
रुद्रप्रयाग, 20 सितम्बर 2025। उत्तराखंड इस वर्ष भीषण आपदा से जूझ रहा है। लगातार बारिश, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने राज्य के कई हिस्सों को प्रभावित किया है। शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रुद्रप्रयाग जनपद के आपदा प्रभावित बसुकेदार क्षेत्र के तालजामण, डूंगर, बड़ेथ, जौला, कमद, उछोला, छैनागाड़ और पटुय जैसे गाँवों का हवाई सर्वेक्षण कर नुकसान का आकलन किया।
हवाई सर्वेक्षण के बाद मुख्यमंत्री ने जिला पंचायत सभागार में समीक्षा बैठक की। बैठक में उन्होंने बचाव और राहत कार्यों की अद्यतन स्थिति, विद्युत-पेयजल आपूर्ति, चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता, मोटर मार्गों की बहाली और विशेष रूप से श्री केदारनाथ धाम यात्रा की व्यवस्थाओं की गहन समीक्षा की।
आपदा पीड़ितों के साथ सरकार
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि इस वर्ष मानसून काल में पूरे उत्तराखंड ने आपदा की विकट परिस्थितियों का सामना किया है। उन्होंने प्रभावित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की और कहा कि सरकार हरसंभव सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने यह भी कहा कि आपदा के समय जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने तत्परता के साथ राहत एवं बचाव कार्यों में भागीदारी की, जिससे प्रभावित लोगों को हौसला मिला।
प्रधानमंत्री मोदी का सहयोग
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री स्वयं लगातार राज्य की आपदा स्थिति की जानकारी ले रहे थे। देहरादून पहुंचकर उन्होंने आपदा प्रभावितों से सीधे भेंट की और तत्काल राहत के रूप में ₹1200 करोड़ की सहायता राशि देने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आगामी 30 सितम्बर तक अलर्ट मोड पर रहकर आपदा से निपटने की पूरी तैयारी रखें। उन्होंने नदियों और नालों पर अतिक्रमण हटाने के भी सख्त निर्देश दिए।
केदारनाथ यात्रा पर विशेष ध्यान
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि मानसून समाप्त होने के बाद श्री केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है। ऐसे में यात्रा की व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद बनाना जरूरी है।
उन्होंने अधिकारियों से कहा—
- “यात्रियों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जाए। चाहे पैदल मार्ग की मरम्मत हो या हेलीकॉप्टर सेवाओं की सुचारू व्यवस्था—किसी भी स्तर पर ढिलाई बर्दाश्त नहीं होगी।” *
जिलाधिकारी की रिपोर्ट
जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने मुख्यमंत्री को विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 28 अगस्त को आई आपदा और मानसून के दौरान जिले में कई गाँव प्रभावित हुए हैं।
- प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने और राहत शिविरों में ठहराने की व्यवस्था की गई।
- खाद्यान्न किट, रिफ्रेशमेंट किट, सोलर लाइट, कंबल, टेंट, तिरपाल और टॉर्च जैसी सामग्री वितरित की गई।
- मेडिकल कैंप संचालित कर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई गईं।
- हेली सेवा के माध्यम से प्रसव पीड़िताओं और गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुँचाया गया।
- आपदा के कारण पशुधन, निजी संपत्ति, गौशालाओं और कृषि भूमि को भारी नुकसान हुआ है।
जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि जवाड़ी बाईपास, सिरोबगड़, मुनकटिया और गौरीकुंड हाईवे पर मरम्मत कार्य चल रहे हैं। साथ ही, श्री केदारनाथ धाम पैदल मार्ग पर हुए नुकसान की भरपाई तेजी से की जा रही है। यात्रा के दूसरे चरण में अनुमानित यात्री संख्या और हेलीकॉप्टर सेवाओं के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं।
जनप्रतिनिधियों का समर्थन
रुद्रप्रयाग विधायक भरत चौधरी और केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आपदा की घड़ी में मुख्यमंत्री द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई और लगातार मॉनिटरिंग ने जनता में भरोसा जगाया है।
दोनों विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों में आपदा से हुई क्षति, सड़क निर्माण और अन्य समस्याओं के समाधान पर भी चर्चा की।
बैठक में मौजूद रहे
इस अवसर पर चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम कठैत, राज्य मंत्री चंडी प्रसाद भट्ट, जिला पंचायत उपाध्यक्ष रितु नेगी, भाजपा जिलाध्यक्ष भारत भूषण भट्ट, भाजपा पूर्व जिलाध्यक्ष महावीर पंवार सहित बड़ी संख्या में विभागीय अधिकारी, जनप्रतिनिधि और आमजन उपस्थित रहे।
रुद्रप्रयाग की समीक्षा बैठक और हवाई सर्वेक्षण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री धामी व्यक्तिगत रूप से राहत और पुनर्वास कार्यों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। प्रभावित परिवारों को तत्काल राहत, बुनियादी सुविधाओं की बहाली और केदारनाथ यात्रा की व्यवस्थाओं को सुचारू करना सरकार की प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री का यह दौरा न केवल प्रशासन की तत्परता का संकेत है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि राज्य सरकार आपदा की हर चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।



