
चंडीगढ़ | हरियाणा का फैंसी नंबर HR 88 B 8888 पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। ऑनलाइन नीलामी में इस नंबर प्लेट ने देश का सबसे महंगा वीआईपी नंबर बनने का रिकॉर्ड बनाया था। हरियाणा के एक कारोबारी ने इसके लिए 1.17 करोड़ रुपये की चौंकाने वाली बोली लगाई थी, जो किसी वाहन नंबर के लिए अब तक की सबसे ऊंची राशि थी।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। बोली जीतने के बाद उस कारोबारी ने अचानक भुगतान से पीछे हटते हुए अपनी सुरक्षा राशि (Earnest Money Deposit) तक जब्त होने दी। इसके बाद पूरा मामला पलट गया और अब सरकार खुद इस बोलीदाता की आर्थिक स्थिति की जांच कराने की तैयारी में है।
हरियाणा परिवहन विभाग इस मामले को केवल “नीलामी में शौकिया बोली लगाना” नहीं मान रहा, बल्कि इसे एक गंभीर वित्तीय आचरण के रूप में देख रहा है।
अनिल विज का बड़ा बयान: “अब जांच होगी कि इतनी बोली लगाने की क्षमता थी भी या नहीं”
परिवहन मंत्री अनिल विज ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि सरकार इस मामले को हल्के में नहीं लेगी। उन्होंने कहा:
“व्यक्ति द्वारा 1.17 करोड़ की बोली लगाने के बाद भुगतान न करना गंभीर मामला है। अब जांच होगी कि वास्तव में उसकी आर्थिक क्षमता इतनी ऊंची बोली लगाने की थी भी या नहीं।”
मंत्री विज ने बताया कि विभाग यह पता लगाएगा कि संबंधित व्यक्ति के पास यह बोली लगाने के लिए वैध आय और संपत्ति थी या नहीं।
उन्होंने यह भी कहा कि:
- उसकी आय और प्रॉपर्टी की पूरी जांच होगी
- आयकर विभाग को आधिकारिक पत्र भेजा जाएगा
- भविष्य में नीलामी में फर्जी या शौकिया बोलियों पर कड़ाई से रोक लगाई जाएगी
VIP नंबर प्लेट—केवल प्रतिष्ठा का विषय नहीं, सरकार की कमाई का बड़ा स्रोत
अक्सर वीआईपी और फैंसी नंबर प्लेट प्रतिष्ठा दिखाने का माध्यम मानी जाती हैं, लेकिन ये सरकार के लिए बड़ी राजस्व आय का साधन भी हैं।
हरियाणा में ई-नीलामी सिस्टम के जरिए विशेष नंबर बेचने की व्यवस्था है। कई कारोबारी, उद्योगपति और सेलिब्रिटीज़ इन्हें खरीदने के लिए लाखों—कभी-कभी करोड़ों तक—की बोली लगा देते हैं।
अनिल विज ने कहा:
“फैंसी नंबर केवल शोहरत का मामला नहीं, बल्कि यह सरकार की राजस्व वृद्धि में अहम योगदान देते हैं। लेकिन कुछ लोग सिर्फ शौक में बोली लगाकर प्रणाली को कमजोर करने की कोशिश करते हैं।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विभाग चाहتا है कि बोली लगाते समय व्यक्ति जिम्मेदारी से काम करें, क्योंकि ऐसी बोलियां पूरी न होने से सरकारी प्रणाली और भविष्य की नीलामियों पर असर पड़ता है।
बोली लगाना ‘स्टेटस शो-ऑफ’ बन गया है? सरकार गंभीर
मंत्री विज ने अपने बयान में एक बड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग बड़ी-बड़ी बोलियां केवल शौक या दिखावे में लगा देते हैं।
यह रुझान धीरे-धीरे बढ़ रहा है—और यह विभाग और सरकार दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
“लोग बोली लगाकर बाद में भुगतान नहीं करते। यह सिर्फ शोऑफ नहीं, सिस्टम को बाधित करने वाली प्रवृत्ति है।”
कारोबारी द्वारा पीछे हटने से न सिर्फ सरकारी प्रक्रिया प्रभावित हुई, बल्कि इससे अन्य वास्तविक बोलीदाताओं को भी नुकसान पहुंचा, जिन्हें इस नंबर पर अपना दावा जताने का मौका मिल सकता था।
अब क्या होगा?—नंबर फिर नीलाम होगा, लेकिन नियम और सख्त होंगे
कारोबारी के पीछे हटने के बाद HR88B8888 की डील रद्द मानी गई है। परिवहन विभाग अब इस नंबर को पुनः नीलामी में उतारेगा।
संभव है कि:
- इस नंबर के प्रति उत्साह पहले से अधिक बढ़े
- नीलामी में नई प्रतिस्पर्धा पैदा हो
- कीमत फिर से रिकॉर्ड तोड़ दे
लेकिन सरकार इस बार नीलामी के प्रावधानों को और कठोर बनाने जा रही है, ताकि:
- फर्जी बोली
- असमर्थ बोलीदाताओं
- और ‘सिर्फ दिखावे की बोली’
पर रोक लग सके।
आर्थिक क्षमता की पुष्टि क्यों जरूरी है?—सरकार का तर्क
विज ने समझाया कि—
अगर कोई व्यक्ति लाखों या करोड़ों में बोली लगाकर बाद में पीछे हटता है, तो:
- सरकारी प्रणाली धीमी पड़ती है
- बोली का परिणाम अनिश्चित हो जाता है
- वास्तविक खरीदार पीछे रह जाते हैं
- प्रशासनिक लागत बढ़ती है
इन सबको देखते हुए, भविष्य में बोली लगाने वालों से आर्थिक दस्तावेज या आय का कोई प्रमाण भी मांगे जाने का प्रस्ताव किया जा सकता है।
आयकर विभाग को भेजा जाएगा पत्र
विज ने स्पष्ट कहा कि आयकर विभाग को पत्र भेजा जाएगा ताकि:
- बोलीदाता की वास्तविक आय की जांच हो
- उसके ITR, निवेश और प्रॉपर्टी की समीक्षा हो
- पता चले कि उसके पास 1.17 करोड़ रुपये एक नंबर प्लेट के लिए खर्च करने की क्षमता है या नहीं
यह भारत में पहली बार है कि किसी फैंसी नंबर बोली के लिए आयकर जांच की बात आधिकारिक रूप से कही गई है।
दिलचस्प तथ्य: भारत की अब तक की सबसे महंगी नंबर प्लेट
HR88B8888 की 1.17 करोड़ की बोली ने इसे देश का सबसे महंगा फैंसी नंबर बना दिया था। इससे पहले सबसे महंगे नंबर, आमतौर पर महाराष्ट्र, पंजाब या दिल्ली में बिके थे—लेकिन कभी 1 करोड़ पार नहीं गया।
इस रिकॉर्ड ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया था—लेकिन कारोबारी के पीछे हटते ही मामला सीधे जांच और कानूनी कार्रवाई तक पहुंच गया।
अंत में—सरकार का संदेश: “नीलामी खेल नहीं है, यह जिम्मेदारी है”
इस पूरे विवाद ने हरियाणा ही नहीं, बल्कि देशभर के परिवहन विभागों के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है—क्या नीलामी में शौकिया बोलियों पर लगाम कसने का वक्त आ गया है?
मंत्री अनिल विज का संदेश बिल्कुल साफ है:“बोली लगाना खेल नहीं। जो बोली लगाए, उसके पास उसे पूरा करने की क्षमता होनी चाहिए। नहीं तो कानून कार्रवाई करेगा।” अब सबकी नजरें अगली नीलामी पर हैं—क्या HR88B8888 फिर से इतिहास रचेगा?



