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भारत-चीन समेत 40 देशों में साइबर फ्रॉड पर इंटरपोल का बड़ा एक्शन, 68 हजार बैंक खाते ब्लॉक, करोड़ों रुपये जब्त

नई दिल्ली। साइबर अपराध (Cyber Crime) आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौतियों में से एक बन चुका है। इंटरनेट और डिजिटल ट्रांजैक्शन्स के बढ़ते इस्तेमाल के साथ-साथ अपराधियों ने भी ठगी और धोखाधड़ी के नए-नए तरीके खोज लिए हैं। इसी वैश्विक खतरे से निपटने के लिए इंटरपोल (INTERPOL) ने हाल ही में अब तक की सबसे बड़ी और बहुस्तरीय कार्रवाई की। ऑपरेशन हेची VI (Operation HAECHI VI) नामक इस अभियान में 40 देशों की पुलिस और जांच एजेंसियों ने मिलकर साइबर अपराधियों की जड़ों तक पहुंचने का प्रयास किया।

इस अभियान के दौरान 68,000 से ज्यादा बैंक खातों को ब्लॉक किया गया और लगभग 400 क्रिप्टो वॉलेट फ्रीज किए गए। सबसे अहम बात यह रही कि इस ऑपरेशन से लगभग 439 मिलियन डॉलर (करीब 3,660 करोड़ रुपये) की अवैध रकम बरामद की गई। इसमें 342 मिलियन डॉलर सरकारी फंड और करीब 97 मिलियन डॉलर नकद व वर्चुअल संपत्ति शामिल रही।


क्यों चला इंटरपोल का चाबुक?

इंटरपोल ने बताया कि यह ऑपरेशन अप्रैल से अगस्त 2025 तक चला और इसका फोकस सात प्रमुख साइबर-आधारित वित्तीय अपराधों पर रहा:

  1. वॉइस फ़िशिंग
  2. रोमांस स्कैम
  3. ऑनलाइन सेक्स्टॉर्शन
  4. निवेश धोखाधड़ी
  5. अवैध ऑनलाइन जुआ और मनी लॉन्ड्रिंग
  6. बिज़नेस ईमेल कॉम्प्रोमाइज (BEC)
  7. ई-कॉमर्स फ्रॉड

ये अपराध न केवल व्यक्तिगत स्तर पर लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि सरकारी संस्थानों और कंपनियों के लिए भी गंभीर चुनौती बनते जा रहे हैं।


किन देशों में हुई सबसे बड़ी कार्रवाई?

  • फिलीपींस: यहां फिलीपीन ऑफशोर गेमिंग ऑपरेटर (POGO) से जुड़े साइबर फ्रॉड के बड़े नेटवर्क पर छापेमारी हुई।
  • मकाऊ, चीन: मोबाइल और ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफ़ॉर्म पर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह को पकड़ा गया।
  • ब्राज़ील: इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग फ्रॉड पर रोक लगाने के लिए बड़े पैमाने पर ऑपरेशन।
  • पुर्तगाल: सामाजिक सुरक्षा फंड्स से चोरी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, 45 आरोपी गिरफ्तार और 2.28 लाख यूरो बरामद।
  • थाईलैंड: बिज़नेस ईमेल स्कैम से 6.6 मिलियन डॉलर की चोरी रोकी गई।
  • मलेशिया: दर्जनों लैपटॉप और सैकड़ों सिम कार्ड जब्त।
  • दक्षिण कोरिया: “दुबई लिंक” स्कैम में चोरी किए गए 3.91 मिलियन डॉलर I-GRIP सिस्टम के ज़रिए वापस दिलाए गए।

भारत-चीन समेत 40 देश जुड़े

इस ऑपरेशन में एशिया, यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका के कुल 40 देश शामिल रहे। भारत, चीन, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, ब्राज़ील, सिंगापुर, यूएई, पुर्तगाल, फिलीपींस और थाईलैंड जैसे देश इसमें सक्रिय रूप से जुड़े। भारत से भी कई संदिग्ध खातों और ट्रांजैक्शन्स पर कार्रवाई की गई।


इंटरपोल का बयान

इंटरपोल के फाइनेंशियल क्राइम एंड एंटी-करप्शन सेंटर (IFCACC) के डायरेक्टर थेओस बैडेगे ने कहा:

“लोग अक्सर मान लेते हैं कि फ्रॉड और स्कैम से खोया पैसा वापस नहीं मिल सकता। लेकिन HAECHI VI ऑपरेशन ने साबित किया है कि वैश्विक सहयोग से न केवल अपराधियों को पकड़ा जा सकता है, बल्कि पीड़ितों का पैसा भी वापस लौटाया जा सकता है। यह साइबर अपराध से लड़ने का बेहतरीन उदाहरण है।”


भारत के लिए सीख और चुनौतियाँ

भारत आज डिजिटल पेमेंट्स का सबसे बड़ा बाज़ार है। यूपीआई (UPI) ट्रांजैक्शन हर महीने रिकॉर्ड तोड़ आंकड़े छू रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही साइबर फ्रॉड के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।

  • NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 में भारत में साइबर अपराध के 65% मामले वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े रहे।
  • छोटे शहरों और गांवों में लोग डिजिटल फ्रॉड के प्रति जागरूक नहीं हैं, जिससे अपराधियों को आसानी होती है।
  • कई बार फर्जी कॉल सेंटर और फेक ऐप्स के जरिए लोगों से OTP और बैंक डिटेल्स निकलवा ली जाती हैं।

भारत में हालिया केस स्टडी

  • झारखंड के जामताड़ा और बिहार के नवादा जैसे इलाके साइबर फ्रॉड के हब बन चुके हैं, जहां से कॉल करके लाखों रुपये लूटे जाते हैं।
  • हाल ही में नोएडा पुलिस ने एक गिरोह पकड़ा, जिसने फर्जी निवेश ऐप के जरिए लोगों से 200 करोड़ रुपये ठग लिए।

आगे की रणनीति क्या हो?

  1. सख्त कानून: भारत में आईटी एक्ट को और कड़ा बनाने की जरूरत है ताकि साइबर अपराधियों को कड़ी सजा मिल सके।
  2. जनजागरूकता: लोगों को लगातार बताया जाए कि वे OTP, बैंक डिटेल्स और पासवर्ड साझा न करें।
  3. बैंकिंग सुरक्षा: बैंकों को मल्टी-लेयर सिक्योरिटी और AI आधारित फ्रॉड डिटेक्शन सिस्टम अपनाने होंगे।
  4. अंतरराष्ट्रीय सहयोग: जैसे इंटरपोल ने 40 देशों के साथ मिलकर ऑपरेशन किया, उसी तरह भारत को भी वैश्विक सहयोग बढ़ाना होगा।

निष्कर्ष

इंटरपोल का यह ऑपरेशन साबित करता है कि साइबर अपराध अब किसी एक देश तक सीमित नहीं हैं। ये एक वैश्विक चुनौती है, जिसका समाधान भी केवल वैश्विक स्तर पर ही संभव है। भारत जैसे देश, जहां डिजिटल पेमेंट्स और ऑनलाइन लेन-देन की रफ्तार सबसे तेज है, वहां इस तरह की अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई से सीख लेना बेहद जरूरी है।

इस ऑपरेशन ने साइबर अपराधियों के लिए एक साफ संदेश दिया है—“डिजिटल ठगी की कोई सीमा नहीं, लेकिन कानून भी उतना ही सीमा रहित है।”

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