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कृषि क्रांति की नई लहर: गूगल और वर्ल्ड बैंक मिलकर बना रहे हैं एआई आधारित ग्रामीण विकास इंफ्रास्ट्रक्चर

नई दिल्ली। भारत सहित विकासशील देशों की कृषि प्रणाली में अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की एक नई क्रांति दस्तक दे रही है। वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल और वर्ल्ड बैंक समूह ने एक ऐतिहासिक साझेदारी की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य है — एआई की शक्ति का उपयोग कर किसानों, ग्रामीण समुदायों और सरकारी एजेंसियों तक सेवाओं की पहुँच को आसान, तेज़ और पारदर्शी बनाना।

इस नई पहल के तहत दोनों संस्थाएँ “Open Network Stacks” नामक एक साझा डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म तैयार करेंगी, जो कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में एआई-संचालित सेवाएँ उपलब्ध कराएगा। खास बात यह है कि यह सेवाएँ 40 से अधिक भाषाओं में और साधारण मोबाइल उपकरणों पर भी उपलब्ध होंगी, जिससे डिजिटल पहुँच में असमानता को कम किया जा सकेगा।


कृषि क्षेत्र पर सीधा असर: एआई बनेगा किसान का नया साथी

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में यह पहल किसानों के लिए नये युग की शुरुआत साबित हो सकती है। गूगल और वर्ल्ड बैंक का लक्ष्य है कि छोटे और सीमांत किसानों को एआई-आधारित निर्णय सहयोग उपलब्ध कराया जाए — चाहे वह फसल रोग निदान, उर्वरक सिफारिशें, सिंचाई प्रबंधन, या बाज़ार मूल्य पूर्वानुमान से जुड़ा हो।

इस प्लेटफ़ॉर्म की सहायता से किसान अपने खेत की तस्वीर लेकर यह पता कर सकेंगे कि पौधों में कौन-सी बीमारी है, किस प्रकार की खाद या कीटनाशक उपयोगी रहेगा, और आगामी मौसम का रुझान क्या होगा।

इसके अलावा, एआई मॉडल किसानों को फसल बीमा योजनाओं, सरकारी सब्सिडी, और ऋण उत्पादों के बारे में भी सहज जानकारी देगा। यह सब कुछ हिंदी, मराठी, तमिल, बंगला, नेपाली या किसी अन्य स्थानीय भाषा में सुलभ होगा।


उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ प्रयोग — अब राष्ट्रीय विस्तार की तैयारी

इस साझेदारी की नींव भारत के उत्तर प्रदेश में रखी गई थी, जहाँ एक सीमित पायलट प्रोजेक्ट के तहत गूगल और वर्ल्ड बैंक ने राज्य सरकार के सहयोग से किसानों को फसल योजना, मौसम जानकारी और प्रशिक्षण सहायता उपलब्ध कराई।

पायलट के नतीजे उत्साहजनक रहे — किसानों की उत्पादकता में औसतन 18% तक की वृद्धि, सिंचाई और खाद लागत में 12% की कमी, और बेहतर मूल्य प्राप्ति के मामले सामने आए। इस सफलता के बाद अब दोनों संस्थाएँ इस मॉडल को अन्य भारतीय राज्यों तथा दक्षिण एशियाई और अफ्रीकी देशों में लागू करने की तैयारी कर रही हैं।


Open Network Stacks क्या हैं और कैसे काम करेंगे?

“Open Network Stacks” मूल रूप से एक इंटरऑपरेबल डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर है, जो सरकारी योजनाओं, निजी सेवा प्रदाताओं और नागरिकों को एक साझा मंच पर जोड़ता है।

इसे ऐसे समझें जैसे “भारत के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI)” का एक नया स्तर — जहाँ कृषि विभाग, मौसम सेवा, बैंक, बीमा कंपनियाँ, और किसान ऐप्स एक ही नेटवर्क पर जुड़कर डेटा साझा कर सकेंगे।

गूगल के Gemini AI मॉडल और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर इस प्लेटफ़ॉर्म का तकनीकी आधार होंगे, जबकि वर्ल्ड बैंक विकास प्रबंधन, नीति निर्माण और स्थानीय अनुकूलन का मार्गदर्शन करेगा। यह मॉडल पारदर्शी, सुरक्षित और नीति-संगत ढंग से काम करने के लिए तैयार किया गया है।


डिजिटल समावेशन की दिशा में बड़ा कदम

भारत सरकार पहले ही डिजिटल इंडिया मिशन, किसान कॉल सेंटर, ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) और कृषि स्टार्टअप मिशन जैसी पहलों पर काम कर रही है। गूगल–वर्ल्ड बैंक साझेदारी इन पहलों को तकनीकी रूप से और सशक्त बना सकती है।

इससे सबसे अधिक लाभ ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के उन किसानों को होगा, जिनके पास सीमित संसाधन और तकनीकी ज्ञान है। मोबाइल फोन पर ही एआई आधारित सलाह मिलने से वे बाज़ार की बदलती परिस्थितियों के अनुरूप निर्णय ले सकेंगे।


संभावित लाभ:

  1. उत्पादकता में वृद्धि: सटीक जानकारी से खेतों की पैदावार में सुधार।
  2. लागत में कमी: इनपुट के सही उपयोग से समय और धन की बचत।
  3. मौसम व रोग पूर्वानुमान: जलवायु परिवर्तन से जुड़े जोखिमों का समय रहते सामना।
  4. सरकारी योजनाओं तक पहुँच: एआई चैटबॉट्स के माध्यम से सब्सिडी, बीमा और ऋण की जानकारी।
  5. बाज़ार जोड़: खरीदार–विक्रेता नेटवर्क में पारदर्शिता, जिससे किसानों को उचित मूल्य मिले।

चुनौतियाँ भी कम नहीं

हालाँकि यह पहल क्रांतिकारी कही जा सकती है, लेकिन इसके सामने कुछ गंभीर चुनौतियाँ हैं।

  • डिजिटल विभाजन: दूरदराज़ इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और उपकरणों की सीमाएँ।
  • डेटा गोपनीयता: कृषि और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • स्थायी वित्तपोषण: इंफ्रास्ट्रक्चर के रखरखाव और संचालन के लिए सतत फंडिंग।
  • स्थानीय प्रशिक्षण: किसानों को एआई उपकरणों के उपयोग का व्यावहारिक प्रशिक्षण देना।

गूगल और वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि वे इन सभी पहलुओं पर राष्ट्रीय और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेंगे।


भारत के कृषि भविष्य का डिजिटल रूप

एआई आधारित यह पहल भारत की कृषि व्यवस्था को डेटा-आधारित, पूर्वानुमान-सक्षम और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो यह न केवल उत्पादन बढ़ाएगी बल्कि जलवायु परिवर्तन और संसाधन सीमाओं से जूझ रही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएगी।

वर्ल्ड बैंक के अधिकारियों के अनुसार, यह मॉडल भविष्य में “एग्रीटेक पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर” की तरह कार्य करेगा — जहाँ हर किसान को वही तकनीकी सहायता मिलेगी जो आज केवल बड़े कॉर्पोरेट फार्म्स को प्राप्त है।

गूगल ने भी संकेत दिया है कि यह साझेदारी “Responsible AI for All” सिद्धांत पर आधारित होगी — यानी ऐसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जो इंसान की मदद करे, निर्णयों को पारदर्शी बनाए और किसी को पीछे न छोड़े।

भारत में हरित क्रांति के बाद अब एक “डिजिटल कृषि क्रांति” की आहट है। गूगल–वर्ल्ड बैंक का यह संयुक्त प्रयास तकनीक को खेतों तक पहुँचाने का एक व्यावहारिक और सर्वसमावेशी प्रयोग है।

यदि यह सफल होता है, तो यह मॉडल भारत के अलावा अन्य विकासशील देशों के लिए भी उदाहरण बन सकता है — जहाँ तकनीक, नीति और सामाजिक न्याय तीनों का संगम मिलकर एक नई ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव रखेगा।

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