
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार केवल मनरेगा का नाम बदलने की बात नहीं कर रही, बल्कि इस महत्वाकांक्षी ग्रामीण रोजगार योजना की “योजनाबद्ध हत्या” की जा रही है।
खरगे ने यह टिप्पणी संसद परिसर में विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन के बाद संवाददाताओं से बातचीत में की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष करेगी और सरकार के हर कदम का पुरजोर विरोध किया जाएगा।
‘मनरेगा को खत्म करने की साजिश’
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जानबूझकर मनरेगा के बजट में कटौती कर रही है, जिससे ग्रामीण गरीबों, मजदूरों और बेरोजगारों को उनका वैधानिक अधिकार नहीं मिल पा रहा है।
खरगे ने कहा,
“मनरेगा का सिर्फ नाम बदलने की बात नहीं है। असल में इस योजना को धीरे-धीरे खत्म करने की साजिश की जा रही है। यह देश के गरीबों के साथ अन्याय है।”
उन्होंने दावा किया कि मनरेगा के तहत काम मांगने वालों को समय पर रोजगार नहीं मिल रहा और भुगतान में भी देरी हो रही है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
महात्मा गांधी के नाम पर राजनीति का आरोप
खरगे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि विदेशी दौरों के दौरान महात्मा गांधी की प्रतिमाओं पर फूल चढ़ाना केवल दिखावटी सम्मान है।
उन्होंने कहा,
“अगर प्रधानमंत्री वास्तव में बापू का सम्मान करते हैं, तो उनके नाम से जुड़ी सबसे बड़ी जनकल्याणकारी योजना मनरेगा को मजबूत करते। विदेशों में गांधी जी की मूर्ति पर फूल चढ़ाना और देश में उनकी सोच को कमजोर करना—यह दोहरा रवैया है।”
विपक्ष का संसद परिसर में प्रदर्शन
मनरेगा और अन्य मुद्दों को लेकर गुरुवार को संसद परिसर में विपक्षी दलों ने विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को कमजोर कर रही है और गरीबों की आवाज को दबाया जा रहा है।
खरगे ने कहा कि मनरेगा केवल एक योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के करोड़ों लोगों की जीवनरेखा है, जिसे कमजोर करने का मतलब सामाजिक असमानता को और बढ़ाना है।
‘सड़क से संसद तक लड़ेगी कांग्रेस’
कांग्रेस अध्यक्ष ने साफ किया कि अगर सरकार मनरेगा के नाम, स्वरूप या बजट में बदलाव करती है, तो कांग्रेस इसका हर स्तर पर विरोध करेगी।
उन्होंने कहा,
“हम संसद में भी लड़ेंगे और जरूरत पड़ी तो सड़कों पर भी उतरेंगे। मनरेगा को कमजोर करने नहीं दिया जाएगा।”
खरगे ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कॉरपोरेट हितों को प्राथमिकता दे रही है, जबकि ग्रामीण मजदूरों और किसानों की अनदेखी की जा रही है।
मनरेगा का राजनीतिक महत्व
मनरेगा को वर्ष 2005 में लागू किया गया था और इसे ग्रामीण रोजगार, पलायन रोकने और आर्थिक सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम योजना माना जाता है। यह योजना हर ग्रामीण परिवार को साल में कम से कम 100 दिन का रोजगार देने की गारंटी देती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मनरेगा को लेकर विपक्ष का आक्रामक रुख आने वाले समय में सरकार और विपक्ष के बीच टकराव को और तेज कर सकता है।
निष्कर्ष
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बयान से साफ है कि मनरेगा केंद्र और विपक्ष के बीच एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। जहां सरकार योजनाओं में बदलाव को सुधार की दिशा में कदम बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे गरीब विरोधी नीति करार दे रही है।
आने वाले दिनों में संसद और सियासी गलियारों में इस मुद्दे पर बहस और तेज होने की संभावना है।



