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Uttarakhand: परीक्षा प्रकरण में सीबीआई जांच की संस्तुति, युवाओं के बीच पहुंचे सीएम धामी

धामी ने कहा – युवाओं के मन में किसी भी तरह का संदेह या शंका नहीं रहने देंगे, मुकदमे होंगे वापस

देहरादून, सोमवार। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की हालिया परीक्षा प्रकरण को लेकर मचे घमासान के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सोमवार को अचानक परेड ग्राउंड में आंदोलन कर रहे युवाओं के बीच पहुंचे। युवाओं का पक्ष सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राज्य सरकार इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की संस्तुति करेगी।

सीएम धामी ने कहा कि उनकी सरकार का स्पष्ट संकल्प है कि परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए। युवाओं के मन में किसी भी प्रकार का अविश्वास या शंका नहीं रहनी चाहिए।


परेड ग्राउंड में सीएम की अचानक एंट्री

सोमवार दोपहर बाद मुख्यमंत्री बिना किसी पूर्व सूचना के सीधे परेड ग्राउंड पहुंचे, जहां बड़ी संख्या में अभ्यर्थी परीक्षा अनियमितताओं के विरोध में धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। सीएम ने युवाओं के बीच बैठकर उनकी बात सुनी और भरोसा दिलाया कि सरकार हर कीमत पर निष्पक्षता सुनिश्चित करेगी।

उन्होंने कहा, “यह त्योहारी सीजन है, इतनी गर्मी में आप सब धरना दे रहे हैं, यह देखकर मुझे अच्छा नहीं लग रहा। सरकार नहीं चाहती कि युवाओं के मन में किसी तरह का संदेह रहे। इसलिए इस मामले में सीबीआई जांच की संस्तुति की जाएगी।”


हाईकोर्ट जज की निगरानी में जांच, फिर भी युवाओं की मांग पूरी

मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि इस प्रकरण की जांच पहले से ही हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में गठित एसआईटी द्वारा की जा रही है और टीम ने काम शुरू भी कर दिया है। इसके बावजूद जब युवाओं ने सीबीआई जांच की मांग उठाई, तो सरकार ने उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए यह निर्णय लिया।

धामी ने कहा, “मैं चाहता हूँ कि इस एक मामले की वजह से हमारी सरकार की चार साल की मेहनत पर सवाल न उठे। अब तक 25 हजार से अधिक सरकारी भर्तियां पूरी तरह पारदर्शी ढंग से की गई हैं, जिन पर कोई शिकायत नहीं आई है। सिर्फ इस एक प्रकरण में शंका उत्पन्न हुई है, इसलिए हम सीबीआई जांच के लिए तैयार हैं।”


भावुक अपील और युवाओं से जुड़ाव

युवाओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री धामी भावुक नजर आए। उन्होंने कहा कि वह खुद छात्रों और युवाओं के बीच काम कर चुके हैं और उनकी कठिनाइयों को करीब से देखा है। “मैं जानता हूँ कि पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले युवाओं के पास जीवन के खूबसूरत सपने होते हैं। इसीलिए मैं यहां आया हूँ ताकि उनके सपनों पर कोई धब्बा न लगे।”

सीएम ने कहा कि वह चाहते तो युवाओं से बातचीत कार्यालय में भी कर सकते थे, लेकिन आंदोलनरत युवाओं की पीड़ा को देखकर उन्होंने सीधे धरना स्थल पर जाने का निर्णय लिया।


मुकदमे वापस लेने की घोषणा

मुख्यमंत्री धामी ने यह भी घोषणा की कि आंदोलन के दौरान यदि युवाओं पर कहीं मुकदमे दर्ज हुए हैं तो उन्हें वापस लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि युवाओं का भविष्य सुरक्षित करना ही सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

सीएम ने कहा, “अमृतकाल के विकसित भारत में उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने में युवाओं की अहम भूमिका है। इसलिए सरकार किसी भी हालत में उनके साथ अन्याय नहीं होने देगी।”


पारदर्शिता पर जोर

मुख्यमंत्री धामी ने बार-बार दोहराया कि उनकी सरकार की प्राथमिकता हमेशा पारदर्शिता रही है। विगत चार वर्षों में भर्तियों की प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष और साफ-सुथरा बनाने के लिए कई ठोस कदम उठाए गए हैं। यही कारण है कि अब तक किसी भी भर्ती पर सवाल नहीं उठे।

उन्होंने कहा कि युवाओं की शंका और अविश्वास को दूर करने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। “हम चाहते हैं कि हमारे युवा केवल पढ़ाई और तैयारी पर ध्यान दें, न कि परीक्षा प्रक्रिया को लेकर किसी तरह की चिंता में पड़ें।”


युवाओं में भरोसा और राहत

मुख्यमंत्री की अचानक मौजूदगी और सीबीआई जांच की घोषणा के बाद आंदोलन कर रहे युवाओं में उत्साह और राहत दोनों देखने को मिली। कई युवाओं ने कहा कि सीएम का सीधे धरना स्थल पर आना उनके विश्वास को बढ़ाता है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम युवाओं और सरकार के बीच संवाद की खाई को पाटने में अहम साबित होगा। इससे भविष्य की परीक्षाओं के प्रति छात्रों का भरोसा भी मजबूत होगा।


राजनीतिक और सामाजिक संदेश

विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम सिर्फ परीक्षा प्रकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मुख्यमंत्री का युवाओं के प्रति भरोसा और संवेदनशीलता भी दर्शाता है। सीधे आंदोलन स्थल पर जाना और युवाओं से संवाद करना प्रशासन और राजनीति में एक नए पारदर्शी और जवाबदेह दृष्टिकोण का संकेत है।

उत्तराखंड की राजनीति और प्रशासनिक इतिहास में यह घटना एक मिसाल के रूप में देखी जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का युवाओं के बीच पहुंचना और उनकी मांग को स्वीकार करना न केवल पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि यह राज्य के भविष्य यानी युवाओं के सपनों को सुरक्षित करने का भी आश्वासन है।

अब सबकी नजरें केंद्र सरकार और सीबीआई पर टिकी हैं कि जांच कब और कैसे शुरू होती है। लेकिन इतना तय है कि मुख्यमंत्री की यह पहल युवाओं में नया भरोसा जगाने का काम कर चुकी है।

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