
पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सियासी गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पटना में आज से शुरू होने वाली अपनी दो दिवसीय अहम बैठक में सीट शेयरिंग और चुनावी रणनीति पर मंथन शुरू कर दिया है। इस बैठक में पार्टी के शीर्ष नेता और सहयोगी दलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। वहीं दूसरी ओर चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार भी पटना पहुंचे हैं।
सीट शेयरिंग पर सबसे ज्यादा निगाहें
बिहार विधानसभा की 243 सीटों पर किसका कितना दावा होगा, यह इस वक्त सबसे बड़ा सवाल है। बीजेपी और उसके सहयोगियों के बीच सीटों का बंटवारा चुनावी समीकरणों को तय करेगा। एनडीए खेमे में इस समय बीजेपी, जदयू, एलजेपी (रामविलास) और कुछ छोटे दल शामिल हैं। माना जा रहा है कि पटना की इस बैठक में प्राथमिक स्तर पर सीट बंटवारे पर सहमति बनाने की कोशिश होगी।
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी इस बार पिछली बार से ज्यादा सीटों पर दावा कर सकती है। पार्टी का मानना है कि लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सफलता के आधार पर उसे विधानसभा चुनाव में भी मजबूत हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। वहीं, जदयू भी अपने जनाधार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता का हवाला देकर सम्मानजनक सीटों की मांग पर अडिग है।
बीजेपी की रणनीति
बीजेपी नेतृत्व इस बैठक के जरिए न केवल सहयोगियों के साथ तालमेल बनाने की कोशिश करेगा, बल्कि जमीनी स्तर पर चुनावी मुद्दों और उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया को भी अंतिम रूप देगा। पार्टी का फोकस इस बार युवाओं, महिलाओं और पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं पर है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी अपने चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों, केंद्र सरकार की योजनाओं और बिहार में किए गए विकास कार्यों को प्रमुखता से रखेगी। वहीं, जातिगत समीकरणों को साधने के लिए भी अलग-अलग रणनीति पर चर्चा हो रही है।
विपक्ष पर भी नजर
बिहार में महागठबंधन की स्थिति को देखते हुए बीजेपी सतर्क है। राजद, कांग्रेस और वामपंथी दलों के साथ-साथ नए छोटे दल भी चुनावी मैदान में समीकरण बिगाड़ सकते हैं। बीजेपी की कोशिश है कि एनडीए गठबंधन में किसी तरह का मतभेद सामने न आए और एकजुट होकर चुनाव लड़ा जाए।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बीजेपी और उसके सहयोगियों में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान लंबी खिंचती है, तो विपक्ष इसका राजनीतिक फायदा उठा सकता है। यही वजह है कि पटना की बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है।
चुनाव आयोग की सक्रियता
इस बीच बिहार में चुनावी तैयारियों की समीक्षा करने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पटना पहुंचे। उन्होंने राज्य चुनाव आयोग और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की। चर्चा में मतदाता सूची, बूथ व्यवस्था, सुरक्षा इंतजाम और आदर्श आचार संहिता के पालन पर विशेष जोर दिया गया।
चुनाव आयोग ने साफ संकेत दिया है कि इस बार मतदान प्रक्रिया को पारदर्शी और शांतिपूर्ण बनाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। संवेदनशील और अति संवेदनशील इलाकों की पहचान कर वहां अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की जाएगी।
एनडीए में तालमेल की चुनौती
विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी और जदयू के बीच लंबे समय से सीटों को लेकर तनातनी की खबरें आती रही हैं। हालांकि सार्वजनिक तौर पर दोनों दल गठबंधन को मजबूत बताने से पीछे नहीं हटते। पटना की बैठक इसी पृष्ठभूमि में हो रही है, जिससे आंतरिक मतभेद कम किए जा सकें और साझा रणनीति बनाई जा सके।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा –
“हमारी कोशिश है कि बिहार में एनडीए एक मजबूत विकल्प के रूप में जनता के सामने जाए। सीट शेयरिंग पर चर्चा जरूर होगी, लेकिन अंततः फैसला ऐसा होगा जिससे गठबंधन और मजबूत हो।”
जनता की उम्मीदें
बिहार की जनता इस चुनाव से काफी उम्मीद लगाए बैठी है। बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे की कमी अब भी बड़े चुनावी मुद्दे हैं। साथ ही, हाल के वर्षों में प्रवासी मजदूरों की समस्याएं और कानून-व्यवस्था की स्थिति भी चर्चा में हैं। ऐसे में पटना में हो रही बीजेपी की बैठक से यह तय होगा कि पार्टी और उसके सहयोगी इन मुद्दों पर जनता के बीच किस तरह उतरेंगे।
पटना की इस दो दिवसीय बैठक ने बिहार की सियासत में हलचल बढ़ा दी है। जहां एक ओर बीजेपी और उसके सहयोगी दल सीट शेयरिंग और रणनीति पर मंथन कर रहे हैं, वहीं चुनाव आयोग की सक्रियता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब चुनावी बिगुल बजने में ज्यादा देर नहीं है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ कितनी सहजता से तालमेल बना पाती है और विपक्ष उसके सामने किस तरह की चुनौती पेश करता है।