
देहरादून, 8 नवंबर (भाषा): उत्तराखंड राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर शनिवार को राजधानी देहरादून भावनाओं, सम्मान और गौरव से सराबोर रही। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर शहीद राज्य आंदोलनकारियों को नमन करते हुए उनके परिवारों का सम्मान किया और राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की घोषणा की।
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री धामी द्वारा कचहरी परिसर स्थित शहीद स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित करने और राज्य निर्माण में बलिदान देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देने से हुई। इसके बाद पुलिस लाइन देहरादून में भव्य राज्य आंदोलनकारी सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जहां मुख्यमंत्री ने शहीदों के परिजनों और राज्य आंदोलन में योगदान देने वाले सैकड़ों आंदोलनकारियों को सम्मानित किया। समारोह के दौरान पूरे वातावरण में देशभक्ति और गर्व की भावना व्याप्त थी। इस मौके पर राज्य आंदोलनकारियों पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा भी की गई, जिससे पूरा परिसर भावविभोर हो उठा।

“राज्य निर्माण बलिदान और तप का परिणाम” — मुख्यमंत्री धामी
मुख्यमंत्री धामी ने कहा,
“उत्तराखंड राज्य का निर्माण केवल एक राजनीतिक निर्णय नहीं था, बल्कि यह देवभूमि के लाखों लोगों के बलिदान, संघर्ष और तप का परिणाम है। खटीमा, मसूरी और रामपुर तिराहा की घटनाएं राज्य के इतिहास के अमर अध्याय हैं, जिन्हें हम कभी नहीं भूल सकते।”
उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों ने जिस भावना से यह संघर्ष किया, वही आज उत्तराखंड के विकास की प्रेरणा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने हमेशा आंदोलनकारियों के सम्मान को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और यह आगे भी जारी रहेगा।
राज्य आंदोलनकारियों और आश्रितों के लिए मुख्यमंत्री की सात बड़ी घोषणाएं
समारोह के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने राज्य आंदोलनकारियों के हित में सात महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं, जो आंदोलनकारियों और उनके परिवारों के लिए बड़ी राहत लेकर आई हैं —
- शहीद राज्य आंदोलनकारियों के नाम पर उनके क्षेत्र की प्रमुख अवस्थापना सुविधाओं का नामकरण किया जाएगा।
- राज्य आंदोलन के दौरान 7 दिन जेल गए या घायल हुए आंदोलनकारियों की पेंशन ₹6,000 से बढ़ाकर ₹7,000 प्रतिमाह की जाएगी।
- अन्य राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन ₹4,500 से बढ़ाकर ₹5,500 प्रतिमाह की जाएगी।
- राज्य आंदोलन के दौरान विकलांग होकर शय्याग्रस्त हुए आंदोलनकारियों की पेंशन ₹20,000 से बढ़ाकर ₹30,000 प्रतिमाह की जाएगी, साथ ही उनके लिए मेडिकल अटेंडेंट की सुविधा भी दी जाएगी।
- शहीद राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों की पेंशन ₹3,000 से बढ़ाकर ₹5,500 प्रतिमाह की जाएगी।
- आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण हेतु लंबित आवेदनों के निस्तारण की अवधि छह माह तक बढ़ाई जाएगी।
- राज्य के सभी शहीद स्मारकों का सौंदर्यीकरण कराया जाएगा ताकि नई पीढ़ी उन बलिदानों से प्रेरणा ले सके।
राज्य आंदोलनकारियों के सम्मान में दीप जलाने की अपील
मुख्यमंत्री ने कहा,
“राज्य स्थापना दिवस पर प्रत्येक परिवार अपने घर में पांच दीपक राज्य आंदोलनकारियों की स्मृति में अवश्य जलाए। यह दीप उनके उस त्याग, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक होंगे, जिसने हमें अपनी अलग पहचान दी है।”
उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लक्ष्य में राज्य आंदोलन की भावना ही उनकी सरकार की प्रेरणा है।
राज्य आंदोलन: इतिहास के अमर अध्यायों को याद किया गया
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य आंदोलन के दौरान जिन माताओं ने अपने बेटे खोए, जिन बहनों ने अपने भाइयों को विदा किया और जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों का बलिदान दिया — उनका ऋण कोई सरकार नहीं चुका सकती। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उनके सपनों के अनुरूप एक समृद्ध, सशक्त और आत्मनिर्भर उत्तराखंड के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा,
“राज्य आंदोलन केवल प्रशासनिक पुनर्गठन नहीं था, यह जन-आकांक्षा की परिणति थी। इस आंदोलन ने हमें एक ऐसी पहचान दी जो देवभूमि की संस्कृति, संवेदना और संघर्ष की प्रतिमूर्ति है।”
भव्य आयोजन में शामिल हुए जनप्रतिनिधि और अधिकारी
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और सुबोध उनियाल, सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, विधायक विनोद चमोली, खजानदास, उमेश शर्मा काऊ, सविता कपूर, उपाध्यक्ष राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद सुभाष बड़थ्वाल, जिलाधिकारी देहरादून सविन बंसल, एसएसपी अजय सिंह सहित बड़ी संख्या में राज्य आंदोलनकारी उपस्थित रहे।
सभी ने राज्य आंदोलन के अमर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि यह आयोजन केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि उत्तराखंड की आत्मा के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है।
“राज्य आंदोलन की भावना ही हमारी दिशा” — मुख्यमंत्री का संकल्प
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री धामी ने कहा,
“हमारा संकल्प है कि राज्य आंदोलन की भावना को हर नीति और निर्णय में स्थान मिले। यह राज्य आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखंड बने — ऐसा उत्तराखंड जो आत्मनिर्भर, समृद्ध और सशक्त हो।”
देहरादून में गूंजते “उत्तराखंड अमर रहे” के नारों और पुष्पवर्षा के बीच यह समारोह उत्तराखंड के इतिहास में एक यादगार पल के रूप में दर्ज हो गया।



