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Dehradun: भंडारीबाग रेलवे ओवरब्रिज प्रोजेक्ट को मिली नई रफ्तार, जिलाधिकारी के निरीक्षण से जगी उम्मीद

मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाले प्रोजेक्ट पर अब प्रशासन की सख्त निगरानी, कार्यदायी संस्था को चेतावनी

देहरादून। राजधानी देहरादून के बहुप्रतीक्षित भंडारीबाग रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) परियोजना को लेकर एक बार फिर उम्मीदें जगी हैं। लंबे समय से अटके इस प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार पर जिलाधिकारी सविन बंसल ने कड़ी नाराज़गी जताई और मौके पर पहुँचकर कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्राथमिकताओं में शामिल इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लेकर अब जिला प्रशासन पूरी सख्ती से काम की निगरानी करेगा।

जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि “जनहित से जुड़े विकास कार्यों में लेटलतीफी किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। तय समय में काम पूरा होना चाहिए, अन्यथा जिम्मेदार अधिकारियों और कार्यदायी संस्था के खिलाफ कार्रवाई तय है।”


धीमी गति पर फटकार, अब होगी क्लोज मॉनिटरिंग

निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने कार्यदायी संस्था के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई और चेताया कि अब किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। निर्माण कार्य की प्रगति को तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने एसडीएम सदर और लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) के एक्सियन को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। ये अधिकारी रेलवे अधिकारियों के साथ मिलकर गार्डर ब्रिज प्लेसमेंट सहित सभी अहम गतिविधियों की क्लोज मॉनिटरिंग करेंगे।

डीएम बंसल ने साफ कहा कि वह स्वयं समय-समय पर इस परियोजना की समीक्षा करेंगे। इससे संकेत साफ है कि अब कार्यदायी संस्था पर दबाव बढ़ेगा और प्रोजेक्ट की गति में तेजी लाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।


अधूरे प्रोजेक्ट से जनता परेशान

भंडारीबाग रेलवे ओवरब्रिज परियोजना कई वर्षों से अधूरी पड़ी है। अधर में लटके इस निर्माण से न सिर्फ स्थानीय नागरिक परेशान हैं, बल्कि रोज़ाना ट्रैफिक जाम की समस्या से भी दो-चार होना पड़ता है। सहारनपुर रोड और आसपास के क्षेत्रों में वाहनों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते आम लोगों को घंटों जाम में फंसना पड़ता है।

डीएम ने निरीक्षण के दौरान कहा कि “शहर के बीचो-बीच अधूरा छोड़ा गया यह प्रोजेक्ट जनता के लिए असुविधा और परेशानी का बड़ा कारण बन चुका है। अब किसी भी स्थिति में देरी बर्दाश्त नहीं होगी।”


प्रोजेक्ट का महत्व

भंडारीबाग रेलवे ओवरब्रिज को शहर के लिए जीवनरेखा कहा जा सकता है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य सहारनपुर रोड पर ट्रैफिक दबाव को कम करना और क्षेत्र में लगने वाले लगातार जाम से निजात दिलाना है। ओवरब्रिज बनने के बाद भंडारीबाग सीधे रेसकोर्स चौक से जुड़ जाएगा। इससे प्रिंस चौक और हरिद्वार रोड के बीच यातायात सुगम होगा और हजारों लोगों को रोज़ राहत मिलेगी।

शहरी यातायात विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह ब्रिज समय पर बनकर तैयार हो जाता है, तो राजधानी के प्रमुख चौराहों पर जाम की स्थिति में 30 से 40 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।


मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में शामिल

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भंडारीबाग ओवरब्रिज प्रोजेक्ट को अपनी प्राथमिकता में रखा है। सरकार की मंशा है कि देहरादून जैसे तेजी से विकसित हो रहे शहर में ट्रैफिक दबाव को कम करने के लिए बुनियादी ढांचे को समयबद्ध तरीके से विकसित किया जाए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही डीएम ने यह स्थलीय निरीक्षण किया।

विशेषज्ञ मानते हैं कि मुख्यमंत्री की प्रत्यक्ष निगरानी में आने के बाद इस प्रोजेक्ट को अब और अधिक गंभीरता से लिया जाएगा। प्रशासन और कार्यदायी संस्था दोनों पर अब जवाबदेही तय हो चुकी है।


प्रशासन की रणनीति

डीएम सविन बंसल ने परियोजना की प्रगति को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं:

  1. समयबद्ध निर्माण: तय अवधि में काम पूरा करना अनिवार्य।
  2. नोडल अधिकारी नियुक्त: एसडीएम सदर और लोनिवि के एक्सियन सीधे रेलवे अधिकारियों के साथ समन्वय करेंगे।
  3. क्लोज मॉनिटरिंग: गार्डर ब्रिज प्लेसमेंट और अन्य महत्वपूर्ण चरणों की नियमित निगरानी।
  4. जवाबदेही तय: किसी भी देरी पर संबंधित संस्था और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई।
  5. जनहित सर्वोपरि: जनता को राहत दिलाना और जाम से निजात दिलाना प्रशासन की शीर्ष प्राथमिकता।

जनता में उम्मीद की किरण

भंडारीबाग आरओबी प्रोजेक्ट को लेकर वर्षों से इंतजार कर रही जनता अब आशान्वित दिख रही है। डीएम के निरीक्षण और कड़े निर्देशों के बाद लोगों को उम्मीद है कि अब यह प्रोजेक्ट लंबा नहीं खिंचेगा। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर यह ओवरब्रिज समय पर बनकर तैयार हो जाता है तो उनकी रोज़मर्रा की जिंदगी बेहद आसान हो जाएगी।

भंडारीबाग रेलवे ओवरब्रिज परियोजना सिर्फ एक निर्माण कार्य नहीं, बल्कि देहरादून शहर के भविष्य और यातायात व्यवस्था का अहम हिस्सा है। जिलाधिकारी के निरीक्षण और मुख्यमंत्री की प्राथमिकता सूची में शामिल होने के बाद इस प्रोजेक्ट के समय पर पूरा होने की उम्मीदें और भी मजबूत हो गई हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन की सख्ती और जनता की उम्मीदें कार्यदायी संस्था को किस हद तक तेजी से काम करने के लिए प्रेरित करती हैं।

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