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Uttarakhand: स्वास्थ्य शिक्षा में नई क्रांति की शुरुआत: 10 श्रेणियों में 56 प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं को मिली मान्यता

उत्तराखंड सरकार ने स्वास्थ्य शिक्षा को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप आधुनिक, गुणवत्तापूर्ण और रोजगारोन्मुख बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के मार्गदर्शन में गुरुवार को सचिवालय में स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय सहबद्ध एवं स्वास्थ्य देखरेख वृत्ति आयोग अधिनियम–2021 (National Commission for Allied and Healthcare Professions Act – 2021) के तहत उत्तराखंड राज्य सहबद्ध एवं स्वास्थ्य देखरेख परिषद के गठन की प्रक्रिया को गति देना था।

बैठक की शुरुआत में स्वास्थ्य सचिव ने स्पष्ट कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय और आपदा–संवेदनशील राज्य में प्रशिक्षित, कुशल और प्रमाणित Allied Health Workforce का विकास अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि परिषद के गठन से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में बड़ा सुधार आएगा, बल्कि उत्तराखंड देशभर में हेल्थकेयर स्किल डेवलपमेंट का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरेगा।


परिषद गठन पर विस्तृत चर्चा: चयन समिति बनाने का निर्णय

बैठक में परिषद के गठन, संरचना, कार्यप्रणाली और भविष्य की आवश्यकताओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। यह निर्णय लिया गया कि परिषद के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति के लिए “तलाश–सह–चयन समिति” का गठन किया जाएगा। यह समिति निर्धारित योग्यताओं, अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर उपयुक्त नामों का चयन करेगी।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. राजेश ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि—

  • परिषद के संचालन हेतु प्रारंभिक बजट की व्यवस्था की जाए,
  • कार्यालय संरचना,
  • तकनीकी सहायता,
  • तथा मानव संसाधन की उपलब्धता शीघ्र सुनिश्चित की जाए।

उन्होंने कहा कि परिषद के पूरी तरह क्रियाशील होने के बाद राज्य में स्वास्थ्य शिक्षा एवं Allied Health Services में पारदर्शिता, मानकीकरण और प्रभावशीलता सुनिश्चित होगी।


उत्तराखंड में पैरामेडिकल शिक्षा को मिलेगा नया स्वरूप

वर्तमान में राज्य में पैरामेडिकल शिक्षा उत्तराखंड पैरामेडिकल अधिनियम–2009 और राज्य मेडिकल फैकल्टी के माध्यम से संचालित होती है, जिसमें स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर 22 विषयों के पाठ्यक्रम शामिल हैं।

राष्ट्रीय अधिनियम लागू होने के बाद इन पाठ्यक्रमों को—

  • और अधिक मानकीकृत,
  • रोजगारोन्मुख,
  • तथा कौशल–आधारित बनाया जाएगा।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नए अधिनियम में 10 प्रमुख श्रेणियों में 56 प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं को मान्यता दी गई है। इससे विद्यार्थियों के लिए करियर के द्वार बड़े पैमाने पर खुलेंगे और रोजगार के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अवसरों में वृद्धि होगी।


नए विषयों से फैलेंगे करियर के अवसर, मजबूत होगी स्वास्थ्य व्यवस्था

बैठक में विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि नए अधिनियम के तहत कई आधुनिक, उभरते और अत्यधिक मांग वाले विषय शामिल किए गए हैं, जैसे—

  • पोषण विज्ञान (Nutrition Science)
  • स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन (Health Information Management)
  • क्लिनिकल साइकोलॉजी
  • डायलिसिस तकनीक
  • एनेस्थीसिया एवं ऑपरेशन थिएटर तकनीक
  • आपातकालीन चिकित्सा तकनीक (Emergency Medical Technician)
  • रिसर्च एवं डायग्नोस्टिक साइंसेज
  • फिजियोथेरेपी एवं पुनर्वास तकनीक

इन विषयों के शामिल होने से:

  • युवाओं को विस्तृत करियर विकल्प,
  • स्वास्थ्य संस्थानों में बेहतर प्लेसमेंट,
  • निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर,
  • तथा शोध, डायग्नोस्टिक्स और उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं में विशेषज्ञता प्राप्त करने का मार्ग खुलेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि इन सुधारों से उत्तराखंड आने वाले वर्षों में हेल्थ एजुकेशन और Allied Health Services का “राष्ट्रीय हब” बन सकता है।


पंजीकरण, लाइसेंसिंग और शिक्षा प्रणाली होगी पारदर्शी

परिषद के गठन के बाद—

  • शिक्षण संस्थानों का समुचित निरीक्षण,
  • पाठ्यक्रमों का मानकीकरण,
  • प्रशिक्षित पेशेवरों का पंजीकरण,
  • और लाइसेंसिंग प्रक्रिया सरल व पारदर्शी होगी।

इससे प्रदेश में “क्वालिटी–बेस्ड हेल्थकेयर एजुकेशन सिस्टम” विकसित होगा और प्रशिक्षित मानव संसाधन देश–विदेश में प्रतिस्पर्धी बन सकेगा।


स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार का बयान

बैठक के अंत में स्वास्थ्य सचिव ने कहा:

“उत्तराखंड सरकार स्वास्थ्य शिक्षा को राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतारने और इसे सुगठित, आधुनिक एवं पारदर्शी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सहबद्ध एवं स्वास्थ्य देखरेख परिषद का गठन स्वास्थ्य शिक्षा में परिवर्तनकारी कदम साबित होगा। इससे पैरामेडिकल और Allied Health Courses में एकरूपता आएगी, गुणवत्तापूर्ण शिक्षण व्यवस्था स्थापित होगी और युवाओं को राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाया जा सकेगा। हमारा लक्ष्य है कि उत्तराखंड गुणवत्ता–आधारित स्वास्थ्य शिक्षा और हेल्थकेयर स्किल डेवलपमेंट का मॉडल राज्य बने।”


निष्कर्ष

उत्तराखंड सरकार द्वारा Allied Health और पैरामेडिकल शिक्षा में सुधार का यह कदम न केवल राज्य के युवाओं के लिए अवसरों का विस्तार करेगा, बल्कि पूरे पहाड़ी क्षेत्र की स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने में भी अहम भूमिका निभाएगा। नई परिषद का गठन उत्तराखंड को हेल्थकेयर शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट के नए युग में प्रवेश कराने की दिशा में एक बड़ा, निर्णायक और ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

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