
नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को हरियाणा के रोहतक में आयोजित खादी कारीगर महोत्सव में कहा कि खादी केवल कपड़ा नहीं, बल्कि स्वदेशी, आत्मनिर्भरता और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान खादी को एक ऐसे हथियार के रूप में इस्तेमाल किया, जिसने न केवल अंग्रेजों के खिलाफ जनांदोलन को गति दी, बल्कि लाखों बुनकरों और ग्रामीण परिवारों के जीवन को भी बदल दिया।
अमित शाह ने खादी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को याद करते हुए कहा कि –
“महात्मा गांधी ने जब चरखे को अपनाने और खादी पहनने का आग्रह किया, तो यह केवल वस्त्र तक सीमित नहीं था, बल्कि यह गरीबी दूर करने, आत्मनिर्भर भारत बनाने और स्वदेशी का संदेश था। खादी स्वतंत्रता आंदोलन का पोषक बनी और उस दौर में एक राष्ट्रीय पहचान के रूप में उभरी।”
आज़ादी के बाद खादी की उपेक्षा
गृह मंत्री ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि आज़ादी के बाद कई दशकों तक खादी और ग्रामोद्योग की उपेक्षा की गई। उनके अनुसार यदि आज़ादी के बाद से लगातार खादी के विकास पर काम हुआ होता, तो देश में बेरोजगारी जैसी समस्या कभी खड़ी ही नहीं होती।
उन्होंने कहा कि खादी का उद्देश्य केवल वस्त्र निर्माण नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना और रोजगार के अवसर पैदा करना भी है। मगर लंबे समय तक इस क्षेत्र की अनदेखी की गई।
मोदी सरकार के प्रयास
अमित शाह ने कहा कि जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने खादी को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के जरिए देशवासियों से खादी अपनाने की अपील की।
उन्होंने आंकड़े साझा करते हुए कहा कि –
- वर्ष 2014-15 में खादी ग्रामोद्योग का टर्नओवर 33 हज़ार करोड़ रुपये था,
- जो आज बढ़कर 1 लाख 70 हज़ार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
शाह ने कहा कि इस टर्नओवर से होने वाली आय सीधे देश के बुनकरों और महिलाओं तक पहुंचती है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
खादी को आधुनिक स्वरूप
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने खादी को आधुनिक स्वरूप देने के लिए पैकेजिंग, मार्केटिंग और ब्रांडिंग पर विशेष ध्यान दिया है। आज खादी केवल पारंपरिक परिधानों तक सीमित नहीं, बल्कि फैशन और आधुनिक जीवनशैली का भी हिस्सा बन चुकी है। उन्होंने कहा कि खादी के वस्त्र पहनना अब युवाओं के लिए स्टाइल और गर्व दोनों का प्रतीक बन गया है।
महोत्सव में बड़े ऐलान
इस अवसर पर गृह मंत्री ने कारीगरों के लिए कई घोषणाएं कीं।
- विद्युत-चालित चाक, पारंपरिक चरखे, सिलाई मशीन और लेदर रिपेयरिंग टूलकिट जैसे 12 संसाधन कारीगरों को वितरित किए गए।
- 301 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी का वितरण हुआ।
- वर्धा में ऑर्गेनिक कॉटन केन्द्रीय पूनी संयंत्र का उद्घाटन किया गया।
- 40 आधुनिक आउटलेट्स और 8 हज़ार नई प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम इकाइयों का भी शुभारंभ किया गया।
अमित शाह ने कहा कि ये सभी पहलें न केवल रोजगार बढ़ाएंगी, बल्कि खादी और ग्रामोद्योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में भी मदद करेंगी।
आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी
गृह मंत्री ने कहा कि आज़ादी के समय जिस तरह स्वराज की कल्पना स्वदेशी और स्वभाषा के बिना अधूरी थी, उसी तरह आज आत्मनिर्भर भारत का सपना भी स्वदेशी पर आधारित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में जनता से स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने का आग्रह किया है, और देशभर में कई व्यापारियों ने विदेशी वस्तुएं अपनी दुकानों से हटाने का संकल्प लिया है।
अमित शाह ने जोर देकर कहा कि –
“आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार होगा जब हम खादी और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाएंगे। यह केवल रोजगार सृजन का माध्यम नहीं, बल्कि देश की आर्थिक स्वतंत्रता का मार्ग भी है।”
रोहतक का खादी कारीगर महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुआ। अमित शाह का संबोधन इस बात पर केंद्रित रहा कि खादी केवल अतीत की विरासत नहीं, बल्कि भविष्य की मजबूती का आधार भी है।
खादी को आधुनिक स्वरूप देकर और रोजगार सृजन की दिशा में ठोस कदम उठाकर केंद्र सरकार ने इसे न सिर्फ ग्रामीण भारत की जीवनरेखा बनाया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसकी पहचान मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं।