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बॉम्बे हाईकोर्ट के नए परिसर के लिए शेष भूमि मार्च 2026 तक सौंपी जाएगी : महाराष्ट्र सरकार

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (भाषा)। महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि बांद्रा में बॉम्बे हाईकोर्ट के नए परिसर के निर्माण के लिए शेष भूमि मार्च 2026 के अंत तक सौंप दी जाएगी। राज्य सरकार ने बताया कि परियोजना के लिए निर्धारित कुल 17.45 एकड़ भूमि में से 15.33 एकड़ भूमि का अधिग्रहण पहले ही पूरा किया जा चुका है, जबकि शेष 2.12 एकड़ भूमि मार्च 2026 तक उपलब्ध करा दी जाएगी।


उच्चतम न्यायालय में हुई सुनवाई, राज्य सरकार ने दी प्रगति रिपोर्ट

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष महाराष्ट्र सरकार ने परियोजना की स्थिति रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट के नए परिसर के निर्माण को लेकर कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि “परियोजना का अधिकांश भू-भाग अधिग्रहित किया जा चुका है। कुछ छोटे हिस्से पर स्वामित्व संबंधी प्रक्रियाएँ और पर्यावरणीय अनुमतियाँ लंबित हैं, जिन्हें मार्च 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।”

पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध होनी चाहिए ताकि बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों और वकीलों को जल्द बेहतर और आधुनिक न्यायिक सुविधाएँ मिल सकें।


वर्तमान भवन में जगह की कमी, बढ़ते मामलों से दबाव

बॉम्बे हाईकोर्ट का वर्तमान मुख्यालय दक्षिण मुंबई के ऐतिहासिक फोर्ट क्षेत्र में स्थित है, जहाँ न्यायिक कार्यवाही 150 वर्ष पुराने भवन में संचालित हो रही है। यह भवन अपनी वास्तुकला के लिए भले ही प्रसिद्ध हो, लेकिन न्यायिक जरूरतों के लिहाज से अब अत्यधिक तंग और अव्यवस्थित माना जा रहा है।

वर्तमान में हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या लगभग 94 है, जबकि वकीलों और मुकदमों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। सीमित स्थान के कारण नए न्यायालय कक्षों का निर्माण संभव नहीं हो पा रहा। न्यायालय प्रशासन लंबे समय से अधिक विस्तृत और आधुनिक भवन की मांग कर रहा था।


बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में होगा नया अत्याधुनिक परिसर

राज्य सरकार ने नई न्यायिक परिसर के लिए बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) को चुना है, जो मुंबई का उभरता हुआ प्रशासनिक और व्यावसायिक केंद्र है। प्रस्तावित परियोजना को “न्याय संकुल” के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसमें न केवल बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंचें, बल्कि संबंधित न्यायाधिकरण, वकील कार्यालय, पुस्तकालय, आर्काइव केंद्र, पार्किंग और डिजिटल कोर्ट हॉल जैसी आधुनिक सुविधाएँ भी शामिल होंगी।

परियोजना का डिजाइन भारतीय वास्तुशिल्प परंपरा और आधुनिकता का संगम होगा। इसमें पर्यावरण-अनुकूल निर्माण सामग्री, ऊर्जा-संरक्षण प्रणाली और ग्रीन सर्टिफिकेशन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

राज्य सरकार के अनुसार, “नया हाईकोर्ट परिसर आने वाले दशकों की न्यायिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है, ताकि मुंबई को एक विश्वस्तरीय न्यायिक अवसंरचना मिल सके।”


2022 में सुप्रीम कोर्ट ने लिया था स्वतः संज्ञान

इस मामले की जड़ें वर्ष 2022 में हैं, जब उच्चतम न्यायालय ने बॉम्बे हाईकोर्ट परिसर की जर्जर स्थिति और स्थान की कमी पर स्वतः संज्ञान लिया था। उस समय कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि न्यायपालिका की कार्यक्षमता पर सीधा प्रभाव डालने वाले ऐसे बुनियादी मसलों को हल करने के लिए ठोस योजना क्यों नहीं बनाई जा रही।

तत्पश्चात, महाराष्ट्र सरकार ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की, जिसमें बांद्रा में नया परिसर बनाने का प्रस्ताव रखा गया। अदालत ने इसे “सकारात्मक पहल” बताते हुए सरकार को समयबद्ध कार्ययोजना सौंपने का निर्देश दिया था।


भूमि हस्तांतरण में आ रही चुनौतियाँ

सरकारी सूत्रों के अनुसार, बांद्रा स्थित निर्धारित भूमि के कुछ हिस्से पर निजी स्वामित्व, सार्वजनिक उपक्रमों और विभागीय परिसंपत्तियों का overlapping अधिकार है। इन्हें समन्वयित करने में समय लग रहा है।

इसके अलावा, परियोजना स्थल के निकट कुछ हिस्से पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, जिनके लिए महाराष्ट्र पर्यावरण विभाग से अनुमति लेना आवश्यक है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया कि “सभी विभागों के बीच समन्वय स्थापित कर इन बाधाओं को मार्च 2026 से पहले दूर कर लिया जाएगा।”


मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने जताई चिंता, कहा — न्यायपालिका की गरिमा से जुड़ा मामला

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका की संस्थागत गरिमा केवल फैसलों से नहीं बल्कि उन बुनियादी ढाँचों से भी जुड़ी होती है, जिनसे न्याय प्रदान किया जाता है। उन्होंने कहा —

“बॉम्बे हाईकोर्ट भारत की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित अदालतों में से एक है। उसे विश्वस्तरीय न्यायिक परिसर मिलना केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि न्यायिक गरिमा का प्रश्न है।”

पीठ ने महाराष्ट्र सरकार से हर तीन माह में प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा ताकि भूमि हस्तांतरण और निर्माण कार्य की निगरानी की जा सके।


नए परिसर से न्यायिक दक्षता और जनता की सुविधा दोनों बढ़ेंगी

नए परिसर के पूर्ण होने पर न्यायपालिका और आम जनता दोनों को राहत मिलेगी। मौजूदा फोर्ट स्थित भवन में पहुंचने के लिए ट्रैफिक और पार्किंग की बड़ी समस्या है। नए परिसर में सार्वजनिक परिवहन के बेहतर साधन, मेट्रो और बस कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी।

इसके अलावा, अदालत में ई-कोर्ट सिस्टम, डिजिटल रिकॉर्ड मैनेजमेंट, ऑनलाइन केस ट्रैकिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ग्रीन बिल्डिंग जैसी अत्याधुनिक सुविधाएँ न्यायिक प्रक्रियाओं को गति देंगी।

महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि यह परियोजना “न्यायपालिका के आधुनिकीकरण की दिशा में मील का पत्थर” साबित होगी।


राज्य सरकार का आश्वासन — निर्धारित समय में पूरा होगा कार्य

राज्य के विधि और न्याय विभाग के प्रमुख सचिव ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सभी आवश्यक औपचारिकताएँ तय समय में पूरी की जाएंगी और भूमि का पूरा हस्तांतरण मार्च 2026 तक हो जाएगा। इसके बाद निर्माण कार्य की गति और तेज़ की जाएगी।

राज्य सरकार ने साथ ही यह भी कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट की मुख्य इमारत, जो विरासत महत्व की है, उसका संरक्षण और पुनर्स्थापन भी जारी रहेगा, ताकि ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित रखते हुए आधुनिक न्यायिक आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

बॉम्बे हाईकोर्ट का नया परिसर केवल एक निर्माण परियोजना नहीं, बल्कि भारत की न्यायिक प्रणाली को भविष्य के अनुरूप तैयार करने का प्रतीक है। सुप्रीम कोर्ट की सख्त निगरानी और राज्य सरकार के आश्वासनों के बीच उम्मीद की जा रही है कि मार्च 2026 तक भूमि हस्तांतरण का कार्य पूरा होकर मुंबई को एक ऐसा “न्यायिक परिसर” मिलेगा, जो परंपरा और तकनीक — दोनों का संतुलन प्रस्तुत करेगा।( PTI इनपुट्स के साथ)


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