उत्तर प्रदेश

UP: लखनऊ में अमानवीय घटना: प्राइवेट हॉस्पिटल ने मरीज की मौत छुपाई, शव को सरकारी अस्पताल के बाहर छोड़कर कर्मचारी फरार

लखनऊ, 10 दिसंबर। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली और उनके नैतिक मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कृष्णानगर क्षेत्र स्थित एक निजी अस्पताल पर आरोप है कि वहां इलाज के दौरान एक मरीज की मौत हो जाने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने न तो परिजनों को सूचित किया और न ही कानूनी प्रक्रिया का पालन किया। इसके बजाय कर्मचारियों ने शव को एंबुलेंस से उठाकर सरकारी अस्पताल के बाहर लावारिस हालत में छोड़ दिया और मौके से फरार हो गए।

पूरी घटना का खुलासा तब हुआ जब सरकारी अस्पताल ‘लोकबंधु राज नारायण अस्पताल’ के इमरजेंसी वार्ड के बाहर कई घंटों तक एक शव बिना किसी जानकारी के पड़ा रहा। अस्पताल कर्मचारियों ने जब इसकी सूचना पुलिस को दी, तभी मामले की परतें खुलनी शुरू हुईं।


घर से काम पर निकला था कर्मवीर, रास्ते में बिगड़ी तबीयत

मृतक की पहचान सरोजिनी नगर निवासी 37 वर्षीय कर्मवीर सिंह के रूप में हुई है। परिजनों के अनुसार, सोमवार सुबह वह रोजाना की तरह काम पर जाने के लिए घर से निकले थे। रास्ते में अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। खुद ही मदद की तलाश में वे पास के एसकेडी अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

यहां तक मामला सामान्य लग सकता था, लेकिन इसके बाद अस्पताल ने जो कदम उठाया, वह न सिर्फ अमानवीय है बल्कि कानूनन भी गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।


अस्पताल ने मौत छुपाई, शव को स्ट्रेचर पर लाकर छोड़कर भागे

सूत्रों के अनुसार, एसकेडी अस्पताल प्रबंधन ने कर्मवीर के परिजनों को मौत की सूचना देने के बजाय पूरी घटना को छिपाने की कोशिश की। अस्पताल ने मृतक का शव अपनी एंबुलेंस में रखकर सीधे लोकबंधु राज नारायण अस्पताल भेज दिया। वहां प्राइवेट अस्पताल के कर्मचारियों ने शव को एक स्ट्रेचर पर रखकर इमरजेंसी गेट के बाहर छोड़ दिया और तुरंत वहां से चले गए।

कई घंटों तक शव उसी हालत में पड़ा रहा। सरकारी अस्पताल के स्टाफ ने जब यह देखा कि बिना किसी दस्तावेज के शव छोड़ दिया गया है, तब उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी।


CCTV फुटेज से उजागर हुई सच्चाई

घटना का खुलासा तब हुआ जब सरकारी अस्पताल परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की गई। वीडियो में स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि प्राइवेट अस्पताल के दो कर्मचारी एंबुलेंस से उतरते हैं, स्ट्रेचर पर शव लाते हैं और उसे इमरजेंसी वार्ड के बाहर छोड़कर चले जाते हैं।

पुलिस ने जब शव की तलाशी ली तो मृतक की जेब से मोबाइल फोन और आधार कार्ड मिला, जिसकी मदद से उनकी पहचान की गई और फिर परिजनों को सूचना दी गई।


परिजनों का आरोप: “अस्पताल ने इंसानियत को शर्मसार किया”

कर्मवीर के परिजनों ने अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि—

  • अस्पताल ने इलाज के दौरान हुई मौत की सूचना नहीं दी
  • न ही कोई दस्तावेज दिखाया
  • सीधे शव को फेंककर भाग जाना अस्पताल की लापरवाही ही नहीं, बल्कि अपराध भी है

परिजनों ने यह भी कहा कि अगर अस्पताल समय पर सूचना देता, तो वे खुद आकर सभी औपचारिकताएं पूरी करते।


पुलिस की कार्रवाई: लापरवाही और कदाचार की जांच शुरू

कृष्णानगर और सरोजिनी नगर पुलिस ने फुटेज और अस्पताल की गतिविधियों की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी के अनुसार:

“यह मामला गंभीर लापरवाही का है। शव को बिना सूचना दिए दूसरे अस्पताल ले जाकर छोड़ना कई धाराओं के तहत दंडनीय अपराध है। फुटेज और अस्पताल के दस्तावेजों की जांच की जा रही है।”

जल्द ही अस्पताल प्रबंधन और संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।


स्वास्थ्य विभाग भी आया हरकत में

घटना सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने भी रिपोर्ट मांगी है। अधिकारियों का कहना है कि—

  • मरीज की मौत की सूचना छिपाना
  • मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन न करना
  • शव को कहीं भी छोड़ देना

इन सभी मामलों में निजी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित भी किया जा सकता है।


निजी अस्पतालों पर फिर उठे सवाल

इस घटना के बाद एक बार फिर से निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। पिछले कई महीनों में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से मरीजों के साथ अव्यवहार, गलत इलाज, फर्जी बिल, और मृतकों के शव रोकने जैसी घटनाएँ सामने आई हैं। लेकिन लखनऊ की यह घटना अपने आप में अनोखी और बेहद गंभीर है क्योंकि इसमें—

  • मरीज की मौत छिपाई गई
  • शव को पहचान पत्र के साथ लावारिस छोड़ दिया गया
  • परिवार को सूचना देने का नैतिक और कानूनी दायित्व भी नहीं निभाया गया

राजधानी में होने के बावजूद ऐसी घटनाओं का सामने आना प्रशासन के लिए भी चिंता का विषय है।


अस्पताल प्रशासन बचाव में, पर जवाबों में विरोधाभास

मीडिया द्वारा संपर्क करने पर प्राइवेट अस्पताल ने कहा कि—

“मरीज की हालत गंभीर थी। हमने अपनी ओर से इलाज की पूरी कोशिश की। शव को सरकारी अस्पताल ले जाने का उद्देश्य औपचारिक प्रक्रिया पूरी करना था।”

लेकिन फुटेज और घटनाक्रम से अस्पताल के इन दावों पर सवाल उठ रहे हैं।


घटना ने उठाए कई अहम सवाल

यह मामला स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर कई गंभीर प्रश्न खड़े करता है—

  • क्या निजी अस्पताल मरीज की मृत्यु के बाद कानूनी नियमों का पालन करते हैं?
  • क्या ऐसे अस्पतालों पर निगरानी रखने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है?
  • क्या लाइसेंसिंग और ऑडिट सिस्टम में सुधार की जरूरत है?
  • क्या मरीज का अधिकार और परिवार की जानकारी प्राप्त करने का हक सुरक्षित है?

निष्कर्ष

लखनऊ की इस घटना ने सबको झकझोर दिया है और अस्पतालों की जवाबदेही और नैतिकता पर एक गंभीर बहस को जन्म दिया है। यह मामला न केवल अमानवीय व्यवहार को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े नियमों और सख्त निगरानी की तत्काल जरूरत है।

फिलहाल पुलिस जांच जारी है और उम्मीद है कि दोषी अस्पताल व कर्मचारी जल्द ही कानून के दायरे में आएंगे।

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