
नई दिल्ली: नवरात्रि के पहले दिन से ही देशवासियों को एक बड़ा तोहफ़ा मिला है। केंद्र सरकार ने सोमवार से वस्तु एवं सेवा कर (GST) 2.0 को लागू कर दिया है। नई टैक्स व्यवस्था ने न केवल आम लोगों की जेब को राहत दी है, बल्कि उद्योग जगत और कारोबारियों के लिए भी एक सरल और पारदर्शी प्रणाली का रास्ता खोल दिया है।
चार से घटकर दो टैक्स स्लैब
अब तक जीएसटी प्रणाली में 5%, 12%, 18% और 28%—कुल चार टैक्स स्लैब थे। उपभोक्ताओं और व्यापारियों की लंबे समय से मांग थी कि टैक्स स्लैब को कम कर सरल बनाया जाए। इसी के तहत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अब सिर्फ दो टैक्स स्लैब—5% और 18% लागू किए हैं।
इसके अलावा, कई आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को शून्य कर (Zero Tax) की श्रेणी में शामिल किया गया है। वहीं, लग्जरी और “सिन गुड्स” (जैसे तंबाकू, शराब, गुटखा, पान मसाला आदि) पर टैक्स दर बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दी गई है।
किन-किन चीजों पर जीरो टैक्स
नई टैक्स व्यवस्था में रोजमर्रा के उपयोग वाली कई वस्तुएं अब पूरी तरह टैक्स-फ्री हो गई हैं। इनमें—
- डेयरी प्रोडक्ट्स: UHT मिल्क, पनीर, छेना (प्री-पैकेज्ड और लेबल्ड)।
- ब्रेड आइटम्स: पिज्जा ब्रेड, खाखरा, चपाती, पराठा, कुल्चा और अन्य ब्रेड।
- हेल्थ सेक्टर: मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन।
- शिक्षा व स्टेशनरी: कॉपी, नोटबुक, पेंसिल, शार्पनर और अन्य स्टेशनरी आइटम्स।
- बीमा क्षेत्र: व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा सेवाएं।
पहले इन वस्तुओं और सेवाओं पर 5% से लेकर 18% तक टैक्स लगता था। अब यह पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है।
क्या-क्या हुआ सस्ता
- होम अप्लायंसेज: एसी और फ्रिज जैसे इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स पर टैक्स 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है।
- ऑटो सेक्टर: 350 सीसी तक की बाइकों पर अब सिर्फ 18% टैक्स लगेगा, जबकि पहले यह 28% था।
- दैनिक उपयोग की वस्तुएं: रोटी, पराठा और ब्रेड जैसे आइटम अब टैक्स फ्री हो गए हैं।
इससे आम उपभोक्ता को सीधा फायदा मिलेगा और कई उत्पादों की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट देखने को मिल सकती है।
उपभोक्ताओं को राहत
GST 2.0 के लागू होने से आम आदमी की जेब पर बोझ घटेगा। रोजमर्रा की चीजें जैसे दूध, पनीर और ब्रेड अब सस्ती होने से रसोई का खर्च कम होगा। वहीं, टीवी, फ्रिज और एसी जैसी महंगी वस्तुएं भी किफायती होंगी, जिससे मध्यमवर्गीय परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी।
उद्योग जगत पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि नई व्यवस्था से इलेक्ट्रॉनिक सामान और ऑटोमोबाइल सेक्टर की बिक्री में इजाफा होगा। टैक्स दर कम होने से उपभोक्ताओं की मांग बढ़ेगी और इससे उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा।
कारोबारियों के लिए भी यह बदलाव बड़ा राहतकारी है, क्योंकि टैक्स स्लैब घटने से अनुपालन (Compliance) का बोझ कम होगा और टैक्स कैलकुलेशन की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
सरकार का उद्देश्य
सरकार का कहना है कि GST 2.0 का मकसद उपभोक्ताओं और कारोबारियों, दोनों को फायदा पहुंचाना है। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, “पिछले कुछ सालों में जीएसटी के जटिल ढांचे को लेकर शिकायतें सामने आ रही थीं। टैक्स स्लैब कम करके अब इसे सरल और पारदर्शी बना दिया गया है। इससे टैक्स चोरी में भी कमी आएगी।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया
हालांकि विपक्ष ने इस फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कुछ विपक्षी नेताओं ने इसे “चुनावी घोषणा” करार दिया और कहा कि इससे तुरंत असर भले ही दिखे, लेकिन राजस्व संग्रह पर दबाव बढ़ सकता है। वहीं, कुछ नेताओं ने इसे आम जनता के हित में अच्छा कदम बताया।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि GST 2.0 से महंगाई पर सकारात्मक असर पड़ सकता है। कई आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स खत्म होने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में गिरावट आ सकती है। हालांकि, लग्जरी और सिन गुड्स पर बढ़े टैक्स से सरकार को अतिरिक्त राजस्व भी मिलेगा।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, “सरकार का यह कदम व्यापार को सुगम बनाएगा। जीएसटी के जटिल ढांचे को सरल बनाना लंबे समय से उद्योग जगत की मांग थी, जिसे अब पूरा किया गया है।”
GST 2.0 का असर आने वाले महीनों में साफ दिखने लगेगा। महंगाई पर नियंत्रण, उद्योगों में मांग बढ़ने और कर प्रणाली में पारदर्शिता जैसे लक्ष्य सरकार ने तय किए हैं। अगर ये सफल होते हैं, तो इसे भारत की टैक्स सुधार यात्रा का सबसे बड़ा कदम माना जाएगा।