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“पीओके में मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन” — संयुक्त राष्ट्र में भारत ने फिर खोली पाकिस्तान की पोल

भारत ने कहा — पाकिस्तानी सेना की बर्बरता और संसाधनों के दोहन के खिलाफ अब पीओके की जनता खुद कर रही विद्रोह

 

न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को उसके अपने ही कृत्यों का आईना दिखाया। भारत ने दो टूक कहा कि पाकिस्तान को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में चल रहे मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन को तुरंत रोकना चाहिए।

भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरीश पार्वथानेनी ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में कहा —

“हम पाकिस्तान से उसके द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्रों में मानवाधिकारों के लगातार हो रहे उल्लंघनों को रोकने का आह्वान करते हैं, जहां स्थानीय आबादी अब सैन्य दमन, अत्याचार और संसाधनों के अवैध दोहन के खिलाफ खुले विद्रोह में है।”

भारत ने किया पाकिस्तान के पाखंड का पर्दाफाश

संयुक्त राष्ट्र के मंच से भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान बार-बार कश्मीर के नाम पर झूठा नैरेटिव फैलाने की कोशिश करता है, जबकि हकीकत यह है कि पाकिस्तानी कब्जे वाले क्षेत्रों में उसके अपने नागरिक ही सबसे अधिक पीड़ित हैं
हरीश पार्वथानेनी ने कहा कि भारत “विश्व एक परिवार” की भावना में विश्वास रखता है — और यह भावना न केवल सीमाओं के भीतर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी समानता और मानव गरिमा के सिद्धांतों को बढ़ावा देती है।
उन्होंने कहा, “भारत हमेशा से समाज के हर तबके को साथ लेकर चलने का पक्षधर रहा है। लेकिन पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले इलाकों में न केवल लोगों की आज़ादी छीनी है, बल्कि उनके विकास, शिक्षा, और मूलभूत अधिकारों को भी कुचल दिया है।”

पीओके में भड़का जनविरोध, सेना ने की गोलीबारी

भारत का यह बयान उस समय आया है जब हाल ही में पीओके के मुज़फ़्फराबाद, गिलगित और कोटली जैसे क्षेत्रों में भारी विरोध प्रदर्शन हुए। स्थानीय नागरिकों ने सड़कों पर उतरकर पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ नारे लगाए।
विरोध का मुख्य कारण — महंगाई, बिजली संकट, बेरोज़गारी और राजनीतिक दमन बताया जा रहा है। कई रिपोर्टों में यह भी सामने आया है कि पाकिस्तानी रेंजरों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई, जिसमें कई लोगों की मौत हुई और दर्जनों घायल हुए।
स्थानीय पत्रकारों और मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, पाकिस्तान की सेना ने वहां इंटरनेट बंद कर दिया है और मीडिया कवरेज को सीमित कर दिया गया है, ताकि दमन की तस्वीरें अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक न पहुंच सकें।

भारत का सख्त संदेश — “झूठ की राजनीति छोड़ो”

भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि “एक ऐसा देश जो अपने ही नागरिकों को न्याय नहीं दे पा रहा, उसे किसी और देश के मामलों पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है।”
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को याद दिलाया कि पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवाद को राजनीतिक औजार की तरह इस्तेमाल करता रहा है, जबकि वही अपने कब्जे वाले क्षेत्रों में जनता के बुनियादी अधिकारों का हनन कर रहा है।
भारत ने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा, और पाकिस्तान का अवैध कब्जा न तो अंतरराष्ट्रीय कानून में वैध है, न ही मानवता के सिद्धांतों के अनुरूप।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान हुआ फिर बेनकाब

संयुक्त राष्ट्र में भारत की यह कड़ी प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है जब पाकिस्तान की छवि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार कमजोर पड़ती जा रही है। हाल ही में कई पश्चिमी मानवाधिकार संगठनों ने भी POK और बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा की जा रही हत्याओं, अपहरण और दमनकारी कार्रवाइयों पर चिंता जताई थी।
भारत ने कहा कि यह समय है जब वैश्विक समुदाय को इस “राज्य प्रायोजित उत्पीड़न” पर चुप्पी तोड़नी चाहिए और पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराना चाहिए।

‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के संदेश से भारत ने रखी सकारात्मक दृष्टि

अपने संबोधन के दौरान पार्वथानेनी ने कहा कि भारत की विदेश नीति ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ — यानी “विश्व एक परिवार है” — के सिद्धांत पर आधारित है। भारत न केवल अपने पड़ोसियों बल्कि पूरे विश्व के कल्याण की दिशा में काम करता है।
उन्होंने कहा कि भारत मानवाधिकारों, लोकतंत्र और समानता की उस भावना का प्रतीक है, जो हर नागरिक को अवसर और सम्मान देने में विश्वास रखती है।
इसके उलट पाकिस्तान की नीतियां न केवल दमनकारी हैं, बल्कि वे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी खतरा हैं।

विश्लेषक बोले — भारत ने कूटनीतिक रूप से साधा बड़ा लक्ष्य

अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत का यह बयान न केवल पाकिस्तान की पोल खोलता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत कूटनीति के हर मंच पर सशक्त और आत्मविश्वासी भूमिका निभा रहा है
पूर्व राजनयिकों का कहना है कि भारत अब किसी भी मंच पर रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक कूटनीति अपना रहा है।
यह बयान उस दिशा में एक और उदाहरण है, जहां भारत ने पाकिस्तान की “कश्मीर कार्ड” राजनीति को निष्प्रभावी कर दिया है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत का यह कड़ा और संतुलित बयान न केवल पाकिस्तान की दोहरी नीति को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब वैश्विक स्तर पर मानवाधिकार, स्थिरता और शांति का प्रमुख प्रवक्ता बनकर उभरा है। जहां पाकिस्तान अपनी घरेलू समस्याओं में घिरा हुआ है, वहीं भारत ने एक बार फिर दुनिया को याद दिलाया है कि सच्चा नेतृत्व वही है जो अपने मूल्यों पर अडिग रहकर मानवता के लिए आवाज़ उठाए।

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