
नई दिल्ली/मुंबई: देश के बड़े महानगरों में वायु प्रदूषण को लेकर जारी चिंता के बीच मुंबई की हवा में पिछले एक सप्ताह से लगातार सुधार देखने को मिल रहा है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने दावा किया है कि शहर में लागू प्रदूषण नियंत्रण उपायों का सकारात्मक असर दिखाई देने लगा है, जिसके चलते यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 150 से नीचे आ गया है और कई निगरानी स्टेशनों पर यह 100 के आसपास दर्ज किया गया है।
इसके चलते सोमवार शाम मुंबई से ग्रैप-4 (GRAP-IV) पाबंदियां हटा दी गईं—जो कि प्रदूषण की ‘गंभीर प्लस’ स्थिति में लागू की जाती हैं। लेकिन इसी बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। बुधवार को भी दिल्ली के कई इलाकों में AQI 400 के पार रहा, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है और स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है।
मुंबई में हवा सुधरी, कैसे घटा AQI?
बुधवार सुबह 6 बजे मुंबई का औसत AQI 132 रिकॉर्ड किया गया—जो ‘मध्यम से संतोषजनक’ श्रेणी के बीच का स्तर है।
नवी मुंबई में यह 144, जबकि उपनगरीय इलाके कांदीवली वेस्ट में सिर्फ 102 दर्ज किया गया।
पिछले एक सप्ताह में यह सुधार लगातार देखने को मिला है—
- 30 नवंबर: AQI 114
- 1 दिसंबर: AQI 127
- 4 दिसंबर: AQI 130–150 के बीच
BMC का कहना है कि सुधार “आकस्मिक” नहीं बल्कि “नीति-आधारित हस्तक्षेप” का परिणाम है।
BMC ने सुधार के जिन कदमों का दावा किया—
- निर्माण स्थलों पर कड़े धूल नियंत्रण नियम
- सड़क की धूल को नियंत्रित करने के लिए नियमित वॉटर स्प्रे
- स्मॉग टावरों और एंटी-स्मॉग गन का उपयोग
- भारी वाहनों के लिए रूट डायवर्जन
- औद्योगिक इकाइयों की सतत निगरानी
- कचरा जलाने पर सख्त कार्रवाई
BMC अधिकारियों के अनुसार, पिछले कई सप्ताह से औद्योगिक क्षेत्रों में रात के समय होने वाले उत्सर्जन पर विशेष नजर रखी जा रही थी। साथ ही निर्माण स्थलों के लिए नए दिशानिर्देश लागू किए गए थे, जिसमें धूल की रियल-टाइम मॉनिटरिंग और वीडियो सर्विलांस शामिल है।
क्या है ग्रैडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)?
GRAP यानी ग्रैडेड रिस्पांस एक्शन प्लान प्रदूषण के स्तर के अनुसार लागू होने वाला चरणबद्ध नियंत्रण तंत्र है।
- ग्रैप-1: AQI 201–300
- ग्रैप-2: AQI 301–400
- ग्रैप-3: AQI 401–450
- ग्रैप-4: AQI 450+
GRAP-IV के दौरान
- निर्माण गतिविधियाँ पूरी तरह रोक दी जाती हैं
- ट्रकों की एंट्री प्रतिबंधित होती है
- स्कूल–कॉलेज बंद किए जा सकते हैं
- सार्वजनिक और निजी वाहनों का उपयोग सीमित हो जाता है
मुंबई में GRAP-IV पाबंदियां केवल कुछ दिनों के लिए लागू थीं, लेकिन सुधार के बाद इन्हें हटाना पड़ा।
दिल्ली में स्थिति अभी भी गंभीर, AQI 400+
जहाँ मुंबई राहत की सांस ले रही है, वहीं दिल्ली अब भी प्रदूषण से बेहाल है। बुधवार सुबह राजधानी का AQI कई इलाकों में 400–450 के ऊपर दर्ज किया गया—जो ‘गंभीर’ श्रेणी है। आनंद विहार, नेहरू नगर, वजीरपुर, अशोक विहार और बवाना जैसे क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर लगातार ऊंचा बना हुआ है।
दिल्ली में GRAP-3 और GRAP-4 की पाबंदियाँ लागू होने के बावजूद वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार नहीं देखा गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका कारण—
- हवा की कम गति
- तापमान में गिरावट
- सर्दी में प्रदूषक कणों का जमीन के पास जमा होना
- आसपास के राज्यों में पराली जलने की घटनाएँ
- वाहनों की भारी संख्या
इन सभी कारणों के चलते दिल्ली में स्मॉग की परत स्थिर बनी रहती है।
मुंबई और दिल्ली: दो शहरों की अलग कहानी
दिल्ली और मुंबई के AQI में बड़ा अंतर यह भी दिखाता है कि प्रदूषण नियंत्रण उपाय मौसम और भूगोल के साथ किस तरह काम करते हैं।
मुंबई के फायदे
- समुद्री हवा प्रदूषकों को फैलाती है
- तापमान में अचानक गिरावट कम
- औद्योगिक क्षेत्र सीमित
- खुले क्षेत्र और तटीय वातावरण
दिल्ली की चुनौतियाँ
- स्थल-आवेष्ठित क्षेत्र (Landlocked)
- हवा का प्रवाह सीमित
- सर्दी में तापमान उलटाव (Temperature inversion)
- आसपास के राज्यों की पराली का प्रभाव
- भारी वाहनों का दबाव
- धूल भरी मिट्टी और कंस्ट्रक्शन की अधिकता
इन कारणों से दोनों महानगरों में प्रदूषण नियंत्रण उपायों के परिणाम अलग-अलग देखने को मिलते हैं।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो मुंबई का मॉडल अन्य शहरों के लिए “व्यावहारिक उदाहरण” बन सकता है, बशर्ते स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार इसे अनुकूलित किया जाए।
पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. योगेश शर्मा के अनुसार:
“मुंबई का सुधार इसलिए बेहतर दिख रहा है क्योंकि प्रशासन ने त्वरित और सख्त कदम उठाए। दूसरी ओर दिल्ली में मौसमीय परिस्थितियाँ प्रतिकूल हैं, जिससे किसी भी उपाय का असर कम हो जाता है।”
दिल्ली में धूल और वाहन प्रदूषण कुल वायु प्रदूषण का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा माना जाता है। बायोमास बर्निंग, औद्योगिक उत्सर्जन और तापमान inversion स्थिति को और बिगाड़ देता है।
क्या मुंबई मॉडल दिल्ली में लागू हो सकता है?
विशेषज्ञों के बीच इस पर मत विभाजित हैं।
कुछ का मानना है कि दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए
- निर्माण स्थलों पर कठोर निगरानी
- सड़क की मशीन से धुलाई
- कचरा जलाने पर त्वरित दंड
- सार्वजनिक परिवहन को अत्यधिक बढ़ावा
- रियल-टाइम उत्सर्जन मॉनिटरिंग
जैसे कदम लागू किए जाएं तो स्थिति में सुधार संभव है।
लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली की भौगोलिक स्थिति और सर्दी का मौसम मुंबई की तुलना में बहुत बड़ी चुनौती है।
निष्कर्ष
मुंबई की हवा में तेजी से सुधार भारतीय महानगरों के लिए सकारात्मक संकेत है। BMC की रणनीतियाँ, विशेषकर निर्माण स्थलों और औद्योगिक उत्सर्जन पर कड़ी निगरानी, वायु प्रदूषण नियंत्रण में प्रभावी साबित होती दिख रही हैं।
दूसरी ओर दिल्ली अभी भी प्रदूषण से जूझ रही है, जहाँ GRAP की पाबंदियाँ भी अपेक्षित राहत नहीं दे पा रही हैं। विशेषज्ञों की राय है कि दिल्ली को मौसमीय कारकों के साथ ही प्रदूषण के स्थायी स्रोतों पर और अधिक कठोर कदम उठाने होंगे।
देश के दो बड़े शहरों की यह कहानी बताती है कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केवल प्रतिबंध नहीं, बल्कि तकनीक, निगरानी, स्थानीय माहौल और प्रशासनिक इच्छाशक्ति—सबकी जरूरत होती है।



