
नई दिल्ली/झांसी: दीपावली और छठ पर्व को लेकर उत्तर भारत में घर वापसी की रेल शुरू हो चुकी है। झांसी से गोरखपुर, कानपुर और लखनऊ की ओर जाने वाली ट्रेनों में इन दिनों यात्रियों की बेहिसाब भीड़ देखने को मिल रही है। स्टेशन पर ऐसा नजारा है कि कोई खिड़की से कोच में घुसने की कोशिश कर रहा है, तो कोई धक्का-मुक्की के बीच अंदर पहुंचने की जद्दोजहद में है।
त्योहारों की उमंग के बीच रेल यात्राओं की यह भीड़ रेल प्रशासन और आरपीएफ (रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स) के लिए भी चुनौती बन गई है। यात्रियों की सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के लिए झांसी के डीआरएम और आरपीएफ अफसरों ने खुद मोर्चा संभाल लिया है।
दो दिन बाद दीपावली, घर लौटने की होड़ में पटरी पर भीड़ का सैलाब
दीपावली अब बस दो दिन दूर है। इसके साथ ही छठ महापर्व की तैयारियाँ भी शुरू हो चुकी हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के प्रवासी लोग दिल्ली, मुंबई, पुणे, सूरत जैसे शहरों से अपने-अपने गांव लौट रहे हैं।
झांसी जंक्शन, जो उत्तर भारत की एक प्रमुख रेल क्रॉसिंग है, वहां यात्रियों का हुजूम पिछले तीन दिनों से लगातार बढ़ता जा रहा है।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, झांसी से गोरखपुर, बनारस, लखनऊ, कानपुर और छपरा की ओर जाने वाली लगभग सभी ट्रेनों में 100 से 150 प्रतिशत तक बुकिंग क्षमता से अधिक यात्री यात्रा कर रहे हैं। कई ट्रेनों में प्रतीक्षा सूची (वेटिंग लिस्ट) 500 से ऊपर पहुंच चुकी है।
खिड़कियों से चढ़ते यात्री, कोच में सामान की तरह घुसाए जा रहे लोग
झांसी स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ इतनी बढ़ गई है कि प्लेटफार्म पर ट्रेन लगते ही कोचों की ओर अफरा-तफरी का माहौल बन जाता है।
कई यात्रियों ने सीट पाने की होड़ में इमरजेंसी खिड़कियों से अंदर चढ़ना शुरू कर दिया है। कोई अंदर से खींचकर लोगों को ऊपर चढ़ा रहा है, तो कोई बाहर से धक्का दे रहा है।
सामान के साथ-साथ खुद यात्री भी खिड़की से कोच में घुसते देखे गए।
एक यात्री रमेश यादव (गोरखपुर निवासी) ने बताया,
“हम लोग चार दिन से टिकट पाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वेटिंग नहीं मिल रही थी। आज जैसे-तैसे ट्रेन में घुसे हैं। अब किसी भी तरह घर पहुंचना है, चाहे सीट मिले या न मिले।”
रेलवे अधिकारियों ने खुद संभाली व्यवस्था
बढ़ती अव्यवस्था को देखते हुए झांसी मंडल के डीआरएम और आरपीएफ अफसरों ने खुद स्टेशन का निरीक्षण किया और भीड़ प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली।
प्लेटफार्म पर आरपीएफ जवानों की संख्या बढ़ा दी गई है। हर ट्रेन की बोर्डिंग के दौरान दो-दो आरपीएफ जवान कोच के पास तैनात किए जा रहे हैं ताकि धक्का-मुक्की और दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
झांसी डीआरएम राकेश कुमार जैन ने बताया,
“त्योहारों के इस पीक सीजन में यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
अतिरिक्त ट्रेनों की व्यवस्था की गई है और स्टेशन पर कंट्रोल रूम से भीड़ की मॉनिटरिंग लगातार हो रही है।”
सात अतिरिक्त ट्रेनें चलाई गईं, विशेष निगरानी दल तैनात
रेलवे ने दीपावली और छठ पर्व को देखते हुए सात विशेष ट्रेनें झांसी मंडल से विभिन्न रूटों पर चलाई हैं।
इनमें से कुछ ट्रेनें झांसी से गोरखपुर, छपरा, लखनऊ, वाराणसी, पटना और दिल्ली के लिए चलाई जा रही हैं।
इसके अलावा, कई नियमित ट्रेनों में अतिरिक्त कोच जोड़े गए हैं।
आरपीएफ के झांसी इंस्पेक्टर विकास मिश्रा ने बताया कि भीड़ नियंत्रण के लिए स्टेशन पर फ्लाइंग स्क्वॉड और क्विक रिस्पॉन्स टीम बनाई गई है।
“हमारे जवान हर प्लेटफार्म पर तैनात हैं। यात्रियों को लाइन में चढ़ने की अपील की जा रही है।
किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए टीम पूरी तरह सतर्क है।”
परिवार संग लौटने वाले यात्रियों की बढ़ी परेशानी
त्योहार के सीजन में सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों और बुजुर्गों के साथ सफर करने वाले यात्रियों को हो रही है।
कई परिवारों को सीट नहीं मिलने के कारण उन्हें दरवाजे या कोच के गेट के पास बैठकर यात्रा करनी पड़ रही है।
गोरखपुर जा रही यात्री रीना वर्मा ने बताया,
“हम टिकट लेकर आए थे, लेकिन ट्रेन में इतनी भीड़ है कि बच्चों के साथ बैठने की जगह नहीं मिली।
रेलवे को ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पहले से व्यवस्था करनी चाहिए थी।”
रेलवे की अपील— अनावश्यक यात्रा से बचें, स्टेशन पर भीड़ न बढ़ाएं
रेलवे ने यात्रियों से अपील की है कि बिना कन्फर्म टिकट स्टेशन पर न पहुंचें और अवैध रूप से कोच में प्रवेश करने से बचें।
डीआरएम कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है,
“त्योहारों में घर जाने की भावनाओं को हम समझते हैं, लेकिन सुरक्षा सबसे जरूरी है।
रेलवे द्वारा अतिरिक्त ट्रेनें चलाई जा रही हैं, यात्रियों से अनुरोध है कि नियमों का पालन करें।”
रेलवे अधिकारियों ने यह भी बताया कि सोशल मीडिया और रेलवे हेल्पलाइन नंबरों पर मिल रही शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है।
त्योहारों की रेल के साथ बढ़ती चुनौतियाँ
दीपावली और छठ पर्व के दौरान हर साल झांसी, कानपुर, इलाहाबाद और वाराणसी जैसे बड़े जंक्शन पर यात्रियों की संख्या सामान्य से तीन गुना तक बढ़ जाती है।
यह न केवल रेलवे सुरक्षा के लिए बल्कि यात्रा प्रबंधन और लॉजिस्टिक्स के लिहाज से भी चुनौतीपूर्ण होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यात्रियों की बढ़ती संख्या के साथ टिकटिंग सिस्टम, प्लेटफार्म स्पेस और भीड़ नियंत्रण के लिए दीर्घकालिक नीति की जरूरत है।
रेलवे अधिकारी स्वीकार करते हैं कि भारत में अभी भी त्योहारों के दौरान यात्रा की संस्कृति “अंतिम क्षण की योजना” पर निर्भर है, जिससे अचानक दबाव बढ़ जाता है।
दीपावली और छठ जैसे पर्व न केवल परिवारों को जोड़ते हैं बल्कि भारत की सामाजिक जीवंतता का प्रतीक भी हैं।
परंतु, हर साल की तरह इस बार भी रेल यात्राओं में दिखी अव्यवस्था ने यह सवाल फिर खड़ा किया है कि देश के सबसे बड़े परिवहन तंत्र को त्योहारों की मांग के हिसाब से कितना आधुनिक और तैयार बनाया जा सका है।
फिलहाल, झांसी मंडल में रेलवे अधिकारी चौबीसों घंटे ड्यूटी पर हैं और यात्रियों से अपील कर रहे हैं कि वे सुरक्षित, संयमित और नियमों के अनुसार यात्रा करें, ताकि त्योहार की खुशियां किसी हादसे में न बदलें।