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गौतम अदाणी ने गुवाहाटी में दिवंगत सिंगर जुबीन गर्ग को उनके घर पहुंचकर दी श्रद्धांजलि

असम की आत्मा माने जाने वाले जुबीन गर्ग की असामयिक मौत से पूरा राज्य शोक में डूबा; उद्योगपति गौतम अदाणी ने परिवार से मिलकर जताया दुख

गुवाहाटी। असम ही नहीं, पूरे देश और दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी आवाज़ से करोड़ों दिलों को जीतने वाले दिवंगत गायक-संगीतकार जुबीन गर्ग के निधन ने संगीत जगत और उनके चाहने वालों को गहरा आघात पहुंचाया है। रविवार देर रात देश के प्रमुख उद्योगपति और अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी अपने बेटे जीत अदाणी और समूह के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गुवाहाटी पहुंचे। यहां उन्होंने जुबीन गर्ग के घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और परिवार से मुलाकात कर अपनी संवेदनाएं प्रकट कीं।

गुवाहाटी के काहिलीपाड़ा इलाके स्थित जुबीन गर्ग के घर पहुंचे गौतम अदाणी ने उनकी पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग से मिलकर गायक के निधन पर शोक जताया। करीब आधे घंटे तक चले इस दौरे में अदाणी ने जुबीन के चित्र पर पुष्प अर्पित किए और चुपचाप कुछ क्षण उनके स्मरण में खड़े रहे। इस दौरान वहां का माहौल बेहद भावुक था।


असम के “रॉकस्टार” को अलविदा

19 सितंबर को सिंगापुर में संदिग्ध हालात में समुद्र में डूबने से जुबीन गर्ग की मौत हो गई थी। उनके असामयिक निधन की खबर ने पूरे असम और संगीत जगत को हिला दिया। गुवाहाटी से लेकर दिल्ली और मुंबई तक, उनके प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर गहरी संवेदना प्रकट की।

जुबीन गर्ग न केवल एक गायक थे बल्कि असमिया संस्कृति और लोकसंगीत को वैश्विक मंच पर पहुंचाने वाले दूत भी थे। उन्हें अक्सर “असम का रॉकस्टार” कहा जाता था। हिंदी, असमिया, बंगाली और अन्य भाषाओं में गाए उनके गीत लोगों की जुबान पर चढ़े रहते थे।


गौतम अदाणी का भावुक संदेश

अदाणी समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि,

“गौतम अदाणी और उनके बेटे जीत गर्ग परिवार से मिलकर केवल संवेदना प्रकट करने नहीं आए थे, बल्कि असम की इस महान विभूति के प्रति सम्मान भी जताने आए थे। वे गरिमा सैकिया गर्ग के साथ कुछ देर बैठे और जुबीन गर्ग के असामयिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।”

अदाणी का यह कदम असम के लोगों के दिल को छू गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात नहीं थी बल्कि एक उद्योगपति का सच्चा मानवीय पक्ष भी सामने आया।


संगीत और समाज सेवा में था गहरा योगदान

जुबीन गर्ग न केवल लोकप्रिय गायक और संगीतकार थे बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी खुलकर अपनी राय रखते थे। असम बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत कार्यों से लेकर महिला सशक्तिकरण के लिए चलाए अभियानों तक, वे हमेशा आगे रहे।

उनकी आवाज़ में लोकगीतों की मिठास और पॉप संगीत की ऊर्जा दोनों झलकती थी। “या अली”, “दिल तू ही बता” और “मोइती दी” जैसे गाने आज भी लोगों के दिलों में गूंजते हैं।


असम में शोक की लहर

गुवाहाटी से लेकर डिब्रूगढ़ और सिलचर तक, असम में हर जगह जुबीन गर्ग की याद में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उनके प्रशंसक अब भी विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि उनका चहेता सितारा इतनी जल्दी दुनिया छोड़कर चला गया। कई जगहों पर कैंडल मार्च और श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की गईं।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उन्हें “राज्य की आत्मा की आवाज़” बताते हुए कहा था कि उनका निधन असम के लिए अपूरणीय क्षति है।


संदिग्ध मौत और जांच की मांग

सिंगापुर में हुई उनकी मौत को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जुबीन समुद्र में डूबने के बाद लापता हुए थे और बाद में उनका शव बरामद हुआ। असम में उनके प्रशंसक और कई संगठनों ने इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है।


जुबीन की विरासत

संगीत समीक्षकों का मानना है कि जुबीन गर्ग केवल गायक ही नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन थे। उन्होंने असमिया संगीत को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। नई पीढ़ी के गायकों के लिए वे प्रेरणा बने और उनकी संगीत यात्रा असम की पहचान बन गई।

उनकी मौत से जो खालीपन बना है, उसे भर पाना आसान नहीं होगा।

गौतम अदाणी का गुवाहाटी जाकर श्रद्धांजलि देना सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि उस सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देने जैसा था, जिसे जुबीन गर्ग ने अपनी मेहनत और कला से गढ़ा। असम आज भी शोक में है, लेकिन गर्व भी है कि उसकी मिट्टी ने एक ऐसा सितारा दिया जिसने अपनी आवाज़ से पूरी दुनिया को मोहित किया।

जुबीन गर्ग अब भले हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका संगीत, उनकी संवेदनाएं और उनकी यादें असम व पूरे देश के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी।

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