
नई दिल्ली: ग्रामीण रोजगार व्यवस्था में बड़े बदलाव की दिशा में केंद्र सरकार ने अहम कदम उठाते हुए विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB-G RAM G बिल, 2025 को संसद के दोनों सदनों से पारित करा लिया है। शुक्रवार तड़के राज्यसभा में ध्वनिमत से बिल के पारित होने के साथ ही करीब दो दशक पुरानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की जगह अब यह नई योजना लागू होने का रास्ता साफ हो गया है।
अब यह विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद VB-G RAM G कानून का रूप ले लेगा और देश के ग्रामीण परिवारों को हर साल 125 दिन के मजदूरी रोजगार की कानूनी गारंटी देगा, जो मौजूदा मनरेगा के 100 दिनों के प्रावधान से 25 दिन अधिक है।
ग्रामीण रोजगार नीति में बड़ा बदलाव
सरकार इस बिल को “विकसित भारत” के विजन से जोड़कर देख रही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय का कहना है कि VB-G RAM G केवल रोजगार देने की योजना नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य ग्रामीण आजीविका, कौशल विकास और टिकाऊ परिसंपत्तियों के निर्माण को एक साथ आगे बढ़ाना है।
सरकार के अनुसार, मनरेगा के तहत पिछले वर्षों में रोजगार तो मिला, लेकिन भुगतान में देरी, सीमित उत्पादकता और भ्रष्टाचार जैसे आरोप भी लगातार सामने आते रहे। नई योजना के जरिए इन खामियों को दूर करने का दावा किया जा रहा है।
राज्यसभा में आधी रात तक चली बहस
VB-G RAM G बिल पर राज्यसभा में गुरुवार को देर रात तक चर्चा हुई। विपक्षी दलों ने विधेयक को लेकर सरकार पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अनदेखी और जल्दबाजी का आरोप लगाया। विपक्ष की ओर से मांग की गई कि इस बिल को सेलेक्ट कमिटी के पास भेजा जाए ताकि इसके प्रावधानों की विस्तृत समीक्षा हो सके।
हालांकि, सरकार ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया। विपक्ष के वॉकआउट के बाद सरकार ने ध्वनिमत के जरिए बिल को पारित करा लिया।
आधी रात संसद परिसर में प्रदर्शन
राज्यसभा से बिल के पारित होते ही संसद परिसर में सियासी टकराव और तेज हो गया। तृणमूल कांग्रेस (TMC) समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों ने आधी रात संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
TMC सांसद पुरानी संसद के बाहर पूरी रात धरने पर बैठे रहे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। विपक्ष का आरोप था कि यह बिल महात्मा गांधी के नाम और उनकी विचारधारा को कमजोर करने की कोशिश है।
लोकसभा में 14 घंटे की बहस और भारी हंगामा
इससे पहले बुधवार को लोकसभा में VB-G RAM G बिल पर करीब 14 घंटे लंबी बहस हुई थी। चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। गुरुवार को भारी हंगामे और नारेबाजी के बीच लोकसभा ने इस विधेयक को मंजूरी दी।
विपक्षी सांसदों ने मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने को लेकर जोरदार विरोध जताया। कई सांसद वेल में आ गए, सरकार के खिलाफ नारे लगाए और बिल की प्रतियां फाड़कर अपना विरोध दर्ज कराया।
महात्मा गांधी के नाम पर सियासत
इस पूरे विधेयक के केंद्र में महात्मा गांधी का नाम भी बड़ी राजनीतिक बहस का मुद्दा बन गया। विपक्ष का कहना है कि मनरेगा केवल एक योजना नहीं, बल्कि गांधी के विचारों से जुड़ा सामाजिक सुरक्षा का प्रतीक था। उनका आरोप है कि नाम बदलकर सरकार गांधी की विरासत को कमजोर कर रही है।
वहीं सरकार ने इस आरोप को सिरे से खारिज किया। चर्चा के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह बिल गरीबों और ग्रामीण मजदूरों के कल्याण के लिए लाया गया है, न कि किसी नाम को हटाने या सम्मान को ठेस पहुंचाने के लिए।
शिवराज सिंह चौहान का कांग्रेस पर हमला
लोकसभा और राज्यसभा में बहस के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस ने हमेशा महात्मा गांधी के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल किया है।
उन्होंने कहा,
“जो लोग आज गांधी जी के नाम पर राजनीति कर रहे हैं, उन्होंने ही उनके आदर्शों को बार-बार नजरअंदाज किया। VB-G RAM G बिल गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने और ग्रामीण रोजगार को मजबूत करने का माध्यम है।”
उन्होंने यह भी कहा कि मनरेगा में समय के साथ कई कमियां सामने आईं, जिन्हें सुधारने के लिए नई योजना जरूरी थी।
विपक्ष की मुख्य आपत्तियां क्या हैं?
विपक्ष ने VB-G RAM G बिल को लेकर कई आपत्तियां दर्ज कराई हैं—
- मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाना
- राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालने की आशंका
- विधेयक को पर्याप्त संसदीय समीक्षा के बिना पारित करना
- ग्रामीण मजदूरों के अधिकारों को कमजोर करने का खतरा
विपक्ष का कहना है कि सरकार को इस बिल पर व्यापक सहमति बनानी चाहिए थी।
सरकार का दावा: रोजगार के साथ आजीविका
सरकार का कहना है कि नई योजना में तकनीक आधारित निगरानी, समय पर भुगतान और स्थानीय जरूरतों के अनुसार काम तय करने जैसे प्रावधान होंगे। इससे ग्रामीण इलाकों में पलायन रुकेगा और रोजगार की गुणवत्ता सुधरेगी।
सरकार यह भी दावा कर रही है कि 125 दिन का रोजगार ग्रामीण परिवारों को आर्थिक सुरक्षा देगा और “विकसित भारत” के लक्ष्य की दिशा में मजबूत आधार बनेगा।
राजनीतिक असर और आगे की राह
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि VB-G RAM G बिल आने वाले समय में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। मनरेगा जैसी लोकप्रिय योजना में बदलाव को विपक्ष चुनावी हथियार बना सकता है, जबकि सरकार इसे सुधार और विकास की नई कहानी के तौर पर पेश करेगी।
फिलहाल बिल संसद से पारित हो चुका है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा और तब इसकी असली परीक्षा ज़मीन पर इसके क्रियान्वयन से होगी।



