उत्तराखंडफीचर्डमौसम

उत्तराखंड में सामान्य से कड़ाके की सर्दी के आसार, सरकार अलर्ट मोड पर; जिलों को कोल्ड वेव एक्शन प्लान बनाने के निर्देश

देहरादून: पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में शीत ऋतु हर वर्ष अपनी विशेष तीव्रता के साथ दस्तक देती है, लेकिन इस बार सर्दी का प्रकोप सामान्य से कहीं अधिक रहने वाला है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि आगामी सप्ताहों में प्रदेशभर में तापमान में तेज गिरावट, व्यापक शीत लहर और ऊंचे इलाकों में भारी बर्फबारी की संभावना है। इस पूर्वानुमान को देखते हुए राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन तंत्र पूरी तरह अलर्ट मोड में आ गया है।

आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने सभी जिलाधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक कर विस्तृत दिशा–निर्देश साझा किए और कहा कि संभावित ठंड को “गंभीर आपदा जोखिम” मानकर अग्रिम तैयारी अनिवार्य है।


मानसून के बाद अब कड़ाके की बर्फबारी का खतरा

इस वर्ष उत्तराखंड में मानसून के दौरान सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई थी, जिसने कई जिलों में भू-स्खलन, सड़क अवरोध और जनजीवन प्रभावित किया। विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक नमी वाला वातावरण और पहाड़ी भूगोल मिलकर उत्तराखंड में सर्दियों को और कठोर बना देते हैं।

सचिव सुमन ने बैठक में कहा कि “राज्यभर में इस बार बर्फबारी का प्रभाव समान रूप से देखने को मिल सकता है। ऊंचाई चाहे कम हो या अधिक, सभी जिलों को अतिरिक्त सतर्कता रखनी होगी।”


जिलों को कोल्ड वेव एक्शन प्लान बनाने के निर्देश

राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे तत्काल ‘कोल्ड वेव एक्शन प्लान’ तैयार कर उसे उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) को भेजें।

सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही जिलों को आवश्यक धनराशि जारी कर चुके हैं, जिससे राहत और बचाव तैयारियों में कोई बाधा न आए। किसी भी जिले को अतिरिक्त फंड की आवश्यकता पड़ने पर शासन तत्काल स्वीकृति देगा।

अधिकारियों को निर्देश है कि वे—

  • जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करें
  • संवेदनशील गांवों की सूची तैयार करें
  • शीत लहर से प्रभावित होने वाले बुजुर्गों, बच्चों और बीमार व्यक्तियों का डेटा अपडेट करें
  • राहत केंद्रों और रैन बसेरों की स्थिति की समीक्षा करें

शीतकालीन पर्यटन के बीच यात्रियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता

उत्तराखंड में शीतकालीन यात्रा और पर्यटन इन दिनों चरम पर है। नैनीताल, मसूरी, औली, केदारघाटी और चमोली जैसे क्षेत्रों में रोजाना हजारों पर्यटक पहुंच रहे हैं।

सचिव ने स्पष्ट कहा कि “बढ़ती ठंड और संभावित बर्फबारी के बीच यात्री सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। जहां मार्ग बंद होने की आशंका हो, वहां तुरंत चेतावनी जारी की जाए और यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर रोका जाए।”

जिलों को निर्देश दिए गए हैं कि—

  • हर 6 घंटे में सड़क स्थिति का अपडेट जारी करें
  • बर्फबारी के दौरान मशीनरी, जेसीबी और कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित रखें
  • पर्यटकों के लिए हेल्पलाइन नंबर सक्रिय रखें
  • होटल और गाइडों को भी मौसम संबंधी अलर्ट से अवगत कराएं

फरवरी 2026 तक जरूरी सामग्री का पर्याप्त भंडारण

पहाड़ी जिलों में अक्सर बर्फबारी के कारण सड़कें लंबी अवधि के लिए बंद हो जाती हैं। ऐसे में खाद्यान्न, दवाइयाँ और ईंधन की उपलब्धता बड़ी चुनौती बन जाती है।

इसे देखते हुए सचिव सुमन ने सभी जिलों को निर्देशित किया है कि वे—

  • फरवरी 2026 तक की आवश्यक सामग्री का भंडारण सुरक्षित करें
  • दूरस्थ और सीमांत क्षेत्रों में खाद्यान्न पहले ही पहुँचा दें
  • पेयजल योजनाओं की स्थिति का परीक्षण करें
  • बिजली आपूर्ति बाधित न हो, इसके लिए बैकअप सिस्टम सक्रिय रखें

स्वास्थ्य विभाग को विशेष निर्देश दिए गए हैं कि अस्पतालों में—

  • जीवनरक्षक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित हो
  • चिकित्सकों और एम्बुलेंस स्टाफ की 24×7 तैनाती रहे
  • ऑक्सीजन सिलेंडर और जनरेटर सेट तैयार हालत में रहें
  • गर्भवती महिलाओं, गंभीर रोगियों और वृद्धों के लिए विशेष निगरानी योजना बनाई जाए

रैन बसेरों, अलाव और बेसहारा पशुओं की सुरक्षा के निर्देश

उत्तराखंड के शहरों और कस्बों में रात के समय आवागमन और ठंड दोनों बढ़ जाते हैं। ऐसे में सड़क किनारों और खुले स्थानों पर अलाव की व्यवस्था अनिवार्य कर दी गई है।

सचिव ने निर्देश दिए कि—

  • सभी रैन बसेरों में कंबल, गद्दे, गर्म पानी और प्रकाश की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए
  • नगर निकाय रात के दौरान अलाव के लिए लकड़ी उपलब्ध कराएं
  • सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर ‘नाइट सर्वे’ अभियान चलाया जाए

इसके साथ ही बेसहारा पशुओं और ग्रामीण क्षेत्रों के मवेशियों के लिए भी सुरक्षा योजना बनाने को कहा गया है। पशुपालन विभाग को गो–शालाओं की क्षमता बढ़ाने और अतिरिक्त चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश मिले हैं।


जनहित में जागरूकता अभियान पर विशेष जोर

शीत लहर के दौरान ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में जागरूकता की कमी बड़ी समस्या बन जाती है। इसे देखते हुए विभाग ने पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम के माध्यम से नियमित अलर्ट जारी करने को कहा है।

इन घोषणाओं में—

  • ठंड से बचाव के उपाय
  • कमजोर वर्गों के लिए उपलब्ध सरकारी सहायता
  • मौसम विभाग के वास्तविक अपडेट
  • खतरनाक क्षेत्रों से दूरी
  • यात्रा से पहले जांचने योग्य बिंदुओं

जैसी जानकारी साझा की जाएगी।


निष्कर्ष

उत्तराखंड इस बार सामान्य से कहीं अधिक कठोर सर्दी का सामना करने जा रहा है। पिछले महीनों में भारी मानसूनी वर्षा और अब संभावित बर्फबारी का खतरा राज्य प्रशासन को सतर्क मोड में ले आया है।

जिलों में कोल्ड वेव एक्शन प्लान, राहत केंद्रों की तैयारी, स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती, अलाव और रैन बसेरा प्रबंधन, तथा सामग्री भंडारण जैसे कदम बताते हैं कि राज्य सरकार सर्दी को “आपदा स्तर” की गंभीरता के साथ ले रही है।

आने वाले दिनों में बर्फबारी और शीत लहर की तीव्रता के बीच यह तैयारी कितना प्रभाव दिखाएगी, यह मौसम और प्रशासनिक तत्परता—दोनों पर निर्भर करेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button