
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में दर्ज 16 किलो गांजा मामले में अहम आदेश जारी किया है। अदालत ने पांच साल बाद भी पूछताछ न किए जाने पर बिहार पुलिस से जवाब तलब किया है और आरोपी अजय प्रसाद को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी होती है तो उसे गिरफ्तारी अधिकारी की संतुष्टि पर जमानत दी जाएगी।
मामला क्या है?
यह केस सितंबर 2020 का है, जब नेपाल बॉर्डर से सटे घोड़ासहन (जितना) थाना क्षेत्र में बीएसएफ ने विकास कुमार नामक युवक को पकड़ा था। आरोप है कि उसने उस समय 16 किलो गांजा खेत में फेंक दिया था।
जांच के दौरान विकास कुमार ने पुलिस को दिए बयान में अजय प्रसाद का नाम लिया। इसी आधार पर अजय प्रसाद को भी मामले में आरोपी बना दिया गया।
पांच साल में न पूछताछ, न जांच
याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई कि:
- अजय प्रसाद घटना स्थल पर मौजूद नहीं था।
- उसे केवल सह-आरोपी के बयान के आधार पर नामजद किया गया।
- पिछले 5 सालों में न तो उसकी गिरफ्तारी हुई और न ही पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया।
- अब अचानक उसे परेशान किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अर्धेंदु मौली कुमार प्रसाद पेश हुए और अदालत को यह तथ्य बताए।
हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक
- अजय प्रसाद ने पहले निचली अदालत और फिर पटना हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका लगाई।
- लेकिन हाईकोर्ट ने 16 जून 2025 को उसकी याचिका खारिज कर दी।
- इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और आदेश
जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि पुलिस को यह बताना होगा कि पांच साल में आरोपी से पूछताछ क्यों नहीं की गई। अदालत ने साफ किया कि:
- अगर गिरफ्तारी होती है तो आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाए।
- आरोपी को जांच में सहयोग करना अनिवार्य होगा।
- बिहार सरकार को 26 नवंबर 2025 तक जवाब दाखिल करना होगा।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
कानूनी जानकारों का मानना है कि यह मामला न्यायिक प्रक्रिया में देरी और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाता है। आमतौर पर इतने लंबे समय तक पूछताछ न होना इस बात का संकेत है कि पुलिस के पास आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत नहीं थे।
गांजा तस्करी और NDPS कानून की सख्ती
भारत में NDPS एक्ट (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटांसेज एक्ट, 1985) बेहद सख्त है। इसमें मामूली मात्रा में ड्रग्स मिलने पर भी कठोर सजा का प्रावधान है। वहीं, कमर्शियल मात्रा पाए जाने पर दोषी को 10 से 20 साल तक की सजा हो सकती है।
इस मामले में बरामद गांजे की मात्रा 16 किलो है, जो गंभीर श्रेणी में आता है। लेकिन आरोपी के खिलाफ प्रत्यक्ष सबूत न होना, केस को जटिल बनाता है।
आगे की सुनवाई
अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर 2025 को होगी, जब बिहार पुलिस को अपनी कार्रवाई का विवरण सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखना होगा। तब तक आरोपी अजय प्रसाद को अंतरिम राहत मिल गई है।