
नई दिल्ली, 10 नवंबर (भाषा): कांग्रेस की छात्र इकाई भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने सोमवार को ‘वोट चोरी’ के कथित मामलों को लेकर निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) के मुख्यालय के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। संगठन ने आरोप लगाया कि हरियाणा में मतदाता सूची (Voter List) में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई है, जिसके लिए आयोग और सत्तारूढ़ भाजपा दोनों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने राजधानी में संगठन के मुख्यालय से निर्वाचन आयोग तक मार्च निकाला और जमकर नारेबाज़ी की। प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां और बैनर थे जिन पर लिखा था— “वोट हमारी पहचान है, इसे चोरी नहीं होने देंगे” और “लोकतंत्र की रक्षा के लिए सड़क पर उतरेंगे”। प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के व्यापक इंतज़ाम किए और आयोग भवन के आसपास बैरिकेड लगाए गए।
‘हरियाणा में लोकतंत्र की नींव हिलाई जा रही है’: एनएसयूआई अध्यक्ष
एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष केविन अल्फ्रेड ने कहा कि संगठन के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि हरियाणा में मतदाता सूची में बड़ी संख्या में फर्जी नाम जोड़े गए हैं और विपक्षी दलों के समर्थकों के नाम सिस्टमेटिक तरीके से हटाए गए हैं।
“यह सिर्फ हरियाणा की बात नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को हिलाने वाली साज़िश है। जब मतदाता सूची ही संदिग्ध हो जाएगी तो चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठना लाज़मी है,” — केविन अल्फ्रेड ने प्रदर्शन के दौरान कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि एनएसयूआई इस मुद्दे को राष्ट्रव्यापी अभियान के रूप में उठाएगी ताकि युवाओं को यह समझाया जा सके कि मताधिकार केवल अधिकार नहीं बल्कि जिम्मेदारी भी है।
‘भाजपा पर मतदाता सूची में हस्तक्षेप का आरोप’
एनएसयूआई के अनुसार, हरियाणा के कई विधानसभा क्षेत्रों में ऐसे मतदाता नाम सूचीबद्ध किए गए हैं जिनका अस्तित्व ही नहीं है या जो कई साल पहले दूसरे राज्यों में स्थानांतरित हो चुके हैं। संगठन ने आरोप लगाया कि यह कार्य स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया है ताकि सत्तारूढ़ दल को चुनावी लाभ पहुंचाया जा सके।
एनएसयूआई ने यह भी कहा कि उसने इस संबंध में विस्तृत ज्ञापन तैयार किया है, जिसे आयोग को सौंपा जाएगा। ज्ञापन में फर्जी मतदाताओं के उदाहरण, डुप्लीकेट नामों की सूची और संदिग्ध मतदान केंद्रों का विवरण शामिल है।
“भाजपा लगातार चुनावी प्रक्रिया में दखल देने की कोशिश कर रही है। यह मतदाता सूची की छेड़छाड़ लोकतांत्रिक ढांचे पर सीधा हमला है,” — एनएसयूआई के राष्ट्रीय महासचिव निखिल साहनी ने कहा।
दिल्ली पुलिस ने रोका मार्च, कुछ कार्यकर्ता हिरासत में
जैसे ही प्रदर्शनकारी निर्वाचन आयोग भवन के पास पहुंचे, पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। मौके पर हल्का धक्का-मुक्की का भी माहौल बना, जिसके बाद कुछ एनएसयूआई कार्यकर्ताओं को प्रिवेंटिव हिरासत में लिया गया।
हालांकि, देर शाम तक सभी कार्यकर्ताओं को छोड़ दिया गया। पुलिस ने कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा और किसी प्रकार की तोड़फोड़ या हिंसा नहीं हुई।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया,
“हमने प्रदर्शन की अनुमति सीमित क्षेत्र में दी थी। कुछ लोग सुरक्षा घेरे को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे, इसलिए उन्हें अस्थायी रूप से हिरासत में लिया गया।”
निर्वाचन आयोग से पारदर्शिता की मांग
एनएसयूआई ने अपने ज्ञापन में निर्वाचन आयोग से मांग की है कि वह हरियाणा की मतदाता सूची की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराए।
संगठन ने कहा कि यदि आयोग ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो एनएसयूआई यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाएगी।
एनएसयूआई प्रवक्ता ने कहा—
“हम आयोग से यह उम्मीद करते हैं कि वह अपनी निष्पक्षता और विश्वसनीयता को कायम रखे। मतदाता सूची किसी भी लोकतंत्र की रीढ़ होती है, और उसमें छेड़छाड़ राष्ट्रविरोधी कृत्य के समान है।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस प्रदर्शन के बाद कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने एनएसयूआई के कदम का समर्थन किया। पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा—
“युवा पीढ़ी लोकतंत्र की रक्षा के लिए सड़कों पर है। एनएसयूआई का यह विरोध जनभागीदारी और पारदर्शिता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।”
वहीं भाजपा ने इन आरोपों को निराधार और राजनीतिक प्रचार बताया। हरियाणा भाजपा के प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी का किसी भी तरह की मतदाता सूची से कोई लेना-देना नहीं है।
“निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र संस्था है। कांग्रेस को हार का डर है, इसलिए वह आयोग की साख पर हमला कर रही है,” — भाजपा प्रवक्ता ने कहा।
मतदाता सूची विवाद: पृष्ठभूमि और संदर्भ
हरियाणा में बीते कुछ महीनों से मतदाता सूची को लेकर विवाद उठते रहे हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि मतदाता सूची में डुप्लीकेट नामों की संख्या बढ़ी है, जबकि कई वास्तविक मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं।
राज्य में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में यह मामला राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील हो गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विवाद केवल एक राज्य का नहीं है, बल्कि इससे चुनावी पारदर्शिता पर देशव्यापी बहस छिड़ सकती है।
वरिष्ठ चुनाव विश्लेषक प्रो. सुधांशु राय के अनुसार—
“चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि मतदाता सूची की प्रत्येक प्रविष्टि प्रमाणिक और अद्यतन हो। यदि युवा संगठन ऐसे मुद्दों पर जागरूकता फैला रहे हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए सकारात्मक संकेत है।”
लोकतंत्र की जड़ों को बचाने की मुहिम
एनएसयूआई ने घोषणा की है कि आने वाले हफ्तों में वह ‘वोट की रक्षा’ नामक अभियान शुरू करेगी, जिसके तहत देशभर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सेमिनार, जनचर्चा और हस्ताक्षर अभियान चलाए जाएंगे।
संगठन ने यह भी कहा कि युवा वर्ग को मतदाता सूची की सत्यता की जांच में सहभागी बनाना इस अभियान का मुख्य उद्देश्य होगा।
“हम चाहते हैं कि हर छात्र अपने क्षेत्र की मतदाता सूची खुद देखे, सत्यापन करे और लोकतंत्र की रक्षा में अपनी भूमिका निभाए,” — एनएसयूआई ने बयान में कहा।
एनएसयूआई का यह प्रदर्शन एक बार फिर देश में चुनावी पारदर्शिता और संस्थागत जवाबदेही को लेकर बहस के केंद्र में है। जहां एक ओर संगठन युवा मतदाताओं को जागरूक करने का दावा कर रहा है, वहीं सत्तारूढ़ दल इसे राजनीतिक नाटक बता रहा है। फिलहाल, सबकी नज़रें निर्वाचन आयोग पर हैं कि वह इन आरोपों की जांच को लेकर क्या कदम उठाता है।



