
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर: अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों की वापसी का सिलसिला तेज हो गया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, जनवरी 2025 से अब तक कुल 2,790 भारतीयों को अमेरिका से वापस भेजा गया है। ये वे लोग हैं जो वहां बिना वैध दस्तावेजों के रह रहे थे या फिर अमेरिकी इमिग्रेशन मानकों का उल्लंघन कर रहे थे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को साप्ताहिक प्रेसवार्ता में इस संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार अमेरिका समेत अन्य देशों के साथ “नियमित और कानूनी प्रवासन को बढ़ावा देने तथा अवैध प्रवासन को रोकने” की दिशा में सक्रियता से काम कर रही है।
“इस वर्ष जनवरी से अब तक अमेरिका से 2,790 भारतीय नागरिकों को वापस भेजा गया है। यह आंकड़ा दोनों देशों के बीच प्रवासन मामलों में सहयोग की गहराई को दर्शाता है,” — रणधीर जायसवाल, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय
क्यों बढ़ रहे हैं भारतीयों के अवैध प्रवासन के मामले
अमेरिका में पढ़ाई, नौकरी और बेहतर जीवन की तलाश में जाने वाले भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि, कई लोग एजेंटों या मानव तस्करी गिरोहों के जरिए अवैध रूप से प्रवेश करने की कोशिश करते हैं।
विशेष रूप से ‘डंकी रूट’ या ‘जंगल रूट’ के नाम से बदनाम रास्ते के ज़रिए मैक्सिको, ग्वाटेमाला और पनामा के रास्ते अमेरिका में प्रवेश करने वाले भारतीयों की संख्या हाल के वर्षों में बढ़ी है।
भारत से विशेष रूप से पंजाब, गुजरात, हरियाणा और तेलंगाना जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में युवक इस अवैध मार्ग से अमेरिका पहुंचने की कोशिश करते हैं। कई मामलों में ये लोग नकली दस्तावेज़ों, पर्यटक वीज़ा या छात्र वीज़ा का दुरुपयोग कर अमेरिका में रुक जाते हैं और बाद में अवैध निवासी बन जाते हैं।
भारत-अमेरिका के बीच समझौते के तहत की जा रही वापसी
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इन भारतीय नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्रिया भारत और अमेरिका के बीच मौजूद “रीएडमिशन एग्रीमेंट” (Re-admission Agreement) के तहत की जा रही है।
इस समझौते के तहत दोनों देश एक-दूसरे के नागरिकों की पहचान की पुष्टि कर उन्हें उनके देश भेजने में सहयोग करते हैं।
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी विदेशी देश में अवैध रूप से रह रहा है या वहां रहने के लिए अयोग्य पाया जाता है, तो उसे कानूनी प्रक्रिया पूरी कर भारत वापस लाया जाएगा।
प्रवक्ता जायसवाल ने कहा कि केंद्र सरकार न केवल अमेरिका बल्कि कनाडा, यूके और खाड़ी देशों के साथ भी इसी तरह के सहयोगी तंत्र पर काम कर रही है।
अवैध प्रवासन रोकने के लिए चलाए जा रहे अभियान
भारत में हाल के वर्षों में विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के सहयोग से अवैध प्रवासन और फर्जी वीज़ा एजेंटों पर कड़ी कार्रवाई शुरू की गई है।
कई राज्यों में ऐसे गिरोहों का भंडाफोड़ हुआ है जो बेरोजगार युवाओं को झूठे सपने दिखाकर लाखों रुपये लेकर विदेश भेजते थे।
सरकार द्वारा “सुरक्षित प्रवासन, वैध प्रवासन” (Safe and Legal Migration) नाम से एक जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है, जिसमें युवाओं को बताया जा रहा है कि
अवैध तरीकों से विदेश जाने की कोशिश न केवल खतरनाक है, बल्कि उनके भविष्य और जीवन दोनों को खतरे में डाल सकती है।
विदेश में फंसे भारतीयों के लिए सहायता तंत्र
भारत सरकार ने ऐसे मामलों से निपटने के लिए ‘MADAD पोर्टल’ और ‘प्रवासी भारतीय केंद्र’ जैसी व्यवस्थाएँ भी शुरू की हैं।
इसके ज़रिए विदेशों में फंसे भारतीयों को कानूनी सहायता, पासपोर्ट संबंधी मदद और सुरक्षित वापसी की सुविधा दी जाती है।
विदेश मंत्रालय ने हाल ही में कई दूतावासों में “काउंसलर हेल्पलाइन” भी सक्रिय की है, जहाँ अवैध रूप से फंसे भारतीय नागरिक संपर्क कर सकते हैं।
सांख्यिकीय परिप्रेक्ष्य: बढ़ती संख्या चिंता का विषय
अमेरिका की यू.एस. कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) एजेंसी के मुताबिक, वर्ष 2023 में लगभग 97,000 भारतीय नागरिकों को अमेरिका में सीमा पार करते हुए पकड़ा गया था।
यह आंकड़ा पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक था।
2024 में भी यह संख्या तेजी से बढ़ी, जिससे अमेरिका और भारत दोनों देशों के लिए अवैध प्रवासन एक साझा चिंता का विषय बन गया है।
अमेरिकी एजेंसियों का कहना है कि भारत अब उन शीर्ष देशों में शामिल है, जहाँ से लोग अवैध तरीके से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं।
हालांकि, भारत सरकार लगातार यह प्रयास कर रही है कि युवाओं को कानूनी चैनलों — जैसे H-1B वीज़ा, छात्र वीज़ा और कार्य वीज़ा — के माध्यम से जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
मानव तस्करी और एजेंट नेटवर्क पर बढ़ी सख्ती
केंद्र सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में मानव तस्करी और अवैध प्रवासन एजेंटों के खिलाफ सख्त अभियान चलाया है।
पंजाब, गुजरात और हरियाणा में कई एजेंसियों पर फॉरेनर्स एक्ट और मानव तस्करी निरोधक कानूनों के तहत कार्रवाई की गई है।
इसके अलावा, विदेश मंत्रालय राज्यों के पुलिस विभागों के साथ मिलकर ऐसे एजेंटों की सूची साझा कर रहा है, जो युवाओं को गुमराह कर रहे हैं।
“हम चाहते हैं कि हर भारतीय सुरक्षित, कानूनी और गरिमापूर्ण तरीके से विदेश जाए। अवैध प्रवासन से देश की छवि और व्यक्ति की सुरक्षा दोनों को खतरा होता है।” — विदेश मंत्रालय प्रवक्ता रणधीर जायसवाल
सुरक्षित और वैध प्रवासन को बढ़ावा
भारत सरकार ने प्रवासी भारतीयों के हितों की रक्षा के लिए कई नई नीतियाँ तैयार की हैं। इसके तहत, विदेश जाने से पहले पंजीकरण, रोजगार अनुबंधों की सत्यापन प्रक्रिया और कानूनी परामर्श की सुविधा दी जा रही है। ई-मिग्रेशन पोर्टल, ओवरसीज वर्कर्स वेलफेयर स्कीम और भारतीय दूतावासों के प्रोटेक्शन सेल इस दिशा में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
अमेरिका से 2,790 भारतीयों की वापसी केवल एक सांख्यिकीय खबर नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक संकेत है — कि भारत के युवाओं में विदेश जाने की लालसा और अवैध रास्तों के प्रति आकर्षण अब भी व्यापक है।
सरकार के लिए यह चुनौती है कि वह युवाओं को न केवल जागरूक करे बल्कि देश में ही रोजगार, शिक्षा और अवसरों के ऐसे विकल्प दे, जिससे उन्हें अवैध प्रवासन की ओर न जाना पड़े।
भारत और अमेरिका के बीच सहयोग बढ़ना एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन असली सफलता तब मानी जाएगी जब कोई भी भारतीय “डंकी रूट” नहीं, बल्कि “डॉक्यूमेंटेड रूट” से विदेश जाए।



