की दिशा में ठोस और परिणामोन्मुखी कदम उठाए हैं। इन प्रयासों के अब उत्साहजनक परिणाम सामने आने लगे हैं।
ग्रामीण आजीविका को मजबूत करने पर सरकार का जोर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बैठक में कहा कि राज्य सरकार का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी आजीविका के अवसर सृजित करना है, ताकि लोगों को रोजगार के लिए शहरों या अन्य राज्यों की ओर पलायन न करना पड़े। इसके लिए कृषि, पशुपालन, पर्यटन, लघु उद्योग और स्वरोजगार से जुड़ी अनेक योजनाएं लागू की गई हैं।
उन्होंने बताया कि इन योजनाओं के तहत पात्र लाभार्थियों को ऋण पर अनुदान (सब्सिडी) भी दी जा रही है, जिससे ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा मिल रहा है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचे और किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो।
प्रवासी पंचायतों के आयोजन के निर्देश
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्यभर में प्रवासी पंचायतों का आयोजन किया जाए। इन पंचायतों में देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों में कार्यरत उत्तराखंडी प्रवासियों को आमंत्रित किया जाएगा। इन कार्यक्रमों के माध्यम से प्रवासियों को राज्य सरकार की रिवर्स पलायन से जुड़ी योजनाओं, सुविधाओं और निवेश के अवसरों की जानकारी दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था और सामाजिक विकास का अहम हिस्सा हैं। उनके अनुभव, पूंजी और विचारों का उपयोग राज्य के विकास में किया जा सकता है। प्रवासी पंचायतें न केवल संवाद का मंच बनेंगी, बल्कि नीतिगत सुधारों के लिए सुझाव प्राप्त करने का माध्यम भी होंगी।
अन्य राज्यों से सीखने पर भी जोर
मुख्यमंत्री ने आयोग के सदस्यों को निर्देश दिए कि वे अन्य राज्यों का दौरा कर वहां लागू रिवर्स पलायन और ग्रामीण विकास के नवाचारों का अध्ययन करें। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में लागू सफल मॉडल्स को उत्तराखंड की परिस्थितियों के अनुसार अपनाया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पलायन रोकना केवल सरकारी योजनाओं से संभव नहीं है, इसके लिए स्थानीय नवाचार, सामुदायिक भागीदारी और निजी निवेश को भी प्रोत्साहित करना होगा।
वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित होंगे 25 नए स्थल
बैठक में मुख्यमंत्री ने पर्यटन को रिवर्स पलायन का बड़ा माध्यम बताते हुए कहा कि त्रियुगीनारायण की तर्ज पर राज्य के 25 नए स्थलों को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने निर्देश दिए कि इन स्थलों पर सड़क, बिजली, पानी, पार्किंग, ठहरने और अन्य मूलभूत सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वेडिंग टूरिज्म से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और होटल, होमस्टे, टैक्सी, फोटोग्राफी, कैटरिंग जैसे क्षेत्रों में आजीविका के नए अवसर पैदा होंगे, जिससे पर्वतीय क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी।
लघु उद्योगों के संवर्धन पर बल
मुख्यमंत्री ने पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिए लघु उद्योगों के संवर्धन को भी अहम बताया। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों, हस्तशिल्प, कृषि आधारित उद्योग और स्वरोजगार योजनाओं को बढ़ावा देकर गांवों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
सरकार का लक्ष्य है कि युवाओं को अपने गांव में ही रोजगार मिले और वे आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षण के साथ स्थानीय स्तर पर उद्यम स्थापित कर सकें।
रिवर्स पलायन के उत्साहजनक आंकड़े
ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस. नेगी ने बैठक में बताया कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में अब रिवर्स पलायन का स्पष्ट रुझान देखने को मिल रहा है। अब तक लगभग 6282 लोग अपने गांवों में वापस लौट चुके हैं, जिनमें देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों से लौटे लोग भी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि लौटने वाले अधिकतर लोग पर्यटन, होमस्टे, लघु उद्योग, कृषि और स्वरोजगार के क्षेत्र में सक्रिय हैं और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यह राज्य सरकार की नीतियों की सफलता का संकेत है।
आयोग सदस्यों ने दिए रचनात्मक सुझाव
बैठक के दौरान आयोग के सदस्यों ने रिवर्स पलायन को और गति देने के लिए कई रचनात्मक और व्यावहारिक सुझाव प्रस्तुत किए। इनमें प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ाने, बाजार से जोड़ने, डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग और स्थानीय उत्पादों की ब्रांडिंग जैसे सुझाव शामिल रहे।
बैठक में ये अधिकारी रहे मौजूद
इस महत्वपूर्ण बैठक में सचिव विनय शंकर पाण्डेय, धीराज गर्ब्याल, डॉ. श्रीधर बाबू अद्दांकी, सी. रविशंकर, अपर सचिव अनुराधा पाल, डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट, चन्द्र सिंह धर्मशक्तू, संतोष बडोनी, सुरेश जोशी सहित आयोग के सदस्य अनिल सिंह शाही, दिनेश रावत, सुरेश सुयाल, राम प्रकाश पैन्यूली और रंजना रावत उपस्थित रहे।
निष्कर्ष
उत्तराखंड सरकार की यह रणनीति साफ संकेत देती है कि रिवर्स पलायन अब केवल एक अवधारणा नहीं, बल्कि राज्य की विकास नीति का केंद्रबिंदु बन चुका है। प्रवासी पंचायतें, वेडिंग डेस्टिनेशन, लघु उद्योग और ग्रामीण आजीविका को मजबूत करने की पहल आने वाले वर्षों में राज्य के सामाजिक और आर्थिक स्वरूप को बदलने की क्षमता रखती है।



