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पुलिस स्मृति दिवस 2025: शौर्य, बलिदान और कर्तव्यनिष्ठा को सलाम

नई दिल्ली: भारत के पुलिस इतिहास में 21 अक्टूबर की तारीख हमेशा साहस, त्याग और बलिदान की अमर गाथा के रूप में याद की जाती है। इसी दिन वर्ष 1959 में लद्दाख के हॉट स्प्रिंग (Hot Spring) क्षेत्र में चीनी सैनिकों के साथ हुए संघर्ष में सीआरपीएफ (CRPF) के 10 जवानों ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। उनके इस अदम्य शौर्य और देशभक्ति की स्मृति में हर वर्ष 21 अक्टूबर को “पुलिस स्मृति दिवस (Police Commemoration Day)” मनाया जाता है।

इस वर्ष, मंगलवार 21 अक्टूबर 2025 को देशभर में आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय पुलिस स्मारक (National Police Memorial) पर होगा। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि के रूप में शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। कार्यक्रम में गृह राज्य मंत्री, दिल्ली पुलिस आयुक्त, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) के वरिष्ठ अधिकारी, सांसद, और शहीद पुलिसकर्मियों के परिजन उपस्थित रहेंगे।


संयुक्त परेड और श्रद्धांजलि समारोह

कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय पुलिस स्मारक परिसर में संयुक्त पुलिस परेड (Joint Parade) आयोजित की जाएगी, जिसमें केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF), सीमा सुरक्षा बल (BSF), इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP), सीमा सुरक्षा संगठन (SSB), और दिल्ली पुलिस के जवान शामिल होंगे।
समारोह की शुरुआत राष्ट्रीय ध्वज फहराने और दो मिनट के मौन के साथ होगी, जिसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शहीदों की स्मृति में पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। इसके पश्चात शहीद जवानों के परिजनों को सम्मान-पत्र और प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया जाएगा।

गृह मंत्रालय के अनुसार, इस वर्ष 1959 से लेकर 2025 तक कुल 36,500 से अधिक पुलिसकर्मी देशभर में ड्यूटी के दौरान अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं। इनमें नक्सल प्रभावित क्षेत्रों, आतंकवाद-रोधी अभियानों, सीमा सुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्यों के दौरान शहीद हुए पुलिस कर्मी शामिल हैं।


राष्ट्रीय पुलिस स्मारक: सेवा, सुरक्षा और शौर्य का प्रतीक

राष्ट्रीय पुलिस स्मारक (National Police Memorial) की स्थापना देशभर के पुलिस बलों के बलिदान और सेवा भावना को अमर करने के उद्देश्य से की गई थी। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 अक्टूबर 2018 को राष्ट्र को समर्पित किया था। स्मारक के केंद्र में स्थापित 30 फीट ऊँचा ब्लैक ग्रेनाइट स्मारक पत्थरशक्ति, साहस और सेवा’ का प्रतीक माना जाता है।

स्मारक परिसर में स्थित ‘शौर्य की दीवार (Wall of Valour)’ पर उन हजारों पुलिसकर्मियों के नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित हैं जिन्होंने देश की सेवा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। यह दीवार न केवल पुलिस बल के गौरवशाली इतिहास को दर्शाती है, बल्कि नई पीढ़ी के पुलिसकर्मियों को अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठा और समर्पण का संदेश भी देती है।

इसके साथ ही यहां स्थित पुलिस संग्रहालय (Police Museum) भारत में कानून व्यवस्था की विकास यात्रा, स्वतंत्रता संग्राम में पुलिस की भूमिका, और आधुनिक सुरक्षा तंत्र के रूपांतरण को दर्शाता है। सप्ताहांत पर स्मारक परिसर में CAPF बैंड परेड, रिट्रीट सेरेमनी, और देशभक्ति संगीत प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं — जो नागरिकों और पुलिस बल के बीच भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक हैं।


1959 के हॉट स्प्रिंग शहीदों की कहानी

21 अक्टूबर 1959 की सुबह, लद्दाख के हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में तैनात 3rd Battalion CRPF की एक टुकड़ी गश्त पर थी। इस दौरान चीनी सेना के साथ अप्रत्याशित मुठभेड़ हुई। संख्या में कम होने के बावजूद भारतीय जवानों ने असाधारण वीरता दिखाई। इस संघर्ष में 10 भारतीय जवानों ने देश की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए।
उनके इस शौर्य को देखते हुए केंद्र सरकार ने उसी वर्ष से हर 21 अक्टूबर को ‘पुलिस स्मृति दिवस’ मनाने का निर्णय लिया — ताकि हर पीढ़ी इन वीर सपूतों के बलिदान को याद रख सके।


‘कर्तव्य पथ’ पर चलने की प्रेरणा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर कहा कि “भारत के पुलिसकर्मी राष्ट्र के हर नागरिक की सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे समर्पित रहते हैं। वे सीमाओं से लेकर शहरों तक, जंगलों से लेकर पहाड़ों तक — हर परिस्थिति में डटे रहते हैं। उनका साहस और अनुशासन भारतीय गणराज्य की रीढ़ है।”

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार पुलिस बलों के कल्याण और उनके परिवारों के समर्थन के लिए निरंतर प्रयासरत है। सरकार ने हाल ही में शहीदों के परिजनों के लिए एकीकृत कल्याण पोर्टल शुरू किया है, जिससे शिक्षा, चिकित्सा सहायता और वित्तीय सहायता सीधे लाभार्थियों तक पहुंचाई जा सकेगी।


देशभर में आयोजन और जनभागीदारी

राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम के अलावा, देशभर के राज्यों, जिलों और पुलिस इकाइयों में भी स्मृति दिवस समारोह आयोजित होंगे। सभी स्थानों पर स्थानीय पुलिस बल शहीदों के नाम से मौन सभा, पुष्पांजलि, और ‘अमर जवान’ मार्च-पास्ट का आयोजन करेंगे।
विद्यालयों और कॉलेजों में विद्यार्थियों को पुलिस सेवा के मूल्यों — साहस, ईमानदारी, अनुशासन और जनता के प्रति समर्पण — के बारे में जानकारी दी जाएगी।

पुलिस स्मृति दिवस केवल एक श्रद्धांजलि का अवसर नहीं, बल्कि हर नागरिक के लिए यह दिन उन अदृश्य प्रहरी की याद दिलाता है जो हमारी सुरक्षा में दिन-रात डटे रहते हैं।
राष्ट्रीय पुलिस स्मारक न केवल उनके बलिदान की कहानी कहता है, बल्कि यह संदेश भी देता है —
“कर्तव्य से बड़ा कोई धर्म नहीं, और सेवा से बड़ा कोई यज्ञ नहीं।”

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