
देहरादून, 20 सितम्बर 2025 (सू.वि)। उत्तराखंड एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहा है। लगातार हो रही बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने राज्य के कई इलाकों में तबाही मचाई है। जनपद देहरादून के मजाड़, कार्लीगाड, सहस्त्रधारा, मालदेवता, फुलेत, छमरोली, सिल्ला, सिरोना और क्यारा जैसे गाँव सड़क मार्ग से पूरी तरह कट गए हैं। हालात इतने गंभीर हैं कि कई क्षेत्रों में सिर्फ हवाई मार्ग से ही राहत सामग्री पहुँचना संभव हो पा रहा था।
लेकिन इस बीच जिलाधिकारी देहरादून ने एक मिसाल पेश की। उन्होंने हेलीकॉप्टर सेवा का सहारा लेने के बजाय सीधे पैदल दुर्गम रास्तों से गुजरकर आपदा प्रभावित गाँवों तक पहुँचना चुना। जिलाधिकारी ने ढौंढ, ढंगार, गाढ और गदेरे पार करते हुए लगभग 12 किलोमीटर का कठिन पैदल सफर तय किया और प्रभावित ग्रामीणों का हाल जाना।
युद्धस्तर पर राहत और बचाव अभियान
आपदा के पहले ही दिन से प्रशासन ने रेस्क्यू और राहत कार्यों को तेज कर दिया था। कार्लीगाड और मजाड़ में रेस्क्यू आपरेशन चलाए गए, जबकि सहस्त्रधारा और मालदेवता रोड पर वाशआउट हिस्सों की मरम्मत कर संपर्क बहाल किया गया। मसूरी में भी मुख्य मार्ग पर मलबा हटाकर आवाजाही सुचारू करवाई गई।
डीएम ने स्वयं इन अभियानों की मॉनिटरिंग की और अधिकारियों को साफ निर्देश दिए कि राहत एवं रेस्टोरेशन कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
पैदल यात्रा बनी चर्चा का विषय
फुलेत, छमरोली, सिल्ला, सिमयारी और क्यारा गाँवों की स्थिति बेहद खराब रही। सड़कें ध्वस्त हो चुकी थीं और प्रशासन को हेली सेवा से खाद्य सामग्री, दवाइयाँ और अन्य सामान भेजना पड़ रहा था। लेकिन जिलाधिकारी ने हवाई मार्ग को छोड़कर खुद दुर्गम सड़कों और पैदल रास्तों का विकल्प चुना।
डीएम मालदेवता से सेरकी-सिल्ला, भैंसवाड़ होते हुए गाँव-गाँव पैदल पहुँचे। रास्ते में उन्होंने खेत-खलिहान तक जाकर नुकसान का जायजा लिया और ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि सरकार और प्रशासन हर कदम पर उनके साथ खड़ा है।
इस साहसिक कदम के बाद प्रभावित ग्रामीण भावुक हो उठे। ग्रामीणों ने कहा, “आज़ादी के बाद कोई डीएम फुलेत आया है। हमने पहली बार महसूस किया कि प्रशासन सीधे हमारे बीच खड़ा है।”
अधिकारियों की विशेष तैनाती
जिलाधिकारी ने मौके पर ही आदेश जारी करते हुए आपदा प्रभावित क्षेत्रों में विशेष तहसीलदार, बीडीओ और संबंधित विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी। यह टीमें अग्रिम आदेशों तक गाँवों में ही रहकर नुकसान का विस्तृत आकलन करेंगी, प्रभावित परिवारों को तत्काल राहत पहुँचाएँगी और मुआवजा वितरण की पूरी प्रक्रिया को तेज करेंगी।
प्रशासन का दावा है कि राहत और पुनर्वास कार्यों को तब तक नहीं रोका जाएगा, जब तक जनजीवन पूरी तरह सामान्य न हो जाए।
नुकसान का प्रारंभिक आकलन
आपदा के कारण कई गाँवों में मकान जमींदोज हो गए हैं, जबकि खेत-खलिहान बर्बाद हो चुके हैं। अब तक की रिपोर्ट के अनुसार, कार्लीगाड, मजाड़, फुलेत और आसपास के क्षेत्रों में दर्जनों घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। कई पशु भी बह गए या लापता हो गए हैं।
हालांकि प्रशासन का कहना है कि विस्तृत सर्वे अभी जारी है और वास्तविक नुकसान का आंकड़ा आने में कुछ दिन और लग सकते हैं।
जिला प्रशासन का संकल्प
डीएम ने मौके पर ग्रामीणों से बातचीत करते हुए साफ कहा कि “आपदा की इस घड़ी में कोई भी परिवार अकेला नहीं है। सरकार और प्रशासन हरसंभव मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। राहत, पुनर्वास और मुआवजा की प्रक्रिया पारदर्शी और त्वरित रूप से पूरी की जाएगी।”
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रभावित इलाकों में विद्युत, पेयजल और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं की बहाली को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
ग्रामीणों में भरोसा और उम्मीद
प्रभावित गाँवों के लोगों का कहना है कि प्रशासन की यह सक्रियता उनके लिए हौसला बढ़ाने वाली है। कई बुजुर्ग ग्रामीणों ने भावुक होकर कहा कि आजादी के बाद पहली बार किसी जिलाधिकारी ने इस तरह पैदल रास्तों से उनके गाँव का दौरा किया है।
ग्रामीणों ने उम्मीद जताई कि प्रशासन के इस जमीनी प्रयास से न केवल उन्हें त्वरित राहत मिलेगी बल्कि भविष्य में इस तरह की आपदाओं से निपटने की बेहतर तैयारी भी हो पाएगी।
देहरादून जिले की यह तस्वीर दिखाती है कि आपदा कितनी भी विकट क्यों न हो, अगर प्रशासन दृढ़ संकल्प और जिम्मेदारी के साथ काम करे तो राहत और बचाव कार्यों में कोई बाधा बड़ी नहीं होती। जिलाधिकारी का पैदल जाकर आपदा प्रभावितों से मिलना न केवल प्रशासनिक ईमानदारी का उदाहरण है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि संकट की इस घड़ी में सरकार और प्रशासन पूरी तरह जनता के साथ खड़े हैं।
 
				


