Uttarakhand: चमोली में शर्मनाक कांड: दो नाबालिग छात्रों के यौन शोषण के आरोपी शिक्षक की गिरफ्तारी, प्रमाणपत्र जारी करने में भी उठे सवाल
राजकीय इंटर कॉलेज, गौणा में बतौर अतिथि प्रवक्ता तैनात शिक्षक यूनुस अंसारी को दो नाबालिग छात्र–छात्रा के यौन शोषण के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है
चमोली/देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले से शिक्षा व्यवस्था और स्थानीय प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है। राजकीय इंटर कॉलेज, गौणा में बतौर अतिथि प्रवक्ता तैनात शिक्षक यूनुस अंसारी को दो नाबालिग छात्र–छात्रा के यौन शोषण के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
शिकायत सामने आने के मात्र 12 घंटे के भीतर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को यूपी के बिजनौर जिले के जलालाबाद इलाके से दबोच लिया। गिरफ्तारी के बाद अंसारी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में पुरसाड़ी जेल भेज दिया गया।
कैसे सामने आया पूरा मामला?
30 नवंबर को पीड़ित परिवारों ने कोतवाली चमोली में तहरीर दी, जिसमें बच्चों के साथ लगातार दुराचार किए जाने और परीक्षा में फेल करने की धमकी देकर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लगाए गए।
परिजनों का आरोप था कि अंसारी कई महीनों से बच्चों का शोषण कर रहा था, लेकिन बच्चे डर के कारण इस घटना को किसी से साझा नहीं कर पाए।
जैसे ही शिकायत पुलिस तक पहुंची, चमोली पुलिस ने मामले को गंभीर अपराध की श्रेणी में लेते हुए तुरंत कार्रवाई शुरू की। एसपी सुरजीत सिंह पंवार के निर्देश पर एसआई विजय प्रकाश के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई।
12 घंटे का ऑपरेशन: यूपी से दबोचा गया आरोपी
विशेष पुलिस टीम ने सर्विलांस, मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग और अन्य तकनीकी इनपुट की मदद से आरोपी की गतिविधियों पर निगरानी रखी।
सूत्रों के अनुसार, शिकायत दर्ज होने के बाद आरोपी अंसारी उत्तराखंड छोड़कर अपने मूल क्षेत्र बिजनौर की ओर भाग गया था।
टीम ने लगातार पीछा करते हुए बिजनौर के जलालाबाद इलाके से उसे गिरफ्तार कर लिया।
उत्कृष्ट कार्य के लिए पुलिस टीम को ₹2500 के इनाम की घोषणा की गई है।
पुलिस ने बताया कि आरोपी गिरफ्तारी के दौरान भागने की फिराक में था, इसलिए उसके खिलाफ आगे और धाराएँ बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है।
गांव के लोगों के आरोप: “लंबे समय से गलत हरकतें कर रहा था”
गौणा गांव के ग्रामीणों के अनुसार, यूनुस अंसारी की छवि पहले से ही विवादित रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि:
- वह लंबे समय से बच्चों के साथ अशोभनीय व्यवहार कर रहा था।
- कई बार शिकायतें उठीं, लेकिन किसी ने औपचारिक रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई।
- आरोपी पहले ही वर्षों पहले चमोली छोड़कर अपने परिवार के साथ बिजनौर जा चुका था।
गांव वालों का कहना है कि अंसारी का परिवार भी पहले चमोली में कई विवादों में शामिल रहा है। ग्रामीणों ने आशंका जताई कि “यह उसका पहला अपराध नहीं है, बल्कि मामला सामने आने में देरी हुई है।”
सबसे बड़ा सवाल: बाहर का व्यक्ति कैसे बना ‘स्थायी निवासी’?
इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा सवाल जिस बिंदु पर खड़े हो रहे हैं, वह है—
चमोली तहसील से जारी स्थायी निवास प्रमाणपत्र।
ग्रामीणों का आरोप है कि:
- आरोपी मूल रूप से बिजनौर का रहने वाला है।
- वर्षों से चमोली में स्थायी रूप से निवास भी नहीं कर रहा था।
- इसके बावजूद उसे चमोली तहसील से स्थायी निवासी प्रमाणपत्र (Domicile Certificate) जारी कर दिया गया।
यही प्रमाणपत्र अतिथि शिक्षक के पद पर उसकी नियुक्ति का मुख्य आधार बना।
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि प्रमाणपत्र जारी करने में संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए, क्योंकि यह पूरा मामला गंभीर स्तर की प्रशासनिक लापरवाही की ओर संकेत करता है।


स्कूल प्रबंधन ने किया पल्ला झाड़ने की कोशिश?
स्कूल प्रबंधन की ओर से अभी तक कोई विस्तृत आधिकारिक बयान नहीं आया है।
हालांकि, स्थानीय सूत्रों का दावा है कि—
- स्कूल प्रशासन को शिक्षक के व्यवहार को लेकर पहले भी शिकायतें मिली थीं।
- लेकिन कार्रवाई शून्य रही और मामला दबा दिया गया।
यदि यह सही साबित होता है, तो स्कूल प्रबंधन पर भी कठोर कार्रवाई हो सकती है।
पुलिस क्या कह रही है?
चमोली एसपी सुरजीत सिंह पंवार ने बताया—
“मामला अत्यंत गंभीर है। बच्चों के बयान और अन्य साक्ष्यों के आधार पर आरोपी के खिलाफ पोक्सो सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। आगे यदि और पीड़ित सामने आते हैं, तो मामले में अतिरिक्त जांच की जाएगी।”
पुलिस अब आरोपी के क्रिमिनल बैकग्राउंड, कॉल रिकॉर्ड, सोशल मीडिया चैट और विद्यालय परिसर की गतिविधियों की जांच में जुटी है।
समाज और शिक्षा व्यवस्था के लिए बड़ा सबक
यह घटना सिर्फ एक यौन शोषण कांड नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही, विद्यालय सुरक्षा व्यवस्था और प्रमाणपत्र सत्यापन की कमजोर प्रणाली का बड़ा उदाहरण बनकर सामने आई है।
मामले ने तीन गंभीर मुद्दे उजागर कर दिए हैं:
1. बच्चों के सुरक्षा तंत्र की कमजोरी
विद्यालयों में बच्चों की सुरक्षा और गोपनीय शिकायत तंत्र को सशक्त करने की तत्काल जरूरत है।
2. नियुक्ति प्रक्रिया में खामियां
यदि एक बाहर का व्यक्ति झूठे दस्तावेज़ों पर शिक्षक बन सकता है, तो यह राज्य के पूरे शिक्षा तंत्र पर सवाल खड़ा करता है।
3. प्रशासनिक भ्रष्टाचार की आशंका
स्थायी निवास प्रमाणपत्र जारी करने में भी अनियमितता उजागर हुई है, जिसकी निष्पक्ष जांच आवश्यक है।
आगे क्या?
पुलिस अब—
- पीड़ित बच्चों के मेडिकल और मनोवैज्ञानिक परीक्षण
- आरोपी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की फॉरेंसिक जांच
- स्थायी निवास प्रमाणपत्र के जारी करने में शामिल सरकारी कर्मचारियों की जवाबदेही
- स्कूल प्रबंधन की भूमिका—सबकी गहन पड़ताल कर रही है। मामला पोक्सो कानून के तहत चलाया जा रहा है, जिसके तहत सख्त सजा की संभावना है।
निष्कर्ष
चमोली का यह मामला सिर्फ एक जिले तक सीमित घटना नहीं, बल्कि यह बताता है कि शिक्षा संस्थानों में सुरक्षा के नाम पर कितना बड़ा शून्य मौजूद है। आरोपी शिक्षक की गिरफ्तार भले ही राहत देती है, लेकिन इससे जुड़े कई सवाल अभी बाकी हैं—खासकर उस प्रमाणपत्र के बारे में, जिसने उसे बच्चों के बीच अध्यापक के रूप में प्रवेश दिलाया। जब तक इन सवालों के जवाब नहीं मिलते, मामला अधूरा ही रहेगा।



