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देश में रबी फसलों की बुआई में 27.83 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी, गेहूं की बुआई में रिकॉर्ड उछाल

कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा – रबी सीजन 2025 की शानदार शुरुआत, गेहूं और दलहन की खेती में जबरदस्त वृद्धि

नई दिल्ली, 12 नवंबर: देशभर में रबी सीजन 2025 की बुआई ने इस वर्ष मजबूत रफ्तार पकड़ ली है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 07 नवंबर, 2025 तक रबी फसलों की कुल बुआई का क्षेत्रफल 130.32 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि (102.50 लाख हेक्टेयर) की तुलना में 27.83 लाख हेक्टेयर अधिक है।

विशेष रूप से, गेहूं की बुआई में इस बार सबसे अधिक उछाल दर्ज किया गया है, जो इस सीजन के सकारात्मक संकेतों में से एक माना जा रहा है।


गेहूं की बुआई में दोगुना इज़ाफ़ा

कृषि मंत्रालय के “Progress of area coverage under Rabi crops” रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष गेहूं की बुआई क्षेत्र में 12.74 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
पिछले वर्ष 07 नवंबर, 2024 तक गेहूं की बुआई 9.98 लाख हेक्टेयर में की गई थी, जबकि इस साल यह आंकड़ा 22.72 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है।

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस वृद्धि के पीछे समय पर हुई मानसूनी वर्षा, मिट्टी में नमी की पर्याप्तता, और किसानों को बेहतर बीज एवं MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का भरोसा प्रमुख कारण हैं।
उत्तर भारत के राज्य—उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश—में गेहूं की बुआई ने अपेक्षाकृत तेज़ रफ्तार पकड़ी है।


दलहन की खेती में भी बढ़ोतरी

सरकार द्वारा दलहन उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए पिछले वर्ष MSP में बढ़ोतरी और बीज वितरण योजनाएं चलाई गई थीं। इसका सीधा असर इस सीजन की बुआई पर देखा जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, दलहन फसलों का कुल बुवाई क्षेत्र 07 नवंबर, 2024 के 30.43 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 36.83 लाख हेक्टेयर हो गया है, यानी 6.40 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई है।

कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, चना (Gram), मसूर (Lentil) और मटर (Pea) जैसी प्रमुख दलहन फसलों के क्षेत्र में उल्लेखनीय विस्तार हुआ है।
विशेष रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक जैसे राज्यों में किसानों ने दलहन की खेती में पिछले साल की तुलना में अधिक रुचि दिखाई है।


तेलहन और मोटे अनाज की बुआई भी बढ़ी

रबी सीजन की अन्य फसलों में भी सकारात्मक रुझान देखने को मिला है।
कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि तेलहन फसलों का कुल क्षेत्रफल 8.35 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 9.62 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। इसमें सरसों (Mustard) और राई (Rapeseed) की बुआई में विशेष वृद्धि दर्ज की गई है।

वहीं, मोटे अनाज (Coarse Cereals) की बुआई में भी करीब 2.35 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह संकेत है कि किसान विविध फसल चक्र अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।


मौसम और नीति का मिला संयोजन

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर और नवंबर के पहले सप्ताह में अधिकांश रबी उत्पादक राज्यों में संतुलित तापमान और मिट्टी में पर्याप्त नमी रही, जिसने बुआई की स्थिति को बेहतर बनाया।
कृषि नीति विशेषज्ञों का कहना है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि सिंचाई योजना और MSP में नियमित वृद्धि ने किसानों को इस सीजन में अधिक निवेश और विस्तार के लिए प्रेरित किया है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एन.के. चौहान के अनुसार,

“देश में गेहूं की बुआई में इस साल दोगुनी गति देखने को मिली है। यदि दिसंबर तक यह रफ्तार जारी रही, तो उत्पादन स्तर पिछले वर्ष से 10-12% तक अधिक रहने की संभावना है।”


कृषि मंत्रालय की निगरानी और संभावनाएं

कृषि मंत्रालय ने बताया है कि वह राज्यों के साथ मिलकर बुआई की प्रगति की साप्ताहिक निगरानी कर रहा है। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि

“अब तक की प्रगति बेहद उत्साहजनक है। अगर मौसम सामान्य रहा, तो इस बार रबी सीजन की कुल उत्पादन क्षमता रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकती है।”

कृषि मंत्रालय ने यह भी बताया कि देश में इस साल रबी सीजन की प्रारंभिक सफलता न केवल खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करेगी, बल्कि कृषि निर्यात को भी नई दिशा दे सकती है।


आर्थिक दृष्टिकोण से सकारात्मक संकेत

आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, रबी फसलों की मजबूत शुरुआत का असर आगामी महीनों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) दोनों पर पड़ेगा।
अच्छी बुआई का मतलब होगा अधिक उत्पादन, स्थिर खाद्य मूल्य और ग्रामीण आय में बढ़ोतरी, जिससे समग्र रूप से अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा।


रबी सीजन 2025 की बुआई के शुरुआती आंकड़े इस बात का संकेत दे रहे हैं कि भारतीय कृषि इस साल मजबूती की राह पर है। सरकार की योजनाओं, मौसम की अनुकूलता और किसानों की तैयारी ने मिलकर इस साल बुआई के आंकड़ों को ऐतिहासिक बना दिया है। अगर मौसम सामान्य रहा, तो देश इस बार गेहूं, दलहन और तेलहन उत्पादन में नए रिकॉर्ड कायम कर सकता है।

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