
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में यमुना नदी लगातार प्रदूषण की चपेट में है और इसकी स्थिति चिंताजनक स्तर तक पहुंच चुकी है। इसी कड़ी में दिल्ली सरकार ने मंगलवार को दि एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) द्वारा हाल ही में जारी उस अध्ययन की विस्तृत समीक्षा की, जिसमें यमुना नदी में माइक्रोप्लास्टिक, रासायनिक प्रदूषकों और झाग की बढ़ती मात्रा का गंभीर खुलासा किया गया है। बैठक के बाद सरकार ने सभी संबंधित विभागों को समयबद्ध और तकनीक-आधारित हस्तक्षेप करने के आदेश जारी किए हैं।
टेरी अध्ययन में क्या सामने आया?
टेरी की रिपोर्ट के अनुसार, यमुना में प्रदूषण के स्तर में लगातार वृद्धि दर्ज हुई है, खासकर—
- माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा सामान्य से कई गुना अधिक
- औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले रासायनिक प्रदूषकों का बढ़ता स्तर
- कई हिस्सों में देखा गया घना झाग, जो अमोनिया, फॉस्फेट और डिटर्जेंट रसायनों के मिश्रण का संकेत है
अध्ययन में यह भी पाया गया कि नदी के दिल्ली वाले भाग में जल गुणवत्ता तेजी से गिर रही है और प्रदूषण के स्तर राष्ट्रीय मानकों से काफी नीचे हैं।
सरकार हुई सख्त, विभागों को दिए जरूरी निर्देश
दिल्ली सरकार ने अध्ययन की समीक्षा करते हुए इसे ‘गंभीर पर्यावरणीय चिंता’ बताते हुए कहा कि नदी की वर्तमान स्थिति तत्काल कार्रवाई की मांग करती है। सरकार ने—
- प्रदूषण स्रोतों की पहचान
- उचित अपशिष्ट प्रबंधन
- सीवर कनेक्टिविटी सुधारने
- नालों को ट्रीटमेंट प्लांट्स से जोड़ने
- और तकनीक के इस्तेमाल से रियल-टाइम मॉनिटरिंग
जैसे कदमों पर तेजी से काम करने के निर्देश दिए हैं।
सरकार ने अधिकारियों को स्पष्ट कहा है कि किसी भी प्रकार की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
औद्योगिक इकाइयों पर सख्ती की तैयारी
सरकार ने प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है। रिपोर्ट में सामने आया है कि कई औद्योगिक क्षेत्र अभी भी बिना उपचारित अपशिष्ट सीधे नालों में छोड़ रहे हैं, जिससे यमुना का प्रदूषण स्तर बढ़ रहा है। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि औद्योगिक अपशिष्ट का
- रियल-टाइम ट्रैकिंग,
- अपशिष्ट निस्तारण के लिए आधुनिक तकनीक,
- और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना एवं कार्रवाई
सुनिश्चित की जाए।
नालों की सफाई और सीवर ट्रीटमेंट पर जोर
दिल्ली में यमुना में गिरने वाले बड़े नाले प्रदूषण का मुख्य कारण हैं। बैठक में यह तय किया गया कि—
- सभी कॉलोनियों में 100% सीवर कनेक्शन सुनिश्चित किए जाएं
- पुराने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) को अपग्रेड किया जाए
- नालों में गिरने वाला गंदा पानी पूरी तरह रोका जाए
- बारापुला, महारानी बाग, काला देवी जैसे बड़े नालों की तत्काल सफाई की जाए
सरकार ने कहा कि यह काम चरणबद्ध तरीके से, लेकिन तय समय सीमा में पूरा होना चाहिए।
तकनीक आधारित निगरानी होगी मजबूत
बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि यमुना में प्रदूषण स्तर की निगरानी के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा। इसमें शामिल होंगे—
- रियल-टाइम मॉनिटरिंग स्टेशन
- ड्रोन सर्विलांस
- IoT आधारित सेंसर सिस्टम
- और डेटा एनालिटिक्स के जरिए प्रदूषण स्रोतों की पहचान
सरकार का मानना है कि इस तरह की तकनीक उपयोग से प्रदूषण नियंत्रण में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ेगी।
जल मंत्री का बयान
हालांकि आधिकारिक बयान अभी सामने नहीं आया है, लेकिन प्रमुख सूत्रों के अनुसार संबंधित मंत्री ने कहा कि “यमुना की स्थिति बेहद चिंताजनक है। प्रदूषण कम करने के लिए हर विभाग को जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा। समयबद्ध कार्रवाई और आधुनिक तकनीक का उपयोग आने वाले दिनों में हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी।”
उद्धृत सूत्रों का कहना है कि सरकार जल्द ही एक समग्र कार्ययोजना भी जारी करेगी जिसमें यमुना की सफाई से संबंधित दीर्घकालिक और अल्पकालिक रणनीतियाँ शामिल होंगी।
नागरिकों की भूमिका पर भी दिया जाएगा जोर
सरकार का मानना है कि केवल प्रशासनिक कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। अगले चरण में—
- स्थानीय समुदायों को जोड़ने,
- कॉलोनियों को ‘जीरो वेस्ट’ बनाने,
- नदी किनारे कचरा फेंकने पर रोक लगाने,
- तथा जागरूकता कार्यक्रम चलाने
पर भी जोर दिया जाएगा।
यमुना की ऐतिहासिक समस्या, समाधान अभी दूर
यमुना नदी दिल्ली की जीवनरेखा मानी जाती है, लेकिन पिछले कई दशकों से यह देश की सबसे प्रदूषित नदियों में शामिल है। करीब 22 किलोमीटर लंबा दिल्ली वाला हिस्सा ही पूरे नदी प्रदूषण का 70% से अधिक भार झेलता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक—
- सीवर सिस्टम पूरी तरह दुरुस्त नहीं होगा,
- और औद्योगिक अपशिष्ट पर सख्ती नहीं होगी,
तब तक प्रदूषण समस्या खत्म होना मुश्किल है।
आगे क्या?
सरकार ने संकेत दिए हैं कि टेरी की रिपोर्ट के आधार पर आने वाले हफ्तों में और भी महत्वपूर्ण घोषणाएँ की जा सकती हैं। पर्यावरण विभाग को निर्देश दिया गया है कि 15 दिन के भीतर एक विस्तृत एक्शन प्लान पेश किया जाए और कार्रवाई की रिपोर्ट हर सप्ताह मुख्य सचिव को भेजी जाए।



